Monday, June 13, 2011

अमावस्या का जन्म और शेयर बाजार लाटरी सट्टा से फ़ायदा

काली अन्धेरी रात और चन्द्रमा का अस्त रहना अमावस्या के लिये माना जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा एक साथ होते है,इस दिन जो जातक जन्म लेता है वह शेयर बाजार लाटरी सट्टे मे अपने धन की बढोत्तरी करता है। लेकिन यह बात प्रत्येक अमावस्या को जन्म लेने वाले जातक के लिये नही मानी जाती है,जन्म समय की लगन और लगन का स्वामी अगर सूर्य का मित्र होता है तो ही यह फ़ायदा देखा जाता है। इस बात की जानकारी के लिये एक उपाय और है कि जातक के दाहिने हाथ में तर्जनी उंगली के पर्वत पर अगर + का निशान है यानी क्रास है तो भी माना जाता है कि जातक का जन्म सूर्य और चन्द्र की युति में हुआ है और जातक का लगनेश सूर्य का मित्र है,इस बात को और गहराई से जानने के लिये सूर्य पर्वत को भी देखा जाता है,वह अगर एक रेखा को मस्तिक रेखा से मिलाता है तो भी जातक के लिये जल्दी से प्रयास करने पर धन मिलता है। जो लोग अमावस्या को पैदा होते है और सूर्य चन्द्र की युति किस किस भाव में जातक के लिये प्रभावी होती है उसका निराकरण इस प्रकार से किया जाता है:-
  • मेष लगन में सूर्य चन्द्र की युति लेकिन मंगल का सूर्य को मित्र भाव से देखना फ़ायदा देने वाला होता है.
  • मिथुन लगन में सूर्य चन्द्र की युति बुध का मित्र भाव से सूर्य को देखना जरूरी है.
  • कर्क लगन में सूर्य चन्द्र की युति फ़ायदा देने वाली होती है.
  • धनु लगन में सूर्य चन्द्र की युति फ़ायदा देने वाली होती है लेकिन गुरु का मित्र भाव से सूर्य को देखना चाहिये.
  • मीन लगन में सूर्य चन्द्र की युति लेकिन गुरु का सूर्य को मित्र भाव से देखना जरूरी है.
इसके अलावा भी और युतियां शेयर बाजार लाटरी आदि में फ़ायदा देने वाली होती है-
  • सभी ग्रह राहु केतु को छोड कर १ २ ३ ७ ८ १० ११ भाव में हों
  • सूर्य चन्द्रमा से ३ ६ ८ ११ भावों में और धनेश केन्द्र में हो.
  • चन्द्र गुरु की युति २ ४ ५ ९ ११ में हो.
  • बुध पंचम में हो और वह मित्र गृही हो,मंगल और चन्द्रमा लाभ देने वाले भावो में हो.
  • दूसरे भाव के मालिक और लाभ भाव के मालिक अपनी उच्च राशियों में हो और गुरु का बल मिल रहा हो.
  • पांचवें भाव में चन्द्रमा शुक्र के द्वारा देखा जा रहा हो,धनेश बलवान हो तो यह युति बनती है लेकिन पत्नी या पति की कंजूसी से यह युति अक्सर कमाने के बाद भी दुखी रखती है.
  • धन भाव और मृत्यु भाव के स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन करके बैठे हों,लेकिन बुध आगे या पीछे होने से सरकारी रूप से धन का हरण करने के लिये भी जिम्मेदार हो ऐसे जातकों को कन्या से सम्बन्धित कार्य जैसे स्कूल पाठशाला या कन्या सेवा का कार्य करना चाहिये.
  • पांचवे स्थान में राहु या केतु अपनी मित्र रूप में युति दे रहे हो तो व्यक्ति को अधिक से अधिक धन कमाने का भूत सवार रहता है.
  • छठे भाव का मालिक और लाभ भाव का मालिक अगर लाभ में ही विराजमान हो,लेकिन मंगल अष्टम में नही हो.
  • गुरु नीच का हो और राहु का स्थान त्रिकोण में हो तो व्यक्ति ओछी हरकत से यानी रिस्वत आदि लेकर धन का उपार्जन करता है लेकिन संतान से दुखी हो जाता है.

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