Friday, April 20, 2012

कल था वह आज नही,आज है वह कल नही !

बचपन मे धरती के घूमने का सिद्धान्त पढा था,जब तक इस सिद्धान्त को नही पढा था तब तक यही बात दिमाग मे रहा करती थी कि सूर्य और तारे घूम रहे है धरती अपने स्थान पर स्थिर है,लेकिन जब पता चला कि धरती भी घूम रही है और सितारे भी घूम रहे है,सूर्य अपने स्थान पर स्थिर है,बहुत बडा अचम्भा हुआ था,कि वाह ! जो सूर्य कल तक हमारे चारो ओर घूम रहा था,आज पता लगा कि हम ही सूर्य के चारो ओर घूम रहे है,खैर यह बचपन की बातें थी,जो बचपन मे था वह आज नही है आज है वह कल नही रहेगा।

एक ज्योतिषी जी पास मे बैठे थे किसी व्यक्ति को ज्ञान दे रहे थे,तुम्हारा जन्म से सूर्य खराब है इस सूर्य की आराधना कर लो और सूर्य का रत्न पहिन लो फ़िर तुम्हारी जिन्दगी सही चल उठेगी। उनकी बात पर अचम्भा भी हुआ और मन ही मन हंसी भी आयी,सूर्य यानी पिता ने अपने कर्तव्य को पूरा नही किया होता तो यह शरीर नही होता और शरीर का पालन पोषण उनके द्वारा नही हुआ होता शिक्षा दीक्षा नही दी गयी होती तो यह शरीर आज इस लायक ही नही था कि वह व्यक्ति ज्योतिषी जी तक पहुंच पाता,यह तो बात दुनियादारी से सोचने के लिये है इसी प्रकार से जब व्यक्तिगत रूप से सोची जाये तो शरीर में तकलीफ़ है हड्डियों मे बीमारी है क्षरण होने लगा है चेहरे पर दाग बन गये है सरकार से परेशानी होने लगी है पिता बीमार है लोग उल्टी सीधी बाते करने लगे है घर के अन्दर ही राजनीति बनने लगी है,हर बात पर घर मे तू तू मै मै होने लगी है,बाते अधिक और काम कम होने लगा है हर बात पर तर्क किया जाने लगा है,आंखो की रोशनी कम होने लगी है चशमा भी कम पडने लगा है तो माना जा सकता है कि सूर्य को खराब कर लिया गया है सूर्य खराब नही हुआ है,नमक अधिक खाया होगा स्त्री संगति अधिक की होगी गलत लोगो की संगतिमे आकर गलत स्त्री संगति की होगी पिता को शराब कबाब और उल्टी सीधी बातो से परेशान किया होगा जिससे वह चिन्ता मे चले गये और बीमार हो गये घर के लोगो के लिये उल्टा सीधा पैसा लाकर दिया होगा जिससे वह हराम खाऊ हो गये और जब नही मिल रहा है तो आपस मे ही लडने झगडने लगे है खुद ने भी चिन्ता मे रहकर भोजन और नीन्द से दूरी बना ली होगी इसलिये आंखो की रोशनी पर फ़र्क पडने लगा होगा अगर इन्ही बातो पर ध्यान दिया जाता तो सूर्य खराब क्यों होता। रोजाना व्यायाम किया जाये रोजाना के काम पूरी लगन से पूरे किये जाये कोई भी काम करने से पहले उसे सोचा जाये जिस भोजन से पाचन क्रिया सही रहे उस भोजन को नियम से लिया जाये स्त्री संगति को कन्ट्रोल मे रखा जाये गलत लोगो की संगति को त्याग दिया जाये,रात की नींद पूरी की जाये तो अपने आप ही शरीर का सूर्य सम्भल जायेगा,यह सब होना नही तो ज्योतिषी तो क्या भले ही जिन परमपिता परमात्मा ने इस जमीन पर भेजा है वह भी आ जायें तो भी कुछ नही होने वाला है। सूर्य राजनीति है और यह सभी के पास मौजूद है अच्छे के लिये अच्छा देखेगी और बुरे के लिये बुरा देखेगी जो सूर्य की रोशनी मे रहकर कार्य किया जाता है वह सभी के सामने होता है जो गुप्त रूप से किया जाता है उस पर तो सभी अपना अपना अन्दाज लगायेंगे कोई सही अन्दाज भी लगा सकता है कोई गलत अन्दाज भी लगा सकता है और जब गलत और सही अन्दाज लगाने की नीति मे फ़ंसना होगा तो बुरा भी लग सकता है भला भी लग सकता है,पुराने जमाने मे केवल अन्दाज कुछ लोगो तक ही सीमित रहता था आज के जमाने मे अभी करो थोडी देर मे संसार को पता लग जायेगा। तो वही काम करो जो लोगो के लिये फ़ायदा देने वाले हो वही कमाई करो जो शाम को नीन्द भी अच्छी दे और भूख भी खूब लगाये,जो सन्तान और घर के लोग है वे भी समझे कि घर मे जो आ रहा है वह मेहनत करने के बाद और सच्चे रूप से आ रहा है उन्हे भी कोई गलत लत नही लगेगी,राजनीति भी नही होगी,सच्चे को लोग सच्चा ही कहेंगे अपने आप सूर्य काम करने लग जायेगा। जो कल था वह आज नही है और जो आज है वह कल नही रहेगा।

