Sunday, March 20, 2011

कम्पयूटर और विवाह मिलान

आजकल एक बात बहुत प्रचलन में आ गयी है कि शादी विवाह के मामले में कम्पयूटर से फ़टाफ़ट गुण मिलाकर शादी करने या नही कर देने के कारण कितने ही रिस्ते या तो शादी के बाद बिगड जाते है या जो रिस्ते कम्पयूटर से नही बनते है वे अपनी अपनी औकात को लेकर सभी प्रकार की शिक्षा को बेकार समझ कर एक तरफ़ कर दिये जाते है। हमेशा जरूरी नही है कि कम्पयूटर अपनी समझ को सही रूप में प्रकट करेगा।

सबसे बडी बात जब और समझ में आती है जब कम्पयूटर से अष्टकूट गुण मिलान कर दिया जाता है और किसी न किसी प्रकार का नाडी भकूट वश्य आदि दोष लगाकर पत्रिका मिलान को कर दिया जाता है,राशि के अनुसार ही पत्री को मिलाया जाता है और नाम को दरकिनार कर दिया जाता है।

पिछले दस साल से यह प्रचलन काफ़ी बढा है उसके पहले शादी को नाम से मिला दिया जाता था और जो शादिया नाम से मिलाकर की गयी वे आज तक सलामत है और पूरी की पूरी वैवाहिक जिन्दगी को पूरा किया है। इसके साथ ही चाहे गुण पूरे छत्तिस मिले लेकिन दो माह बाद तलाक का मामला या तो अदालत में चला गया या फ़िर पत्नी या पति ने अपने ध्यान को दुष्कर्म की तरफ़ बढा दिया।

चन्द्रमा की वैसे तो चौसठ कलायें है और हर कला को कम्पयूटर से नही निकाला जा सकता है। इसका भी कारण है कि नक्षत्र भेद को दूर किया जा सकता है भकूट दोष को भी दूर किया जा सकता है लेकिन राशि भेद को सामने रखकर भी लोग एक दूसरे पर आक्षेप देने के लिये जाने जाते है।

कम्पयूटर अस्त चन्द्रमा से दूर रहेगा,वह तो केवल चन्द्रमा की गति को ही अपने केलकुलेशन में लायेगा। कम्पयूटर से अक्सर वक्री ग्रह का भेद भी नही बखान किया जाता है सूर्य और चन्द्रमा की गति पर भी निर्भरता नही दी जाती है।

जातक के जो भी नाम शुरु से प्रसिद्धि में चले गये होते है उनके बारे में दक्षिण भारत की नाडी प्रथा के अनुसार गणना करने पर अक्सर सही नाडी में ही देखे गये है और जो भी नाम से शादी विवाह मिलाये जाते है वे अक्सर सही और आजीवन साथ निभाने के लिये चलते देखे गये है।

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