Wednesday, October 5, 2011

ऊपरी हवा का दोष कितना सच कितना झूठ

व्यक्ति अपने कार्यो मे व्यवहार मे बहुत अच्छा चल रहा है,सभी उसकी बडाई करते है कि कितना होनहार है,कितना कमाऊ है कितनी तरक्की कर रहा है। अचानक परिवर्तन आता है,व्यक्ति सब कुछ छोड छाड कर बैठ जाता है,अपने ही मन मे पता नही क्या क्या सोचता रहता है,न भोजन की चिंता है न किसी प्रकार की आगे या पीछे की चिन्ता है,कोई कुछ कहता है कुछ देर के लिये तन्द्रा भंग होती है और वह या तो कोई उल्टी सीधी हरकत करने लगता है या किसी प्रकार का जोखिम लेने के लिये तैयार हो जाता है।

लडका अच्छी पढाई कर रहा है उसे शुरु से पढाई मे बहुत शौक है वह अच्छे से अच्छे नम्बर ला रहा है,अचानक किसी वह अपनी पढाई को बन्द कर देता है,और बैठ जाता है,उसे सनक सवार हो जाती है वह किसी से भी लडाई करने लग जाता है किसी को भी मारने पीटने के लिये वह अक्समात तैयार हो जाता है,उसे अपनी पढाई लिखाई की कोई चिन्ता नही है,उसे अपने परिवार से भी कोई लगाव नही है,भोजन पानी सोना जगना कार्य व्यवहार सभी कुछ अक्समात बदलने लगते है,कोई अगर उससे कुछ बात करने की कोशिश करता है तो वह पता नही क्या क्या कहने लगता है,बात कुछ की जाती है जबाब कुछ मिलता है,अगर कोई काम जबरदस्ती करवाने के लिये कहा जाये या प्रयास किया जाये तो उल्टी सीधी हरकतो के कारण जो भी घर के सदस्य है वे सभी या तो गुस्सा करने लगते है या मारने पीटने लगते है,लेकिन स्थिति सही नही हो पाती है।

एक महिला अपने परिवार मे सही रूप से रह रही है,उसका पति भी उसे बहुत चाहता है,घर परिवार मे उसकी बडाई की जाती है वह सब की चहेती है जिसे देखो वही उसकी बडाई करते नही थकता है,अचानक वह सभी कार्यो को छोड कर बिस्तर पर पड जाती है,किसी बात का सही जबाब नही देती है,मुंह से लार निकलने लगती है,दांत कभी कभी इतनी जोर से भींच लेती है कि अगर जीभ या कोई अंग दांतो के बीच मे आजाये तो वह कट जाता है,पहले पति या परिवार वाले उसे देखकर उसकी आदतो और व्यवहार को देखकर परेशान होते है उसे डाक्टरो को दिखा जाता है कोई डाक्टर कुछ कोई डाक्टर कुछ अलग अलग तरह की अपनी रिपोर्ट देने लगता है,अजीब हरकतो के कारण उसे झाडफ़ूंक और ओझाओं के पास ले जाया जाता है,जब किसी प्रकार से ठीक नही हो पाती है तो उसे या तो अपने माता पिता के पास छोड दिया जाता है या उसे जैसी है वैसी जीने के लिये ईश्वर के भरोसे छोड दिया जाता है,कई बार जिनका कोई धनी धोरी नही होता है उन महिलाओं को लोग लेजाकर बिना जान पहिचान वाले क्षेत्रो मे चुपचाप छोड भी आते है और समाज परिवार मे यह सूचना दे दी जाती है कि वह बिना बताये कहीं चली गयी है,कानूनी खानापूरी भी की जाती है,लेकिन उस महिला को या तो किसी दुर्घटना का शिकार होना पडता है या वह जैसी है वैसी ही भटकने के लिये मजबूर हो जाती है जानवरो से भी अधिक बुरा कारण उसके शरीर को भोगना पडता है,किसी दिन वह सडक के किनारे या कुआ खन्दी मे मरी मिलती है,अधिकतर सर्दी गर्मी या बरसात अथवा जंगली जानवर भी इस तरह के लोगो के लिये मृत्यु का कारण बन जाते है।