चन्द्रमा खराब होने की निशानी होती है कि मन की सोच बदल जाती है झूथ बोलना आजाता है,चलता हुआ रास्ता भूला जाता है माता बीमार रहने लगती है जुकाम और ह्रदय वाली बीमारिया शुरु हो जाती है वाहन जो भी पास मे है सभी किसी न किसी कारण से बन्द हो जाते है बडी या छोटी बहिन भी दिक्कत मे आजाती है घर मे पानी मे कही न कही से गन्दगी पैदा हो जाती है भोजन करते समय पसीना अधिक निकलने लगता है किसी भी काम को करते समय खांसी आने लगती है गले मे ठसका लगने लगता है चावल को मशाले वाले पदार्थो मे मिलाकर खाने का जी करने लगता है। घर मे कन्या संतति की बढोत्तरी होने लगती है,कोई बहिन बुआ बेटी विधवा जैसा जीवन जीने लगती है,पडौसी नाली के लिये और घर मे आने वाली पानी के लिये लडने लगते है,मूत्र रोग पैदा हो जाते है,घर मे सुबह शाम की सफ़ाई भी नही हो पाती है,पानी का सदुपयोग नही किया जाता है घर मे पानी का साधन खुले मे नही होकर अन्धेरे मे कर दिया जाता है,पानी को बेवजह बहाना शुरु कर दिया जाता है,लान मे लगी घास सूख जाती है अधिक पानी वाले पेड नही पनप पाते  है घर के एक्वेरियम मे मछलिया जल्दी जल्दी मरने लगती है,जुकाम वाले रोगो से पीडा होने पर सिर हमेशा तमकता रहता है अच्छे काम को करने के समय भी बुरा काम अपने आप हो जाता है मन की गति कन्ट्रोल नही होने पर एक्सीडेन्ट हो जाता है पुलिस और कानूनी क्षेत्र का दायरा बढने लगता है घर के अन्दर दवाइयों का अम्बार लगने लगता है। आंखो से अपने आप ही आंसू आने लगते है,आसपास के लोग तरह तरह की बाते करने लगते है हितू नातेदार रिस्तेदार सभी कुछ न कुछ कहते हुये सुने जाते है जिन लोगो के साथ अच्छा काम किया है वह भी अपनी जीभ से उसे उल्टा बताने लगते है जो अधिक चाहने वाले होते है उनके अन्दर भी बुराइया आने लगती है आदि बाते देखने को मिलती है।ज्योतिषी जी से पूंछो तो वह कहने लगेंगे कि मोती की माला पहिन लो चन्द्र मणि को पहिन लो चांदी को पहिन लो चांदी को दान मे दे दो,चन्द्रमा के जाप कर लो,यह सब खूब करो लेकिन जो कल किया है उसे आज भुगतने के लिये ज्योतिषी जी अपने सामान के साथ सहायता नही दे पायेंगे,कितने ही मंत्र बोल लो लेकिन मंत्र भी तब तक काम नही करेगा जब तक चित्त वृत्ति सही काम नही करेगी,घर मे रखी चांदी को या खरीद कर दान मे देने से किसी और का भला हो सकता है बिना चित्त वृत्ति बदले खुद का भला तो हो नही सकता है,मोती की माला