Saturday, June 4, 2011

कुंड्ली में दूसरी शादी का योग (पुरुष)

वैवाहिक जीवन जीने के लिये सामाजिक मान्यता को लेना जरूरी होता है,वह मान्यता अगर नही ली जाती है तो समाज मर्यादा और आने वाली पीढी के लिये यह समझना मुश्किल हो जाता है कि यह वैवाहिक संबन्ध कितना अच्छा फ़ल समाज और परिवेश को दे पायेगा। जीवन में काम नामक पुरुषार्थ की पूर्णता के लिये भी शादी जरूरी है। कुंडली के अनुसार काम नामक पुरुषार्थ तीसरे सातवें और ग्यारहवे भाव से मानी जाती है। तीसरा भाव शादी के लिये महत्वपूर्ण इसलिये माना जाता है क्योंकि नवे भाव की सामाजिक मर्यादा को रखकर अपने अच्छे या बुरे प्रभाव को देने वाला होता है,अगर पीछे का परिवेश सही रहा है माता पिता अपने अपने अनुसार सही रूप में रहते आये है तो व्यक्ति अपने पिता और माता के संस्कार अपने अन्दर लेकर उनके लिये समाज में स्थान देने के लिये अपनी पारिवारिक पृष्ठ भूमि को कायम रखेगा,अगर माता पिता ने ही कोई सामाजिक मर्यादा को ठुकराकर अपने मन से दूरिया बनायी है तो औलाद भी अपने को अकेला मानकर और समाज परिवेश की मान्यता को नही रखकर कैसे भी अपनी नई दुनिया बसाने के लिये जरूर प्रयास करेगी। पंचम का ग्यारहवां भाव तीसरा होता है,अगर तीसरे भाव में शुक्र है और लगनेश पंचम में है तो जातक की दूसरी शादी जरूर होनी मानी जाती है,लेकिन शादी के बाद जातक को अपने परिवार से दूर रहना पडता है। तीसरा शुक्र भी भाभी के रूप में जाना जाता है,यानी जातक की पत्नी परिवार में भाभी की औकात को लेकर ही आयेगी,इस प्रकार से जातक को अपने भाई बहिनो में बडा भी माना जाता है,किसी भी ग्रह की पूर्ण द्रिष्टि अगर नवे भाव पर है तो यह समझना चाहिये कि वह दोहरी नीति को समझने और करने वाला होगा,इसी प्रकार से ग्रह का रूप जीवित अथवा वस्तु के रूप में पाया जाना उसके लिये ग्रह से चौथे स्थान से भी देखा और परखा जाता है। सूर्य और शनि एक साथ ही हो तो जातक के पिता से भी और अपने परिवार से भी नही बनती है,तीसरे भाव से चौथे भाव का कारण ही जीवन साथी की अन्तिम गति मानी जाती है,अग गुरु है तो सांस की बीमारी मंगल है तो जलने या अस्पताली कारण लडाई झगडा या कोई डकैती आदि के कारण, बुध है तो घर की बहिन बुआ बेटी के द्वारा राजनीति और अपने अपने कानूनो से जीवन साथी के साथ दुर्व्यवहार करना शुक्र है तो गुप्त रूप से सम्बन्ध स्थापित होने के कारण अचानक लापता हो जाना।

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