Saturday, June 4, 2011

बरबादी का कारण और ग्रह

एक जातक ने गुजरात से प्रश्न किया है कि वह एक अच्छी नौकरी करता था और एक अच्छा धन सम्बन्धी व्यवसाय करता लेकिन आज वह कार्य से भी हीन है और उसने जो धन सम्बन्धी व्यवसाय किया था उसके अन्दर पैसा भी फ़ंस गया है और नुकसान भी हुआ है। प्रस्तुत कुंडली मीन लगन की है और इसका स्वामी गुरु है,गुरु लाभ भाव में नीच का होकर मकर राशि मे विराजमान है। भाग्य में कर्जा दुश्मनी बीमारी नौकरी के मालिक सूर्य विराजमान है,बुद्धि के मालिक चन्द्रमा सप्तम स्थान में कर्जा दुश्मनी बीमारी और नौकरी की द्योतक राशि कन्या में विराजमान है। वक्री शनि शनि कमन्यूकेशन तथा अपने को संसार में दिखाने की राशि मिथुन में केतु के साथ विराजमान है,इस शनि का सीधा असर रिस्क दलाली और अपमान के भाव अष्टम में व्यापार और इन कारकों में बेलेन्स बैठाने वाली राशि तुला में बुध के साथ है,इसके बाद शनि केतु का असर दसवें भाव में स्थापित कार्य भाव में गुरु की राशि धनु में शुक्र और राहु पर भी है। वर्तमान में गुरु में राहु का अन्तर भी चल रहा है,और शनि का गोचर जन्म के चन्द्रमा पर सप्तम में है केतु का गोचर जन्म के शनि के साथ पिछली 11 मई को पूर्ण हुआ है,राहु का गोचर भी जन्म के शुक्र और कार्य भाव में स्थापित राहु के साथ इसी तारीख को पूर्ण हुआ है। इस कुंडली में शनि वक्री है। केतु के साथ शनि के होने से जातक के अन्दर कमन्यूकेशन के मामले में एक अच्छी योग्यता को माना जाता है और जातक के लिये प्राइवेट संस्थान में दलाली जैसे कार्य करना संस्थान के व्यापारिक गुणों को जानना और उनके लिये लिये जाने वाले रिस्क आदि की पूरी जानकारी रखना भी माना जाता है। जब केतु जन्म के शनि से गोचर करता है तो कार्य मुक्ति का समय माना जाता है,कारण केतु को मोक्ष देने के छाया ग्रह के रूप में माना जाता है। इस केतु ने पिछले समय में जन्म के शनि के साथ गोचर किया है। इसके साथ ही जब शनि का गोचर जन्म के चन्द्रमा के साथ होता है तो यह साढेशाती का समय जाना जाता है,तथा जातक के लिये अपमान देने के लिये जातक की माता अगर जीवित है तो उसे कष्ट देने के लिये और जातक के द्वारा जो भी काम किया जाता है उसके अन्दर मानसिकता को फ़्रीज करने के लिये माना जाता है। यानी शनि अगर कन्या राशि के चन्द्रमा के साथ गोचर में है तो पहले तो नौकरी वाली मानसिकता को फ़्रीज करेगा,जो कार्य चल रहे होते है उन्हे किन्ही अन्य कारणों में लेजाकर किये जाने वाले कार्यों को बन्द कर देगा साथ ही शनि अपनी द्रिष्टि से जिन जिन भावों को चौथी और दसवीं द्रिष्टि से देखेगा उन्हे बरबाद कर जातक की जिन्दगी को तबाह कर देगा। इस कुंडली के भाग्य का मालिक मंगल है और मंगल इस कुण्डली में वक्री होकर धन भाव में स्वराशि का होकर भी वक्री है। मार्गी मंगल तो हिम्मत देता है,लेकिन वक्री मंगल शारीरिक बल में कमी कर देता है साथ ही जब भी यह अपने गोचर के अनुसार वक्री होता है जातक के सामने उन कारणों को ले जाकर खडा कर देता है जो कारण अपने आप के द्वारा पैदा किये कार्यों के कारण दब्बू बनाकर रख दे। इसके साथ ही ह्रदय का मालिक बुध है जो अष्टम स्थान में जाकर ह्रदय सम्बन्धी परेशानी भी दे दे,यह परेशानी जातक के पिता के लिये भी जातक के लिये भी और जातक की पुरुष सन्तान के लिये भी लगातार चलनी मानी जाये। संसार में हर व्यक्ति अपने को तीसरे भाव की राशि और उसके मालिक के अनुसार प्रदर्शित