उपरोक्त तीनो कारणो के अलावा भी बहुत से कारण देखने को मिलते है। किसी भी परिवार मे समाज मे स्थान पर यह कारण बडी आसानी से देखने को मिल जायेंगे। इसी प्रकार के कारणो का विवेचन करने और क्यों इस प्रकार के कारण पैदा होते है उनके लिये जब गहनता से निरीक्षण किया गया तो जो कारण और व्यवहार तथा रूप सामने आये वह भी कोई सामान्य नही थे,उनके अन्दर जो बाते समझ मे आयी उनके अनुसार यह मुख्यत: समझ मे आता है:-
  • दिल्ली रोड बहरोड से थोडा आगे एक राजपूतों का गांव है,(गांव का नाम नही लिख रहा हूँ) उस गांव मे इस प्रकार के प्रत्येक परिवार मे कारण देखने को मिल जायेंगे। स्त्री या पुरुष बच्चा हो या जवान किसी न किसी परिवार मे इस प्रकार के कारण अचानक पैदा होते है और वह कितनी ही दवाई अथवा झाडफ़ूंक से ठीक नही हो पाते है। राजपूतो का गांव होने के कारण अक्सर सभी घरो में तामसी भोजन मिलता है,शराब कबाब भूत के भोजन की बहुतायत है,झूठ बोलना शायद हर किसी को आता है,बात बनाना,अपनी औकात को बढ चढ कर बताना,दिखावा करना भी इन्ही कारणो के अन्दर माना जाता है। गांव मे मृत्यु के बाद मरे हुये व्यक्ति के लिये कोई श्राद्ध तर्पण या धार्मिक कार्य को नही किया जाता है,एक प्रकार से पूर्वजो के प्रति कोई मान्यता नही है।
  • एक परिवार कलकत्ता मे देखा (नाम नही लिखूंगा),परिवार के पूर्वज व्यापार या कार्य के लिये राजस्थान से कलकत्ता मे चले गये थे,वहाँ जाकर उन्होने अपनी मेहनत से खूब कमाया नाम किया और प्रसिद्धि भी ली। नई सन्तान आयी पढाई लिखा और विदेशी परिवेश परिवार मे पनपने लगा,किसी भी पूर्वज के लिये कोई मान्यता नही कोई धार्मिक प्रयोजन नही किसी प्रकार की आस्था गये हुये पूर्वजों के लिये नही देखने को मिली। जल्दी से धन कमाने के साधनो का प्रयोग किया जाने लगा,जमीनो की खरीद बेच करना जुआ सट्टा शेयर जैसे कार्य होने लगे और प्रभाव के रूप मे फ़ल यह देखने को मिला कि अक्समात ही परिवार पर आफ़ते टूटने लगीं,सभी अलग अलग बिखरने लगे,शराब कबाब आदि का प्रचलन खूब बढ गया। पूरे परिवार में दिमागी रूप से कोई भी स्वस्थ नही है,बहुत पैसा होने के बाद आज तीसरी पीढी के पास खुद के द्वारा भोजन के प्रति कमाने की भी कोई गुंजायस नही है,पुरानी जायदाद को बेच बेच कर जीवन यापन किया जा रहा है।
  • जयपुर मे भी एक परिवार को देखा इस परिवार का मुखिया गोद गया था। गोद जाने के बाद पुत्र और पुत्रियों के रूप मे सन्तान भी हुयी। केवल धन की चाहत के कारण रिस्ते नाते सभी दरकिनार कर दिये गये,दान पुण्य जो भी किया गया वह किसी न किसी चाहत के लिये किया गया,भगवान के मंदिर भी गये तो केवल किसी कारण को पूरा करने की मान्यता के लिये गये। पूर्वजो की मृत्यु के बाद शांति पाठ का सहारा लिया गया,कोई श्राद्ध नही कोई पूजा नही कोई पाठ नही। मुखिया के मरने के बाद घर की मालकिन अन्धी हो गयीं,एक लडकी ने विजातीय शादी तो कर ली लेकिन उसके भी कोई सन्तान नही एक लडके ने भी विजातीय शादी कर ली लेकिन उसके भी कोई सन्तान नही बाकी के उम्र के पचासवी साल तक कुंआरे ही घूम रहे है,घर के सदस्य एक साथ बैठ नही सकते जब भी किसी बात से साथ साथ बैठना हो जाये तो तर्क वितर्क के कारण माहौल ऐसा पैदा हो जाता है जैसे कुत्ते बिल्ली की लडाइयां हो रही हों,रिस्ते नातों को दरकिनार केवल इसलिये कर दिया गया कि या तो वे बराबर का व्यवहार नही दे पाते या उनके शादी सम्बन्ध समय पर होते है और उनके लिये कोई दिक्कत नही है,ज्योतिषियों तांत्रिको की शरण मे खूब जाया जाता है,लाखो रुपये बरबाद करने के बाद भी घर मे शांति नही है,बिना बात के झगडा करना मारने मरने पर उतारू होजाना भी एक पागलपन जैसी बात ही मानी जाती है।
