Sunday, April 22, 2012

चौसठिया कौडी

पुराने जमाने मे मुद्रा के चलन मे नही होने पर कौडी का प्रयोग किया जाता था और वस्तुओ की खरीददारी आदि कौडी से की जाती थी,कौडी से गिनती की क्रिया भी पूरी की जाती थी तथा कौडी के अनुसार ही एक दूसरे को सन्देश भेजने की क्रिया की जाती थी। आज भी एक कहावत बडे रूप से कही जाती है कि "दो कौडी की औकात है" या कौडी की औकात नही है फ़िर भी आगे आगे फ़िरने की कोशिश करते हो। कौडी समुद्र और नदियों मे पायी जाती है। सबसे उत्तम समुद्र की कौडी मानी जाती है,तथा नर्मदा के समुद्र मे मिलने के स्थान की कौडी भारी भी होती है और काम की भी मानी जाती है। कौडी का प्रयोग बुध ग्रह के तंत्रो मे किया जाता है। जब बुध ग्रह परेशान करने लगता है तो लोग कौडी को उपाय के रूप मे प्रयोग करते है,तांत्रिक लोग बिना कौडी के कभी तंत्र विद्या का प्रयोग नही करते है। बुध कमन्यूकेशन का ग्रह है जब भी लोग अन्जान लोगो से मुलाकात करने जाते है सिद्ध कौडी को अपने साथ ले जाते है,शमशानी क्रियाओं मे भी कौडी का इस्तेमाल किया जाता है। जहां शिव लिंग पर भस्म का प्रयोग किया जाता है वहां कौडी की भस्म अपनी मान्यता अलग ही रखती है,कई बार कौडी को सजाने के काम मे भी लिया जाता है और इसे मंत्र से अभिषिक्त करने के बाद लोग अपने घर मे भी रखते है भारत मे कई जातिया कौडी को अभिमंत्रित करने या करवाने के बाद बच्चो और पशुओं के गले मे भी बांधते है,कौडी का प्रयोग जुआ आदि खेलने के काम भी लिया जाता है जहां चित्त पट्ट कौडी के रूप मे हार जीत का फ़ैसला किया जाता है,जैसे चार कौडी को उछाला गया और चारो ही पट्ट पड गयी तो बडी जीत या बडी हार मानी जाती है वैसे ही एक दो तीन आदि के लिये भी माना जाता है। चौपड खेल मे कौडी का बहुत महत्व है यह रजबाडो के जमाने मे खेला जाता था तथा आज भी कहीं कहीं चंगा पो नामक खेल खेला जाता है।

कौडियों मे चौसठिया कौडी की अधिक मान्यता है यह अधिकतर समुद्र मे ही मिलती है और गहरे सरोवरो मे भी कभी कभी मिल जाती है।इस कौडी का रूप भी बडा होता है और यह अक्सर दीपावली ग्रहण आदि के समय लोगो की तिजोरियों से बाहर आती है,अन्यथा यह अद्रश्य ही रहती है,किसी को भाग्य से यह किसी समुद्री आइटम बेचने वाले की दुकान पर मिल जाये तो भाग्य वाली बात भी मानी जाती है.

इस कोडी का प्रयोग लोग अपने व्यवसाय स्थान मे बिक्री आदि के बढाने के लिये रखते है किसी खतरनाक काम को करने के लिये यह अपने साथ जेब मे रखकर ले जायी जाती है,अक्सर बीमारी की अवस्था मे इसे सिरहाने रखा जाता है। चौसठिया का रूप अक्सर व्याधि नजर तंत्र आदि को खाने के लिये माना जाता है,इस कौडी की विशेषता होती है कि किसी भी कमरे आदि मे खुले मे रखने के बाद जब इसे साफ़ पानी से धोया जाता है तो इसके अन्दर से पीले रंग का पानी निकलता है साथ ही जब किसी बन्द बक्से और तिजोरी आदि मे रखा जाता है तो धोने पर पानी का रंग कालिमा लिये होता है,बीमारी की अवस्था मे सिरहाने रखने के बाद धोने पर इसके धोने का पानी हल्की लालिमा लिये होता है,कोई दोष नही होने पर यह साफ़ पानी ही दिखाती है।

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