Monday, March 7, 2011

कुत्ता रोये छत पर लडका कब्रिस्तान

इस कहावत को कहने के लिये कितने लोगों ने अपने अपने अनुसार इसका मतलब समझने की कोशिश की होगी और कितनी बार इसे अंजवाया होगा इसका कोई विवरण नही मिलता है। जब तक खुद के साथ कोई बात नही हो जाये तब तक समझना या समझाना किसी के वश की बात नही है। लोगों को कुत्ता पालने की आदत होती है और कुत्ते का मतलब केवल दरवाजे तक सीमित हो तब तक तो सही समझ में आता है,बैठक तक हो तो भी कुछ नही कहा जा सकता है,सोने वाले कमरे तक हो तो भी कोई बात नही है,कभी कभी किचिन में भी चला जाये तो भी कोई बात नही,अगर कुत्ते को घर में रखना भी है और घर में आने जाने वाले लोगों से उसे दूर भी रखना है,जैसे किसी के द्वारा घंटी के बजाते ही कुत्ते का काम भौंकना है और वह अन्जान व्यक्ति को देखकर भौंकेगा भी और हो सकता है काट भी ले इसलिये जिन लोगों के पास अधिक आने जाने वाले लोग होते है या वे अपने काम का स्थान भी घर पर बना लेते है या किसी समारोह को घर के अन्दर आयोजित करने के समय या कहीं बाहर आने जाने के समय कुत्ते की करतूतों से बचने का उपाय कुत्ते को छत पर छोड दिया जाये उसके लिये पानी भोजन का इन्तजाम छत पर ही कर दिया जाये तो कुत्ते के लिये इन्तजाम अच्छा समझा जाता है और जब कुत्ता घर की छत पर होगा और जब उसे अपने मालिक की आवाज नही मिलेगी या उसके द्वारा यह समझा जायेगा कि मालिक उससे दूर है और उसे कोई देखने वाला नही है उसे कोई समझने वाला नही है तो वह ऊ ऊ की आवाज में रोना शुरु कर देगा,भोंकेगा कुरकुरायेगा कूकेगा और रोयेगा भी जब यह सब कारण पैदा हो जायेंगे तो पहले तो पडौसी मन ही मन में गालियां निकालेंगे कि बिना बात का प्रदूषण उनके लिये तैयार कर दिया गया है। रखवाली पडौसी की होनी है और हजम करना उनके लिये है तो गालियां ही मिलेंगी। कोई शांत स्वभाव का हुआ तो और भी बुरी बात मानी जा सकती है कि वह गालियां तो नही देगा लेकिन वह अपने ही मन में भगवान से जरूर प्रार्थना करेगा कि या तो कुत्ते को वह उठा ले या उस पडौसी को यह दिमाग दे दे कि वह कुत्ते को पालना ही बन्द कर दे। लेकिन कहावत के अनुसार फ़ल लडके पर कैसे जाता है इसका प्रभाव जब खुद के द्वारा अडौसी पडौसी से देखा और लोगों से सुना तो वास्तव में यह बात सामने आयी कि जो कहा गया है वह शत-प्रतिशत सही है।

