Thursday, October 28, 2010

तुला राशि भावानुसार

तुला राशि कालचक्र की सप्तम की राशि है इस राशि से व्यक्ति की बैलेंस करने की क्षमता का विकास देखा जाता है,जिस भाव में यह राशि जातक की कुन्डली में विराजमान होती है उस भाव के बैलेंस करने में जातक की अभूतपूर्व क्षमता को बढाने में इस राशि का बहुत बडा योगदान होता है।

इस राशि का स्थान अगर जातक की कुंडली में लगन में होता है तो जातक शरीर से सम्बन्धित बैलेंस बनाने में अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सकता है.उसकी बुद्धि हमेशा शरीर के प्रति जागरूक होती है और वह शरीर की बनावट और शरीर की प्रगति के बारे में अपनी योगात्मक क्रिया को पूरी तरह से वर्णन कर सकता है। इसके अलावा इस राशि का प्रभाव विवाह के लिये भी माना जाता है,अगर यह राशि लगन मे है तो व्यक्ति अपने जीवन कई वैवाहिक रिस्ते करवाता है और अपने अनुसार निर्णय देकर शादी विवाह के कामों को बडी आसानी से पूर्ण करवाता है,इस राशि का स्वामी शुक्र होता है और इस राशि को बल देने वाले ग्रहों में कन्या का बुध और बल को खर्च करवाने के लिये वृश्चिक का मंगल मुख्य ग्रह माना जाता है। बुध की कन्या राशि इस राशि वाले जातक को की गयी भलाई के बदले में किसी न किसी प्रकार के लांछन से ही पूर्ति करता है और जातक के द्वारा किये सहायता वाले कामो के बदले में मंगल हमेशा अपना नकारात्मक रास्ता ही देता है।

इस राशि का स्थान जातक की कुंडली में दूसरे स्थान में होने से जातक के अन्दर धन और रिस्तों को बैलेंस करने की क्षमता होती है,वह अपने भौतिक धन को बडे आराम से बैलेंस बनाकर रखता है,कितना उसका रुपया पैसा है और कितना वह खर्च करने के बाद कमा सकता है कितना उसकी जेब से जायेगा और कितना उसकी जेब में आयेगा इसका ध्यान उसको अधिक होता है,इसके अलावा शादी विवाह के मामले में जातक को दोहरी नीति अपनाने के लिये भी माना जाता है,कोई ग्रह अगर सहायता करदे तो ठीक है अन्यथा इस राशि के दूसरे भाव में होने से जातक को विवाह के मामले में दो विवाह या दूसरी बार विवाहित स्त्री या पुरुष के साथ अपने शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिये माना गया है। इसके अलावा इस राशि के प्रभाव से जातक को सेवा वाले कार्यों के लिये बुध और पराक्रम दिखाने के लिये मंगल का रूप माना जाता है,जातक शरीर से अधिक सेवा करना जानता है और जो भी सेवा उसके द्वारा की जाती है वह या तो अस्पताली कार्यों में की जाती है अथवा कोई रिस्क लेकर किये जाने वाले कामों के अन्दर की जाती है।

इस राशि का स्थान अगर तीसरे भाव में होता है तो जातक को बोलने,पहिनने,अपनी हैसियत को दिखाने और अपने विचारों को प्रकाशित करने में महारत हासिल होती है जातक बहुत ही बेलैंस से बातचीत करने वाला होता है तथा कोई भी  बात करने से पहले काफ़ी देर सोच कर और अपनी राय उसी बात पर अधिक देता है जिसके अन्दर बल होता है,चाहे वह बात खराब ही क्यों न लगे लेकिन बोलने के अन्दर जो इस तीसरे भाव वाली राशि के व्यक्ति ने कहा है वह पूर्ण रूप से काटी नही जा सकती है,वह जो भी लिखता है उसे कोई विश्लेषण करने में अपनी अनुचित प्रतिक्रिया को भी नही दे सकता है,उसके द्वारा जो वस्त्र पहिने गये है वह सलीके से और बैलेंस बनाकर पहिने गये होते है उसकी चाल हमेशा दोहरी होती है और जो रास्ता सुगम होता है उसी पर जाना इस तीसरे भाव में तुला राशि वाले जातक का स्वभाव होता है।

