बुखार की बीमारी बहुत दिक्कत देने वाली होती है हाथ पैर शरीर सभी कुछ काम करना बन्द कर देता है और शरीर मे गर्मी की मात्रा बहुत अधिक बढ जाती है। बुखार को थर्मामीटर से नापा जाता है और डिग्री मे इसकी गणना की जाती है जब सामान्य से ऊपर डिग्री पहुंच जाती है तो लोग ऊपर भी पधार जाते है। बुखार को कई नामो से जाना जाता है जैसे मच्छर के काटने से मलेरिया टाइफ़ाइड दिमागी बुखार डेंगू और न जाने कितने प्रकार के बुखार शरीर में अपने आप पनप जाते है वही शरीर बहुत सशक्त होता है तो कोई बुखार नही आ पाता है भले ही मच्छरो से भरे जंगल में पडे रहो लेकिन जैसे ही शरीर मे थकान आती है बुखार आने लगता है। उम्र की चालीसवी साल को पार करने के बाद अक्सर बुखार का का कारण बनता है और जब देखो तब शरीर मे गर्मी की मात्रा बढ जाती है। बुखार को ज्योतिष से राहु की बीमारी के रूप मे माना जाता है जब शरीर मे कैमिकल इफ़ेक्ट अपनी मात्रा मे बदलाव कर लेते है तो बुखार की बीमारी शुरु हो जाती है। बुखार एक प्रकार का नशा जैसा चढता है और जब तक उसकी नशे वाली स्थिति होती है बुखार का जोर बढता जाता है। राहु जब कन्या राशि वृष राशि वृश्चिक राशि का होता है तो लोगों को बुखार की बीमारी कई प्रकार से बढती है। वर्तमान मे राहु की स्थिति वृश्चिक राशि मे होने से लोगो के अन्दर शमशानी बुखार का अन्देशा बहुत अधिक रूप से देखा जाता है। अक्समात भूत सा सवार होता है और कुछ मिनटों में ही शरीर को हिला देता है फ़िर दस पांच दिन हाथ पैर जकडे रहते है तथा जब शरीर शांत होता है तब जाकर कुछ काम करने के लिये मन करता है। बुखार एक रूप इन्फ़ेक्सन की बीमारियों से भी देखा जाता है,जैसे भोजन को किया और चिन्ता मे डूबे रहे या किसी प्रकार की चिन्ता का जो किसी से लेन देन या किसी गलत काम को करने के कारण पैदा हुई है के चक्कर मे अपने शरीर की गति को अलावा गतियों से दूर करके रखा तो भोजन पेट मे सडने लगता है उसके द्वारा शरीर ही भोजन के अन्दर कीटाणुओं को जन्म देने लगता है और वही कीटाणु खून मे मिलकर बुखार का रूप बना लेते है। या तो रास्ता अस्पताल का लेना पडता है या फ़िर शमशान का,दोनो मे एक तो पकडना ही होता है। कई बार लोग बडे से बडे बुखार से बच जाते है और कई बार जरा से बुखार से ही उनका पलायन इस दुनिया से हो जाता है। लेकिन इस राशि मे पडे राहु से जो बुखार लोगो के अन्दर चढा है वह बेईमानी से धन को कमाकर अपनी इच्छा को पूर्ति करने का बुखार ही कहा जाये तो ठीक रहेगा। कई लोग मेहनत करने के बाद भोजन को प्राप्त करते है तो उनके अन्दर खून के कण मजबूत होते जाते है उनके अन्दर बल रहता है और वे किसी प्रकार के अलावा बुखार को शरीर मे नही घुसने देते है कारण उनके अन्दर मेहनत करने के अलावा भी कोई रास्ता नही है और जब उनका दिमाग अलावा कारणो मे नही जायेगा तो अन्य बुखार उनका कर क्या लेंगे। कई बार देखा है कि लोग आल आउट और जाने कौन कौन सी अगरबत्तियां लगाकर सोते है उनके घरों में मच्छरो के जाने का कोई रास्ता नही है लेकिन अक्समात ही उन्हे डेंगू हो जाता है और डाक्टर के पास जाते ही उसे सबसे पहले खून को चढाकर पेलेट्स को कम बताकर उन्हे मजबूत करने का डोज दिया जाता है। जब शरीर को सभी सुविधा मिली हुयी है शरीर को रक्षा करने के लिये बाह्य कारणो को अपने अन्दर संजोया गया है एसी कूलर सर्दी मे गर्म और गर्मी मे सर्द जलवायु को बनाने का सभी कारण पैदा किया गया है तो फ़िर बुखार का रास्ता ही बन्द हो जाता है लेकिन इस प्रकार के कारणो मे बुखार का आना वह भी बडे रूप मे केवल यही समझ बताता है कि लेन देन के चक्कर मे और बडी से बडी रकम कमाने के चक्कर मे शरीर के अन्दर की ताकत को दिमागी ताकत मे लगा दिया गया और दिमागी ताकत को प्रयोग करने में शरीर के खून के रवे सीधे दिमाग तक ही अपनी पहुंच को रखने लगे और दिमागी बुखार का आना शुरु हो गया। अगर शरीर से अन्य मेहनत वाले कार्य किये जाते और शरीर को आराम करने के बजाय मेहनत मे लगाया जाता तो शायद दिमागी बुखार का होना नही माना जाता। इस राशि का राहु एक बुखार को और भी अधिक पैदा करता है वह होता है नशा करने के बाद मांस मछली के भोजन को करना और उसके बाद नई नई शैलियों से कामुकता को बढाकर मैथुन वाला खेल खेलना,इस खेल मे पहले तो मांस मछली के अन्दर के कीटाणु शरीर मे भर लिये गये फ़िर मैथुन आदि के गलत संसर्ग के द्वारा वीर्य सम्बन्धी ताकत को समाप्त कर दिया गया,जैसे ही शरीर की ताकत खतम हुयी एड्स जैसे बुखार वाले कीटाणु शरीर मे घुस गये और मैथुन के कारण शरीर मे जिन्दगी को समाप्त करने वाला बुखार पाल लिया गया। अगर किसी कारण से इस बुखार से बच भी गये तो एक बुखार तो हमेशा दिमाग मे बस ही गया कि घर को छोड कर बाहर के बुखार को कैसे पाला जा सकता है।
जो लोग सत्य पर चल रहे है और सदमार्ग से अपने जीवन यापन को बढा चढा रहे है उनकी उम्र बाकी के जल्दी से धन कमाकर और अनैतिकता मे जाकर जीने वालो से अधिक और कही अधिक पीढी को बढान के लिये देखी जा सकती है। अगर शुरु से ही सदमार्ग पर चला जाये तो बुखार की तो छोडो सिर दर्द भी नही हो सकता है।
जो लोग सत्य पर चल रहे है और सदमार्ग से अपने जीवन यापन को बढा चढा रहे है उनकी उम्र बाकी के जल्दी से धन कमाकर और अनैतिकता मे जाकर जीने वालो से अधिक और कही अधिक पीढी को बढान के लिये देखी जा सकती है। अगर शुरु से ही सदमार्ग पर चला जाये तो बुखार की तो छोडो सिर दर्द भी नही हो सकता है।
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