  • गुजरात के एक बडे शहर में मध्य प्रदेश से एक परिवार दो सौ साल पहले जा बसा। पूर्वजो की भूमि से कोई मतलब नही रह गया। खूब नाम प्रसिद्धि और धन की आवक हुयी,तीसरी पीढी शुरु हुयी,एक बच्चे का दिमाग अक्समात ही शिक्षा के दौरान ही घूम गया,जो भी कमाया गया था वह सभी डाक्टरो और झाडफ़ूंक वालो की भेंट मे चला गया,जमीन जायदाद घर मकान सभी कुछ बिक गया,एक लडका परिवार की इस परेशानी से बचने के लिये अपने को परिवार से अलग करने के बाद अपने काम को करने लगा एक पुत्री पैदा हुयी,एक दुर्घटना मे मृत्यु हो गयी,एक भाई पागल हो गया,माता पिता अभी है,लेकिन खुद को समझदार मानते हुये कोई पूर्वजो के प्रति श्रद्धा नही कोई विश्वास नही कोई स्नेह नहीं,घर नही जमीन नही काम नही धन्धा नही,दूसरो के भरोसे जीवन की नाव चल रही है,परिवार की समाप्ति हो गयी।
यह सब कारण अक्सर लोग ऊपरी हवा के प्रभाव के कारण मानते है। लेकिन ज्योतिष मे जाने के बाद और इसी प्रकार के हजारों कारणो को देखने परखने समझने के बाद जो बात सामने आयी वे इस प्रकार से है:-
  • राहु को ज्योतिष से पूर्वजो की श्रेणी मे रखा गया है। पिता पितामह प्रपितामह आदि के लिये राहु को ही देखा जाता है। मेष का राहु अकेले पूर्वज से चलने वाली सन्तान के लिये माना जाता है,वृष का राहु सात भाइयों के रूप मे पूर्वजो को देखता है,मिथुन का राहु जाति या धर्म बदल कर या स्थान बदल कर शुरु की गयी पीढी के रूप मे माना जाता है कर्क का राहु प्रपितामह को स्थान बदल कर और पितामह को ससुराल में या पितामही के सहयोग से किसी स्थान मे बसने के लिये बोला जाता है,सिंह का राहु प्रपितामह को किसी जागीर का मालिक या राज्य से जोड कर देखा जाता है कन्या का राहु किसी प्रकार से पितामह या प्रपितामह को सेवादार के रूप मे देखा जाता है,तुला के राहु को दो पूर्वजो की मिली जुली संतान के रूप मे माना जाता है जो एक अविवाहित रहा हो और दूसरा विवाहित होकर आगे की सन्तान को चलाने वाला माना जाता रहा हो,वृश्चिक का राहु प्रपितामह या पितामह के द्वारा अपनी पूर्वजो की भूमि को त्याग कर दूर जाकर तथा अपनी औकात को समाप्त करने के बाद दुबारा से अपने को आगे बढाने के लिये माना गया है,धनु का राहु अकेले संस्कारो से युक्त पूर्वज के लिये माना गया हो जो अपने समय मे धर्म मर्यादा और अपनी जाति का फ़ायदा उठाकर लोगों को धर्म के नाम से ठगने धर्म के नाम पर लूटने या धर्म के नाम पर राज्य करने अथवा धर्म के नाम पर कानून बनाकर अथवा विदेश मे जाकर अपनी मान्यता को कायम रखने के लिये जाना जाता है,मकर का राहु भी दो पूर्वजो का एक साथ चलना धीरे धीरे एक पूर्वज का वंश धीरे धीरे समाप्त होता जाना और एक का लगातार आगे बढते जाना माना जाता है,कुम्भ का राहु किसी प्रकार की सेवा या नौकरी करने के लिये घर से दक्षिण पूर्व दिशा मे जाकर बसा हो और वहीं उसने किसी प्रकार से अपनी संतति को चलाने का प्रयास किया हो,मीन का राहु अपनी जाति कुल मर्यादा जन्म भूमि और इसी प्रकार की प्रक्रिया से आगे बढने के लिये माना गया है।