हमारे पडौसी एक जैन साहब है। अपनी खुद की दुकान है और घर तथा दुकान एक ही होने के कारण उनका कम से कम ही बाहर आना जाना हो पाता है उनके दो लडके है और दोनो ही बडी बडी उम्र के है किसी के मोहताज नही है जो भी उन्हे करना होता है वह करते है और नही करना होता है वह नही करते है,घर में ही दुकान होने के कारण कम से कम ग्राहक तो उनके पास आयेंगे ही। जैन साहब की पत्नी को कुत्ते से बहुत लगाव है,वे सब कुछ छोड सकती है लेकिन कुत्ते को नही छोड सकती है। जो भी खायेंगी बन्टी नामक कुत्ते को जरूर खिलायेंगी जो भी रिस्तेदार घर में आयेगा तो उससे बन्टी की मुलाकात जरूर करवायेंगी,और बन्टी भी पूरा का पूरा घाघ ही कहा जायेगा जब तक वह आने वाले व्यक्ति के पैरों को भलीभांति सूंघ नही लेगा उसकी भौंकनी बन्द नही होगी। जब जैन साहब की दुकानदारी अच्छी चलने लगी तो बन्टी का भौंकना भी अधिक चालू हो गया,जैन साहब की पत्नी तो उसकी भौंकनी को सहन कर सकतीं थी लेकिन आने जाने वाले ग्राहक उसकी भौंकनी से तंग आकर जैन साहब से शिकायत करने लगे कि आपकी दुकान से सामान तो लेने के लिये आना पडता है लेकिन कुत्ते से डर लगने के कारण कभी कभी समय असमय सामान लेने में दिक्कत आती है। जैन साहब के लिये भी यह सहन करना भारी था कि कोई ग्राहक उनके कुत्ते से डर कर दूसरी जगह पर सामान लेने जाये इसलिये उन्होने एक तरीका ईजाद किया कि अपनी छत पर एक बढिया सा इन्तजाम करने के बाद बन्टी की परमानेन्ट पोजीसन छत पर ही नियुक्त कर दी। बन्टी भी कुछ दिन तो मजे में रहा,छत की बाउन्ड्री पर दोनो पैर रखकर सडक पर आने जाने वाले लोगों के लिये अपनी उपस्थिति को दर्शाता रहा लेकिन कुछ दिन बाद ही उसे भी समझ में आने लगा कि उसका ख्याल रखना बन्द सा हो गया है और वह अकेला ही है। पहले तो वह कुकियाता रहा फ़िर कुरकुराने लगा और एक दिन देखा कि वह गुर्राने के साथ रोने भी लगा,बडी तेज आवाज में ऊ ऊ की आवाज और अधिकतर शाम या सुबह के समय में। उसे जब भी छत पर छोडा जाता कुछ समय तो वह अपने पुराने पहिचान वाले साधनों की तरफ़ भागता,जिस स्थान पर पोटी की होती थी उस स्थान को जाकर सूंघता और जिस स्थान पर पहले दिन उसने कोई प्लास्टिक या लकडी का सामान अपने दांत तेज करने के लिये कुतरा होता उसे देखता और पानी की परात में जाकर चपर चपर पानी को पीता और जैसे ही समझता कि उसे अकेला छोडा गया है वह रोना शुरु कर देता। आसपास के पडौसी भूंकना तो सहन कर सकते है लेकिन विचित्र आवाजों में रोना सुनना उनके लिये असहनीय हो गया। बगल में ममता भाभी पति देव को नौकरी पर भेजने के बाद सोचतीं कि सुबह चार बजे से जगने के बाद जो नींद बाकी बची है उसे निकाला जाये तो बन्टी की ऊ ऊ की आवाज उन्हे सोने नही देती,दरवाजे खिडकी सभी बन करने के बाद असहनीय आवाज उन्हे सोने में दिक्कत देने लगी उनके स्वभाव में चिडचिडापन आ गया,एक दिन जैन साहब के लडके के सामने आते ही कहने लगी,अपने कुत्ते को किसी बन्द जगह पर रखो मेरा घर पास होने के कारण मुझे इसके रोने और भोंकने से काफ़ी दिक्कत होती है,इतना सुनते ही जैन साहब की पत्नी से भी नही रहा गया,फ़टाक से बोलीं कि मेरा बन्टी मेरी छत पर आवाज करता है सुनना है तो सुनो नही सुनना है तो दूसरी जगह पर जाकर घर देख लो,बात बढ गयी,शाम को ममता भाभी के पतिदेव आये बात उन तक गयी,उन्होने दूसरे दिन छुट्टी ले ली और अपनी छत पर अपना स्थान बनाकर बैठ गये। जैसे ही बन्टी ने अपनी तान मारनी शुरु की,वे जैन साहब को गरियाने लगे,एक तरफ़ जैन साहब का परिवार एक तरफ़ मुहल्ले वाले लोगों के साथ ममता भाभी का परिवार सभी की शिकायत कि कुत्ते को नीचे रखा जाये। जैन साहब का छोटा वाला लडका कुछ तेज दिमाग का है उससे नही रहा गया जिस पडौसी ने कहा था कि कुत्ते को नीचे रखा जाये उसे जाकर पकड लिया और बोला तेरी हिम्मत हो तो कुत्ते को नीचे करके देख,गिरेबान पर हाथ पडते ही सामने वाला भी कहाँ मानने वाला था सीधे से दो हाथ जैन साहब के छोटे बेटे के मुंह पर पड गये,इतना होते ही पडौसी सीधे से ही उस लडके पर पिल पडे और देखते ही देखते उसका चेहरा समझ में नही आ रहा था,जल्दी से एक ही रास्ता जैन साहब को दिखाई दिया वह था सौ नम्बर पर फ़ोन,पुलिस आ गयी और जिसने पहले मारा था उसे और एक दो पडौसी के नाम बताने पर उन्हे सीधे से लेकर थाने पहूंचा दिया। जैन साहब के लडके को अस्पताल में भर्ती करवा दिया,नाक में चोट लगने के कारण सांस लेने में दिक्कत आ गयी थी और सिर के पीछे चोट लगने के कारण वह अपनी सुध बुध खो बैठा था। मुकद्दमा बन गया और जैन साहब का लडका अस्पताल से घर तो आया लेकिन आज भी पागलों जैसी हरकतें करता है,दुकान भी बन्द हो गयी और जैन साहब का दुश्मनी वाला माहौल भी बन गया। बन्टी आज भी घर के अन्दर मौजूद है वह भी जैन साहब के बैडरूम में ही रहता है कभी भी बाहर नही निकाला जाता है।