चौथे भाव में तुला राशि के अन्दर जातक की मकान बनाने और यात्रा के लिये चुने जाने वाले साधन बैलेंस करने के बाद ही चुने जाते है,उनके द्वारा किये जाने वाले प्राइवेट काम भी बैलेंस के साथ किये जाते है। इस भाव में इस राशि वाले जातकों के अन्दर कार्य करवाने और कार्य करने के भेद अपने आप ही मिलने लगते है उन्हे अपने व्यापार और व्यवसाय के लिये लोन आदि के लिये भी कोई अलावा मेहनत नही करनी पडती है,सबसे बडी आदत जो उनके अन्दर होती है वह होती है रिस्क को लेकर काम करने की और जब रिस्क लेकर यह काम करते है तो मिट्टी से भी सोना निकालना इन्हे आता है,अक्सर इनका रुझान विदेश से सम्बन्धित लोगों से अधिक होता है। शादी विवाह के मामले में यह लोग बहुत ही शान से शादी करते है और दिखावा वाली आदत होने के कारण अपने लोगों के अन्दर प्रदर्शन की भावना के चलते अहम भी करते है।

पन्चम भाव मे इस राशि के होने से जातक के अन्दर जल्दी से धन कमाने वाले गुण अपने आप पनपने लगते है जातक को खेलकूद मे इतनी रुचि हो जाती है कि वे अन्दाजा खेल के चालू होते ही लगा लेते है कि कौन सा खिलाडी या कौन सी पाली पहले जीत हासिल करेगी,इसके अलावा इनकी शिक्षा और परिवार की गति केवल व्यवसायिक गतिविधियों पर ही निर्भर होती है। अधिकतर मामले मे जुडवा संतान होने या दो संतान ही होने की बात भी देखी गयी है।

छठे भाव मे इस राशि के होने से जातक के अन्दर कर्जा करने और चुकाने की आदत बहुत ही खराब मानी जाती है उनकी शादी विवाह में कोई न कोई अडचन जरूरी है। अक्समात विचारों का बदलना और अपने जीवन साथी के प्रति हद से अधिक सतर्क रहने के कारण इनका वैवाहिक जीवन अधिकतर मामले मे बैचेनी से भरा होता है,गूढ कार्यों के लिये और कार्यों के अन्दर मीन मेष निकालते रहने के कारण अक्सर समान कार्य करने वाले इनसे घबडाते ही रहते है,इसके अलावा इन्हे कोई बात कहने से पहले सोचते समझते नही है जो कहना है वह कहना है जो करना है वह करना है,लडाई झगडे में इनकी रुचि अधिक होती है।

सप्तम मे इस राशि होने से जातक की साझेदारों और जीवन साथी के प्रति समझ की अच्छी क्षमता होती है,अक्सर इनके जीवन साथी के अन्दर व्यवहार में बनिया पन देखा जाता है,जो भी कार्य या रिस्ता किया जाता है उसके अन्दर पहले इनके जीवन साथी पहले अपनी हार जीत या लाभ हानि को देखकर ही इस प्रकार के कार्य करते है यहां तक कि कोई व्यवहार भी देना है तो पहले देख लेते है कि दिया हुआ व्यवहार वापस आयेगा या नही,इस प्रकार के लोग बात के पक्के होते है और जो कह देते है उसे पूरा करने में कोई कसर नही रखते है,तकनीकी कामो के अन्दर इनका झुकाव अधिक होता है।

इस राशि का आठवें भाव में होने से जातक की रुचि विदेश जाने और बडे संस्थान को सम्भालने तथा जीवन साथी के मौत के बाद के धन को सम्भालने के काम मिलते है,उनकी सोच बहुत ही गहरी होती है और अस्पताली कामो के अन्दर तथा खान वाले कामो के अन्दर इनकी अच्छी पकड होती है,यह शमशान की राख को भी व्यापार के काम मे ले सकते है,इसके साथ ही इनका धर्म भी शमशानी ही होता है तथा इनके जीवन साथी की प्रकृति भी कर्जा दुश्मनी और बीमारी पालने की होती है.

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