सूर्य से छठे भाव मे शनि लगन से चौथे भाव मे चन्द्रमा जब भी जन्म के चन्द्रमा के साथ शनि का गोचर होगा स्फ़ुट योग के कारण माता को मृत्यु तुल्य कष्ट होगा। भाग्य के स्वामी के साथ जब भी शनि का गोचर होगा तभी स्फ़ुट योग के कारण पिता के लिये मृत्यु तुल्य कष्ट होगा। कष्ट को देने वाला शनि जब सन्तान भाव से गोचर करेगा और मंगल जन्म से लगन मे होगा तो जातक को पुत्र लाभ देने के लिये स्फ़ुट योग काम करेगा। जब सप्तम के स्वामी के साथ शनि गोचर करे और लगन मे चन्द्रमा स्थापित हो तो जातक को पत्नी लाभ भी स्फ़ुट योग के कारण ही मिल पायेगा। जब चौथे भाव के स्वामी के साथ शनि गोचर करेगा और जन्म समय से चन्द्र और मंगल लगन मे हों तो जातक को भूमि लाभ भी स्फ़ुट योग के कारण होता है। जन्म समय से लगन मे चन्द्र और सूर्य स्थापित हों और छठे भाव के मालिक के साथ शनि का गोचर हो तो जातक को या तो शस्त्र से पीडा होती है या जातक का आपरेशन आदि स्फ़ुट योग के कारण होता है। गुरु चन्द्र और सूर्य धन भाव मे हो और शनि का गोचर जब धन स्थान के स्वामी के साथ हो तो अतुल मात्रा मे जातक को धन की प्राप्ति स्फ़ुट योग के कारण होती है। चौथे भाव के स्वामी के साथ जब शनि का गोचर हो चौथे भाव मे ही सूर्य और चन्द्र की उपस्थिति जन्म के समय मे हो स्फ़ुट योग के कारण जातक को विद्या लाभ होता है। शनि का जन्म के पंचम भाव के स्वामी से गोचर हो जन्म के समय मे चन्द्र और गुरु लगन मे हों तो राज्य से लाभ मिलने का कारण भी स्फ़ुट योग के कारण ही होता है। बारहवे भाव के स्वामी के साथ शनि का गोचर हो और मंगल चन्द्र लगन मे हों तो अक्समात दुर्घटना का कारण स्फ़ुट योग की उत्पत्ति से होता है। शनि कर्म भाव के स्वामी के साथ गोचर कर रहे हों,जन्म लगन मे चन्द्र और सूर्य विद्यमान हो,स्फ़ुट योग के कारण शरीर से बीमारियों का अक्समात ही खात्मा हो जाता है। शनि का गोचर लाभ स्थान के स्वामी के साथ हो रहा हो,लगनेश और शुक्र के साथ सूर्य की युति लगन मे बन रही हो तो स्फ़ुट योग के कारण अक्समात धन की प्राप्ति होती है। भाग्य और कर्म स्थान के स्वामी के साथ शनि का गोचर हो तथा सूर्य चन्द्र किसी पापी ग्रह की द्रिष्टि मे नही हो तो स्फ़ुट योग के कारण मन चाहे कार्य सिद्ध होने लगते है।
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