भी तभी काम करेगी जब चित्त वृत्ति बदलेगी,अगर आज से चित्त वृत्तिको बदलने की हिम्मत है तो कल अपने आप ही सही होने लगेगा नही मानो तो अंजवा कर देख लो। चन्द्रमा का काम तुरत फ़ल देना होता है वह आज धन के भाव मे रहकर धन को देगा लेकिन जैसे ही वह खर्चे के भाव मे जायेगा तो धन को खर्च भी करवा लेगा,जो भी कारक उसके साथ होगा उसी के अनुसार वैसे ही काम करने लगेगा जैसे पानी मे मिठाई मिला दो तो मिठाई जैसा काम करने लगेगा गर्मी मे रख तो गर्म हो जायेगा फ़्रिज मे रख तो ठंडा हो जायेगा,मिर्ची मिला तो कडवा हो जायेगा जहर मिला तो जहरीला हो जायेगा,लेकिन चित्त वृति नही बदलती है तो वह जहरीला पानी मार सकता है और चित्त वृत्ति बदली है तो वह किसी जहरीले जानवर के काटने पर उसे बचा भी सकता है,मिर्ची वाला पानी सब्जी मे दाल मे भोजन के काम आ सकता है गर्म पानी चाय मे काम आ सकता है और ठंडा पानी शर्बत मे काम आ सकता है,लेकिन यह सब होगा तभी जब चित्त वृत्ति को बदल लो,बिना चित्त वृत्ति को बदले कुछ भी नही हो सकता है। चन्द्रमा भावुकता कारक है,अधिक भावना मे आकर यह रोना भी शुरु कर देता है और जब प्रहसन पर आये तो हँसना भी चालू कर देता है,जब गम की श्रेणी मे आजाये तो अकेला बैठ कर सोचने के लिये भी मजबूर कर सकता है,डरने की कारकता मे चला जाये तो थरथर कांपने भी लगता है। यह सब कारण अच्छी और बुरी भावना को साथ लेकर चलने से ही होता है,अन्यथा नही होता है।जब मन के अन्दर बदले की भावना नही पैदा होगी तो किसी से बैर भाव भी नही होगा और जब बैर भाव नही होगा तो लोग अच्छा ही सोचेंगे जो मन की भावनाये है उनका अच्छा और बुरा रूप दोनो सोच कर निकालेंगे तो हो ही नही सकता है कि कोई बुराई मान ले। लेकिन यह भी ध्यान रखना है कि फ़ूल और तलवार का रूप भी दिमाग से समझना पडेगा अन्यथा तलवार का काम काटना होता है और फ़ूल का काम सुन्दर भावना को देना होता है,कसाई तलवार की भाषा को समझता है और सन्त फ़ूल की भावना को समझता है।जैसे ही मन की भावना बदली मोती की माला भी काम करने लगेगी,लोगो को एक गिलास पानी पिलाने से भी चांदी के दान से बडा फ़ल मिलने लगेगा,एक सफ़ेद कपडा पहिनने से भी चन्द्रमणि का फ़ल मिलने लगेगा। यह सब कल की बुराई को आज निकालने पर कल अच्छाई से ही मुकाबला होगा इसमे कोई दोराहा नही है,नही मानो तो अंजवा कर देख लो।

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