Thursday, June 23, 2011

ह्रदय रोग



शरीर की बीमारियों के मामले में अगर देखा जाये ग्रह अपनी सूचना को पहले से देते है अगर जातक सचेत होकर अपने ग्रहों को समझता रहे तो उन बीमारियों से बचा रहेगा। अक्सर ह्रदय रोग सबसे खतरनाक माना गया है वैसे तो बुखार आना भी खतरनाक है लेकिन ह्रदय रोग के कारण बनने के लिये ग्रह युतियों का ध्यान रखा जाये और वास्तविक जीवन के ग्रहों से बचा जाये तो इस रोग से बचा जा सकता है। जैसे बुध का स्थान मेष लगन में है और राहु बुध को ग्यारहवे भाव से देख रहा है साथ ही शनि भी कर्क राशि से बैठ कर अपनी युति को बुध के लिये प्रदान कर रहा है तो जातक के अन्दर पानी वाली बीमारी होगी शनि किसी भी प्रभाव को अपने दसवे स्थान को सप्लाई करता है,जैसे शनि इस कुंडली में पानी वाले भाव और राशि में है,यह अपने असर को सीधा दसवीं द्रिष्टि से बुध को देगा इस असर का रूप शनि के अनुसार होगा जैसे शनि की सिफ़्त ठंडी और गन्दी है तो यह लगन के बुध यानी सिर के स्नायु तन्त्र को ठंडा और गंदा प्रभाव देगा,लेकिन कब देगा इसके लिये जातक के कर्मफ़ल स्थान के बैठे राहु का असर जब बुध को मिलेगा। यानी जातक के रहने वाले स्थान में जहां शनि स्थापित है,वह पानी वाले नम और गन्दे स्थान के रूप में जाना जायेगा,तालाब या नदी वाले स्थान को पाट कर बनाया गया माना जायेगा,अथवा वह निम्न स्तरीय जीवन को जीने वाले लोगों के बीच में जाना जायेगा,उस स्थान पर रहने के कारण तथा किये जाने वाले कार्यों में किसी ऐसी जलवायु का होना जहां कैमिकल इफ़ेक्ट अधिक होगा वह जातक को अपने असर में लेगा और जातक की नाक हमेशा बहती रहेगी,धीरे धीरे यह असर सीधा फ़ेफ़डों पर जायेगा और सांस वाली बीमारी स्नोफ़ीलिया जुकाम का बना रहना कानों के अन्दर सुरसुराहट का रहना आदि असर देखने को मिलेंग॥
इसके लिये जातक को तत्वो के रूप में मंगल जो शनि की सिफ़्त को गर्म करेगा,सूर्य जो राहु के कैमिकल इफ़ेक्ट को कम करेगा तथा शुक्र जो जातक के लगन के बुध को अपने कन्ट्रोल में लायेगा के लिये मूंगा माणिक और जिरकान का पेन्डल पहिना जाना चाहिये साथ ही जातक को ऐसे स्थानों के निवास से दूर रहना चाहिये उन कामो से बचना चाहिये जो अपने द्वारा वायु में कैमिकल इफ़ेक्ट को पैदा करते हों। वैसे तो इस पेंडेंट की कीमत बाजार में स्टोन को खरीदने फ़िर उसे बनवाने में हजारों रुपयें में मानी जाती है लेकिन इसे मेटल में बनवा कर और थोक की कीमत में लेने से यह अधिक से अधिक दो हजार रुपये का मिल जाता है,इसे लेने के लिये नीचे लिखे ईमेल पर अपनी इच्छा को लिख सकते है,इसे बनाने में माणिक लगभग सवा पांच रत्ती मूंगा पांच से छ: रत्ती और जिरकान सवा पांच रत्ती का प्रयोग में लाया जाता है।अपने बारे में शरीर के रोगों के बारे में भी आप मेरी बेव साइट से सम्पर्क कर सकते है।
ह्रदय रोग के लिये बहुत से कारण और भी बनते है जिनके लिये अगर विस्तृत रूप में कुंडली का विवेचन किया जाये तो कारण मिलने लगते है। इस कुंडली में जो मेष लगन की है और शनि पानी वाले भाव कर्क राशि में विराजमान है,साथ ही राहु छठे भाव में जो बीमारी का भाव माना जाता है में विराजमान है,राहु अपनी उल्टी द्रिष्टि से पानी वाले भाव में बैठे शनि को देख रहा है,तथा शनि और राहु के बीच में चौथे भाव का मालिक चन्द्रमा है,शनि और राहु को पाप ग्रह की उपाधि दी गयी है,दो पाप ग्रह के बीच में बैठा चन्द्रमा ह्रदय रोग की बीमारी का संकेत दे रहा है। इस संकेत से जाना जा सकता है कि जातक का निवास ठंडे और गन्दे स्थान में है तथा वह जो रोजाना के कार्य करता है उसके अन्दर किसी न किसी प्रकार की गन्दगी वाली बात है जो रहने वाले स्थान में वायु को गन्दा कर रही है। छठे भाव को उत्तर पश्चिम दिशा का कारक कहा जाता है जो पश्चिमी दिशा से लगे कोने में रहने वाले स्थान के रूप में भी जाना जाता है राहु का दु:स्थान में जाने का मतलब है कि कोई गन्दा प्रभाव देने वाली वस्तु या कारक उस स्थान पर स्थापित है अधिकतर मामले में इस स्थान पर अगर घर का टायलेट है तो वह भी गन्दी श्रेणी में आयेगा अथवा उस स्थान पर कचडा आदि डालने की जगह अथवा रहने वाले मकान के इस दिशा में कोई गन्दा कारक स्थापित है,इन कारणों से ह्रदय रोग की सम्भावना बढ जाती है और चन्द्रमा बाधित हो जाता है।
अक्सर एक उपाय बहुत ही कारगर सिद्ध माना जाता है कि जब चन्द्रमा राहु से या शनि से पीडित हो तो केतु का उपाय फ़लदायी हो जाता है,इस उपाय के लिये केतु को सूर्य की या मंगल की धातु में स्थापित करने के बाद उस धातु में मंत्रों से पूरित ताबीजी रूप देकर लहसुनिया को स्थापित कर दिया जाता है इस ताबीजी रूप में बने लहसुनिया को गले में धारण करने से इस प्रकार के ग्रह योग से बने ह्रदय रोग में सहायता मिलती है। पंचम भाव का चन्द्रमा शिक्षा वाले कार्यों के लिये मनोरन्जन वाले कार्यों के लिये और जल्दी से धन कमाने वाले कार्यों के लिये जाना जाता है,शनि जो पानी वाले स्थान में बैठ कर अपना रूप कागज के रूप में भी लेता है और वाहन के रूप में भी जो पानी के अन्दर चलाये जाते है का रूप धारण कर लेता है,चान्दी चावल और उन ठोस कारकों का रूप लेता है जो पानी से अधिक पैदा होते है,अथवा जनता के बीच में रहकर अपने कार्यों को करना भी माना जाता है,साथ ही कार्य करने वाले स्थान के रूप में भी जाना जाता है,जैसे राहु के छठे भाव में होना यानी कार्य स्थान के पास में या तो सार्वजनिक टायलेट का होना या कार्यस्थान के पास में किसी प्रकार की अस्पताली गंदगी का इकट्ठा होना अथवा सफ़ाई कर्मचारियों के द्वारा कचडे को इकट्ठा करने वाला स्थान होना आदि भी माना जाता है इन स्थानों से भी बचने के उपाय करने चाहिये।
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