  • राहु के प्रति कुल के समाप्त हो जाने और गोद लेकर आगे के कुल को बढाने के लिये भी मीमांसा की गयी है कि अगर बुध किसी प्रकार से केतु का साथ ले लेता है तो पूर्वजो मे कोई दत्तक पुत्र की गरिमा से अपनी पीढी को आगे बढाने के लिये माना जाता है।
  • राहु के अन्दर अन्य ग्रहों का रूप सम्मिलित होने से भी जाति और पूर्वजों के खून का मतलब निकाला जाता है,जैसे मंगल राहु का सम्मिलित रूप राजपूत कुल के लिये राहु के साथ सूर्य के सहयोग से बनावटी राजपूत के लिये राहु के साथ गुरु के सम्मिलित होने से किसी ब्राह्मण कुल के पूर्वज के लिये तथा इसी प्रकार से शनि के साथ राहु के होने से शूद्र कुल के पूर्वज के लिये माना जाता है लेकिन मंगल हमेशा पूर्वजों के जातीय रक्त के बारे मे जानकारी देता है।
  • राहु के द्वारा द्रिष्टि से जिस ग्रह को बाधित किया जा रहा होगा उस ग्रह से सम्बन्धित लोग किसी न किसी प्रकार की विक्षिप्त अवस्था मे जाते हुये मिलते है। जैसे राहु धनु राशि का बारहवे भाव मे है और वह अपनी अष्टम द्रिष्टि से सप्तम स्थान मे कर्क राशि के सूर्य शुक्र और बक्री बुध को देख रहा है। जैसे ही गोचर से राहु का पदार्पण धनु राशि की तरफ़ आयेगा,वह सूर्य से पिता को शुक्र से घर मकान और कार्य को तथा वक्री बुध से दिमाग मे हलचल पैदा कर देगा,बारहवे भाव मे धनु राशि होने का मतलब है कि लगन मकर राशि की है और वहां पर शनि का राज होगा,अगर शनि वक्री है और उसका सम्बन्ध किसी भी प्रकार से मंगल से जिस भाव मे होगा उसी भाव के समय मे जातक के अन्दर खून के अन्दर उत्तेजना शुरु हो जायेगी और वह अपनी ऊल जुलूल हरकतो से पूरे परिवार पिता घर कार्य आदि को बरबाद करने के लिये अपनी शक्ति को दे देगा,जैसे मंगल अगर वृष राशि मे है तो मकर राशि से वृष राशि पंचम स्थान मे आती है,जातक के साथ प्रभाव शिक्षा के समय मे ही शुरु हो जायेगा,अगर वह कन्या राशि मे है तो जातक की पहली सन्तान के समय मे उसके साथ इस प्रकार का कारण पैदा हो जायेगा।
राहु के उपाय के लिये बुजुर्गो ने कई नियम निकाले है उन पर जो लोग आज भी चल रहे है वे अपनी सन्तान और परिवार से दुखी नही है जैसे कि पूर्वजो के नाम से किसी धर्मशाला या निवास का बना देना,गौशाला बनवा देना,उजडे हुये पूर्वजो के स्थान मे रिहायसी मकान आदि का बनवा देना और समय समय पर पूर्वजो के प्रति किसी भी प्रकार के श्रद्धा भोज या धार्मिक प्रयोजन करते रहना। अगर कोई व्यक्ति दूर देश मे वश गया है और वह किसी प्रकार से अपनी उपरोक्त प्रकार की प्रक्रिया को नही कर सकता है तो उसे या तो खुद के द्वारा या किसी भरोसे वाले व्यक्ति के द्वारा पितरों के नाम से नाम गोत्र आदि बताकर राहु के नाम का तर्पण करवाना भी सन्तति को आगे बढाने और जीवन की परेशानियों से बचने का अच्छा उपाय है।

अधिक जानकारी के लिये लिख सकते है :- astrobhadauria@gmail.com या अपने राहु के बारे मे जानने के लिये इस बेव साइट पर अपने जन्म विवरण को भेज कर पता कर सकते है:- http://www.astrobhadauria.com ज्योतिष के मामले मे किसी भी शंका को दूर करने के लिये http://astrobhadauria.wikidot.com को भी पढ सकते है।

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