दूसरा किस्सा देखने में आया मिलट्री से रिटायर होने के बाद मेजर रन सिंह ने अपनी कमाई से तीन मंजिला मकान बनवा लिया था। और नीचे खुद अपने इकलौते बेटे के साथ रहते थे। ऊपर की दोनो मंजिले किराये से उठाकर उनसे मिलने वाले किराये और अपनी पेंसन से गुजारा करने लगे,बेटे का कोई पढाई के बाद सैटिलमेंट किसी भी काम में नही हुआ था इसलिये उसकी शादी भी नही की थी। पिछली मार्च में उन्होने बीच वाली मंजिल में एक पति पत्नी को किराये से रखा जो नि:सन्तान थे उन्होने एक कुत्ता पाला हुआ था और जब वे नौकरी पर जाते तो कुत्ते को अपने घर के अन्दर बन्द कर जाते उसके लिये भोजन पानी आदि बालकनी में रख कर जाते,कुत्ता पहले तो नहीं भोंकता था,लेकिन कुछ समय बात उसने भोंकना भी चालू कर दिया और रोना भी चालू कर दिया,शाम को जब पति पत्नी नौकरी से वापस आते तो घर के अन्दर शांति हो जाती अन्यथा दिन भर उस कुत्ते की चिल्लाहट से पूरा घर और पडौसी परेशान रहते,कभी कभी दबी जुबान से मेजर साहब से शिकायत भी की गयी लेकिन उन्होने अन्यथा नही लेते हुये कहा कि जानवर है अकेला रहने के बाद भौंकता है रोता है कोई बात नही है। समझदार लोगों की कालोनी थी सभी पढे लिखे थे इसलिये कोई बात को बढाने से ताल्लुक नही रखता था,जिनकी खिडकियों में सीसे नही लगे थे उन्होने भी लगवा लिये और मेजर साहब की तरफ़ से सभी दरवाजे खिडकियां बन्द करके रहने लगे। मेजर साहब के लडके की नौकरी लग गयी और वह एक काल सेंटर में नौकरी करने लगा। उसी आफ़िस की एक लडकी से उसका अफ़ेयर भी चलने लगा और जब यह बात मेजर साहब को पता लगी तो घर के अन्दर तनाव हो गया,वे अपनी जाति की लडकी से शादी करने के विचार में थे,लेकिन लडके की हठधर्मी से वे काफ़ी उत्तेजित हो गये और एक दिन उन्होने लडके पर हाथ भी उठा दिया और घर से बाहर रहने के लिये हिदायत भी दे डाली। लडका भी अपनी हठ पर अडा रहा लेकिन मां के चलते वह घर से बाहर नही गया। एक दिन मेजर साहब ने पिन्नक में आकर लडके को शाम को घर आते ही गाली गलौज दे डाली,लडका भी आफ़िस के काम से और घर के माहौल से तंग आ चुका था,रात को जीने में रखे केरोसिन को अपने ऊपर उडेल कर आग लगाकर नीचे भागा। देखने वाले और अडौसी पडौसी भी आये,लडके को अस्पताल ले जाया गया,तीन दिन जिन्दगी और मौत से जूझने के बाद वह चल बसा,उसके मरने के एक सप्ताह बाद ही वह किरायेदार भी मकान को खाली करने के बाद कहीं दूसरी जगह चले गये।

ज्योतिषी होने के नाते और दोनो ही लोगों से जान पहिचान होने के कारण पागल हो गये जैन साहब के लडके और मरने वाले मेजर साहब के लडके की कुंडली को देखा तो दोनो की कुंडली में केतु वृश्चिक राशि का होकर अष्टम में था। वैसे ज्योतिष में कहा भी गया है कि केतु से ही व्यक्ति की औलाद जो लडके के रूप में होती का विचार किया जाता है,सबसे अधिक इसका बखान लालकिताब में किया गया है। लालकिताब में साफ़ लिखा है कि आठवें घर का केतु नर सन्तान के मामले में कोई न कोई समस्या जरूर पैदा करता है और वह समस्या तब और जटिल हो जाती है जब कुत्ता छत पर रोये या मामा भान्जा साला छत पर रो रो कर अपनी व्यथा को सुनाये। इस केतु के निवारण के लिये कानों में गोल सोने की बालियां पहिनने के लिये उपाय सुझाया गया है,सूर्य से सोना और केतु से कान को छेद कर सूर्य से केतु को सम्भालने के लिये कहा गया है।

1 comment:

हरीश सिंह said...

ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत, हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा पत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/