करना चाहता है। इस कुंडली में प्रदर्शन का मालिक शुक्र है शुक्र का स्थान राहु के साथ है राहु और शुक्र का स्थान कार्य भाव में गुरु की धनु राशि में है। राहु शुक्र का अर्थ कई कारणों में लिया जाता है,जब धनु राशि का शुक्र हो तो जातक की शादी के बाद उसका भाग्योदय होता है,साथ ही राहु भी साथ हो तो जातक के विवाह में समारोहो में बहुत अधिक धन खर्च भी होता है,जातक अपने को हमेशा चमक दमक की जिन्दगी में ले जाकर जीना चाहता है और शुक्र का असर अगर केतु शनि के साथ है तो जातक को अपने आसपास के क्षेत्र में अपनी इज्जत को लेकर चलने में और अधिक दिखावा करने के बाद अपने को बडे रूप में प्रदर्शित करने के लिये भी माना जाता है। गुरु की दशा चलने के कारण और राहु का अन्तर गुरु में जाने के कारण भी एक कार्य और व्यवसाय के लिये खतरनाक समय माना जाता है। वर्तमान मे शनि की साढेशाती चल रही है और केतु का गोचर भी चौथे भाव से होकर निकला है,राहु का गोचर भी शुक्र से होकर निकला है,साथ ही भाग्य भाव में राहु का गोचर सूर्य के साथ है। यह राहु सूर्य यानी पिता या पिता की जायदाद या पुत्र के लिये अस्पताली कारणो के लिये ले जाने के लिये भी अपनी शक्ति को प्रदान करेगा पिता के लिये बालारिष्ट योग पैदा करेगा। केतु गुरु का सहारा लेकर कार्यों के लिये किसी मित्र की सहायता में जायेगा और किसी मित्र के संस्थान में या किसी कार्य स्थान में धन को सम्भालने के कार्य सरकारी संस्थानो से जुडे या सरकारी कार्यों की ठेकेदारी या सरकारी कार्यों की दलाली वाले कार्यों की तरफ़ ले जायेगा,शनि की साढे शाती का समय आने वाले नवम्बर के महिने तक मानी जायेगी लेकिन यह अपना असर लगातार तीन साल तक और देगी,इसका असर जातक के लिये तब और खतरनाक माना जायेगा जब शनि गोचर से वक्री होगा। मार्गी समय में तो इस जातक को कोई न कोई सहायता अपने कार्यों और कार्यों के पिछले कारणों से भुगतान मिल सकता है।
जातक को अपने जीवन में सुधार के लिये लगनेश के लिये गुरु रत्न बुद्धि के मालिक के लिये पंचमेश का रत्न और भाग्य भाव के लिये मंगल (बद) का रत्न धारण करने से जीवन के क्षेत्र में बढावा देने के लिये अपना बल देगा इन रत्नो को एक साथ पेंडल में बनवा कर पहिना जाना जातक के लिये ठीक रहेगा। साथ ही ह्रदय सम्बन्धी बीमारी के लिये या सरकारी आफ़तो से बचने के लिये सूर्य आराधना भी ठीक रहेगी तुरत उपाय के लिये किसी रविवार को आठ मुट्ठी या आठ किल गेहूं किसी धर्म स्थान में दान करना भी उचित फ़ल देने वाला होगा। डोरिया पुखराज भी जातक के लिये ब्रोकर वाले कामो के लिये तथा स्टाक मारकेट के लिये उचित फ़ायदा देने समय पर धन की स्थिति को सम्भालने के लिये माना जा सकता है तीनो रत्नो का पेंडल Rs.3100 का है तथा डोरिया पुखराज की कीमत Rs.22000/- रुपये का है,इन्हे मंगाने के लिये वही जातक लिख सकते है जिनके धनुराशि का राहु शुक्र हो और शनि (व) केतु के साथ मिथुन राशि का हो। मंगाने के लिये इस ईमेल पर लिख सकते है - astrobhadauria@gmail.com

3 comments:

sunil khurma said...

hi ramendra ji
namaskaar
vishtaar purvak kundali vivechan bahut hi interesting and knowledge vardhak hai..plz keep it up..i am learning a lot thanks...

sunil khurma said...

ramendra ji
if i have to learn more from you about astrology how can i??

Unknown said...

your vivechan is good but it create some confussion