हमारे तंत्र शास्त्र तथा तन्त्र का प्रयोग करने वालो के लिये एक महत्वपूर्ण वन की औषिधि के नाम से जाना जाता है। यह प्राय: पंसारियो के पास या राशि रत्न बेचने वालो के पास मिल जाती है इसे तांत्रिक सामान बेचने वाले भी अपने पास रखते है। हत्थाजोडी को कर जोडी हस्ताजूडी के नाम से भी जाना जाता है उर्दू मे इसे’बखूर इ मरियम’ कहा जाता है ईरान मे इसे चबुक उशनान के नाम से जाना जाता है लेटिन मे इसे सायक्लेमेन परसीकम कहा जाता है। यह वन की औषिधि है और यह ईरान मे अधिक पैदा होती है पिछले कुछ समय से भारत मे भी इसकी जैसी औषिधि मिलने लगीहै। इस औषिधि के पत्ते हरे रंग के होते है साथ ही यह भी देखा जाता है इन पत्तो के नीचे के हिस्से मे सफ़ेद रंग की परत होती इअ और इस सफ़ेद हिस्से पर बाल जैसे मुलायम रोंये होते है।इसके ऊपर गुलाब की तरह का फ़ूल आता है कही कही पर फ़ूल मे नीला रंग भी दिखाई देता है। इस वनोषधि की उपज किसी भी पेड की छाया मे तथा नम जमीन मे होती है इसकी जड गोल होती है और रंग काला होता है इसी जड मे हत्था जोडी बनती है।
यह निर्माण कार्य कुदरती होता है.चालाक लोग इसे पीस कर चूर्ण बना लेते है और अपनी दुकानदारी चलाने क एलिये किसी व्यक्ति विशेष को किसी भी भांति यह चूर्ण खिला देते है इस चूर्ण का प्रभाव यह होता है कि अधिक गर्म होने से व्यक्ति को चक्कर आने लगते है और प्यास भी लगने लगती है तथा जंभाइयां भी आने लगती है इस प्रकार से वे कहने लगते है कि भूत आ गया है या कोई छाया आ गयी है। लेकिन होता कुछ नही है केवल इसका नशा कुछ समय तक उसी प्रकार से रहता है जैसे कोई तम्बाकू नही खाता हो और उसे तम्बाकू भूल से खिला दी जाये तो कुछ समय तक माथा घूमता रहेगा और बाद मे अपने आप ठीक हो जायेगा। इसके उपयोग भारत मे जो मिलते है वे इस प्रकार से है:-
यह निर्माण कार्य कुदरती होता है.चालाक लोग इसे पीस कर चूर्ण बना लेते है और अपनी दुकानदारी चलाने क एलिये किसी व्यक्ति विशेष को किसी भी भांति यह चूर्ण खिला देते है इस चूर्ण का प्रभाव यह होता है कि अधिक गर्म होने से व्यक्ति को चक्कर आने लगते है और प्यास भी लगने लगती है तथा जंभाइयां भी आने लगती है इस प्रकार से वे कहने लगते है कि भूत आ गया है या कोई छाया आ गयी है। लेकिन होता कुछ नही है केवल इसका नशा कुछ समय तक उसी प्रकार से रहता है जैसे कोई तम्बाकू नही खाता हो और उसे तम्बाकू भूल से खिला दी जाये तो कुछ समय तक माथा घूमता रहेगा और बाद मे अपने आप ठीक हो जायेगा। इसके उपयोग भारत मे जो मिलते है वे इस प्रकार से है:-
- प्रसव की सुगमता के लिये ग्रामीण इलाको मे इसे चन्दन के साथ घिस कर प्रसूता की नाभि पर चुपड देते है इससे बच्चा आराम से हो जाता है।
- इसे गर्भपात करवाने के लिये भी प्रयोग मे लाया जाता है लेकिन इसके आगे के लक्षण बहुत खराब होते है जैसे हिस्टीरिया जैसा मरीज हो जाना आदि भी देखने को मिलता है.
- जब कभी पेशाब रुक जाती है तो इसे पानी के साथ घिसकर पेडू पर लगाने से पेशाब खुल जाता है.
- पेट मे कब्ज रहने पर इसको पानी के साथ घिस कर पेट पर चुपडने से कब्जी दूर होने लगती है.
- मासिक धर्म के लिये इसके चूर्ण की पोटली बनाकर योनि मे रखने से शुद्ध और साफ़ मासिक धर्म होने लगता है लेकिन इस कार्य के लिये किसी योग्य डाक्टर या वैद्य की सहायता लेनी जरूरी होती है.
- हत्थाजोडी का चूर्ण पीलिया के बहुत उपयोगी है पीलिया के मरीज को हत्थाजोडी के चूर्ण को शहद के साथ किसी वैद्य की सहायता लेकर चटाने से दूर हो जाता है.लेकिन इसका चूर्ण शहद के साथ खिलाने के बाद रोगी को कपडा औढा देना जरूरी होता है जिससे पीलिया का पानी पसीने से निकलने लगेगा,पसीना बहुत निकलता है और पीले रंग का होता है कुछ समय बाद पसीने को तौलिया से साफ़ कर लेना चाहिये,इससे यह समूल रोग नष्ट करने मे सहायक होती है.
- जो लोग पारा जमाने वाले होते है वे हत्थाजोडी को प्रयोग मे लाते है वे हत्थाजोडी के चूर्ण को पारे के साथ खरल करते है धीरे धीरे पारा बंधने लगता है,मनचाही शक्ल मे पारे को बनाकर गलगल नीबू के रस मे रख दिया जाता है कुछ समय मे पारा कठोर हो जाता है लेकिन पारा और हत्था जोडी असली ही हो तभी सम्भव है.
- हत्थाजोडी को सिन्दूर मे लगाकर दाहिनी भुजा मे बांधने से कहा जाता है कि वशीकरण भी होता है लेकिन अंजवाने पर यह नही दिखाई दिया.
- हत्थाजोडी बहुत सस्ती होती है लेकिन ईरान से भारत मंगाने पर खर्चा होने और मंगाने पर प्रतिबन्ध होने पर लोग दाब घास की जड को कृत्रिम रूप से हत्थाजोडी का रूप देकर सिन्दूर मे लगाकर बेचते हुये देखे जा सकते है,कुछ चालाक लोग मरे हुये चूजों के पंजो को भी मोड कर सिन्दूर आदि मे लगाकर बेचते हुये देखे जा सकते है.
- बिल्ली की आंवर हत्थाजोडी और सियारसिंगी (सियार के मरने के स्थान पर उगी एक गोल आकार की बालो वाली जडी) को सिन्दूर मे मिलाकर एक साथ रखने से कहा जाता है कि भाग्य मे उन्नति होती है लेकिन मैने कई लोगो को देखा है कि उन्हे कोई सफ़लता नही मिली है.


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