धनु
लगन का स्वामी गुरु होता है और गुरु के अनुसार ही जातक का भविष्य तय होता
है.धनु राशि अपने समाज धर्म मर्यादा कानूनी कारणों को ध्यान में रखकर चलने
वाली होती है,वह अपने परिवार से माता पिता से अपने परिवार के लोगो से बहुत
मेल जोल बनाकर चलना चाहती है लेकिन परिस्थितया ऐसा होने नहीं देती है.धनु
राशि जन्म से विद्वान् की श्रेणी में गिनी जाने लगती है जातक के जन्म के
बाद वह अपने अनुसार ही शिक्षा और पारिवारिक रीति रिवाजो के लिए अपनी
योग्यता को जाहिर करता जाताहै और अपने समाज में इज्जत को प्राप्त करता जाता
है.धन के भाव में शनि की राशि होती है लेकिन इस राशी का स्वाभाव होता है
कि वह एक बार के किये गए काम को तोड़ कर दुबारा से काम करने का कारण देती है
रोजाना के कामो में अक्सर कमर तोड़ काम ही सामने आते है अपने ही परिवार के
लोग एक बार तो जीवन से दूर हो जाते है लेकिन दुबारा से जुड़ने के बाद आजीवन
साथ चालने के लिए भी माने जाते है,जातक विद्या के क्षेत्र में भी उन्नति
करता है बोली जाने वाली भाषा के लिए भी वह कई भाषाओं को सीख लेता है और
प्राथमिक रूप से पिता के प्रति अपनी आस्था रखता है पिता के कार्य मुक्त
होने के बाद कुछ समय तो वह पिता के प्रति काम करता है और पिता की मांगो को
पूरी करता है लेकिन कुछ समय बाद वह धीरे धीरे अपनी आस्था को तोड़ता जाता है
और अपने खुद के बच्चों और परिवार के प्रति चलने को मजबूर हो जाता है.अक्सर
वह खुद ही बड़ा भाई या बड़ी बहिन के रूप में अपनी औकात को रखता है लेकिन वह
अपने परिवार से दूर होने के बाद अपने छोटे भाई बहिनों से भी दूर हो जाता है
उस कारण में उसके जीवन साथी का बहुत बड़ा रौल होता है.मित्र हमेशा ही उसकी
सहायता में आते है किसी भी काम के अन्दर में उसे बड़े भाई का दर्जा देते है
और जो भी काम घर या बाहर के होते है मित्र निपटाते रहते है.इस राशि वालो
का रहने वाला स्थान भी बड़ा होता है या तो बड़े क्षेत्र में फैला होता है या
फिर तीन मंजिल तक का मकान इनका बन जाता है,उस मकान के अन्दर रहने वाले
सदस्यों में वही लोग होते है जो या तो सामयिक रूप से रहने के लिए आते है या
फिर उन्हें संरक्षण की सहायता होती है,इनके बड़ा पुत्र होता है और उसके बाद
की लड़कियों का प्रभाव देखा जाता है,इन्हें धन के स्थान में भोजन के स्थान
में जैसे फाइनेंस या बीमा या लोगो की खानपान की समस्या का हल करना आदि
क्षेत्रो में नौकरी करते हुए देखा जाता है,जीवन साथी के मामले में इनके
सम्बन्ध दोहरे होते है या तो इनकी पहली शादी किसी अनबन के कारण टूट जाती है
या यह अपने स्वभाव से ही अपने पहले जीवन साथी से दूर हो जाते है इनके जीवन
साथी की यह भावना होती है कि वह अक्सर अपनी उम की पहली अवस्था में तकलीफ
उठाकर जीवन को यापन करने वाला होता है या तो माँ का साथ नहीं मिलता है या
पिता का साथ नहीं मिलता है,लेकिन जैसे ही जातक से शादी होती है जीवन साथी
का सम्बन्ध विजातीय लोगो से और जो लोग धर्म समाज या परिवार से दूर के होते
है उनसे दोस्ती बन जाती है और उन्ही कारणों से अपने परिवार के प्रति जीवन
साथी का झुकाव भी नहीं होता है साथ ही इसी धारणा के कारण जातक भी अपनी
धारणा को मजबूरी में बदलने के लिए मजबूर होता रहता है.वह अधिक से अधिक धन
कमाने के लिए और अपनी अचल संपत्ति को इकट्ठा करने की जुगाड़ में बना रहता
है,उम्र की पहली अवस्था में तो विद्या के क्षेत्र में रहता है दूसरी में
अचल संपत्ति को बनाने के लिए और भौतिक साधन बनाने के लिए रहता है तथा तीसरी
अवस्था में अक्सर उसके पुत्र की सहायता को भी बंद कर दिया जाता है और वह
या तो अपने बचत किये गए धन या पुत्री की सहायता से अपने जीवन को चलाने के
लिए मजबूर हो जाता है.जनता के कामो का पानी के कामो का बाँध नदी पहाडी
क्षेत्रो में किये जाने वाले कृषि वाले काम आदि उसे अच्छे लगते है,तलहटी
में या पानी के किनारे रहने के लिए उसे एक प्रकार से अच्छा लगता है,उसे
अपने रहने वाले स्थान और इसी प्रकार के क्षेत्रो से अपमान भी सहना पड़ता है
जनता के कामो में भी उसे कभी कभी अपमानित होना पड़ता है माता के कारण भी
उसे अपमान को सहना पड़ता है लेकिन वह माता की बहादुरी से और माता की जीवत
की बजह से अपने नाम को रोशन करने के लिए भी जाना जाता है,धर्म और न्याय के
क्षेत्र में वह सरकारी और ऊंची संस्थाओं में विश्वास करता है सरकारी
संस्थाओं और इसी प्रकार के क्षेत्रो में वह अपनी औकात को बनाकर चलता है
सरकारी न्याय आदि के कम भी उसे संभालने पड़ते है तथा अपने पुत्र के लिए या
संतान के लिए उसे अपने पूर्वजो की संपत्ति को प्राप्त करने में कठिनाई भी
होती है.बीमा बचत और बैंक आदि के काम लोगो की सेवा वाले काम अस्पताली काम
करने का उसे अच्छा अवसर मिलता है ननिहाल खानदान की सहायता भी उसे मिलती
है.लाभ के मामले में उसे दोहरे लाभ की स्थिति भी होती है शादी के बाद उसे
स्थान भी बदलना पड़ता है कार्यों में उसे किसी न किसी प्रकार के अलावा
व्यवसाय की धारणा भी बनानी पड़ती है.अक्सर खर्चे किसे न किसी बड़ी बीमारी
में होते है और बाहर जाते समय यात्रा के समय घाट होने या किसी कारण से ऊंचे
स्थान से गिरने के कारण मृत्यु का भय भी रहता है.जन्म स्थान में किसी
प्रकार के इनेक्सन या डाक्टरी कारण अथवा किसी प्रकार की दवाई आदि का कारण
बनने से भी मौत का भय बना रहता है.
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