वीराने घरों में खंडहरों में पुराने पेडों की कोटरों में उल्लू का निवास होता है। मांसाहारी जीव होने के कारण यह रात्रिचर है और अपनी गतिविधियां सूर्यास्त के बाद ही शुरु करता है। शहरों में यह सरकारी परित्यागी बिल्डिंगों में या पुराने पेडों के कोटरों में मिलता है जब कि ग्रामीण इलाकों में इसका निवास हवेलियों में और पेडों की कोटरों में होता है। ग्रामीण मान्यताओं में उल्लू को बहुत ही हेय द्र्ष्टि से देखा जाता है,जिस घर के ऊपर उल्लू का निवास हो जाता है उस घर के लोग आने वाली मुशीबतों के भय से उल्लू को भगाने की कोशिश करने लगते है। कहा जाता है कि इसे भगाने के लिये कभी मिट्टी के ढेले से नही मारा जाता है,कारण यह भी बताया जाता है कि अगर इसे मिट्टी के ढेले से मारा जाता है तो यह उस ढेले को लेजाकर किसी पोखर या तालाब में डाल देता है और जैसे जैसे वह ढेला पानी के अन्दर गलता है वैसे वैसे इसे मारने वाला व्यक्ति भी शारीरिक बीमारी से गल कर मर जाता है,प्रत्यक्ष तो देखने में कहीं मिला नही है। मेरी ननिहाल में उल्लू को मैने एक मकान में निवास करता हुआ देखा था,वह मकान पुराने जमाने में बनाया गया था,और आज उस मकान में कोई रहने वाला नही है खाली पडा है और जर्जर अवस्था में है। उल्लू के पंख को एक सज्जन के पास देखा था वे उसे तांत्रिक क्रियाओं के लिये अपने पास रखते थे,लेकिन उनकी मौत भी बडी दुखदायी हुयी थी यह मैने प्रत्यक्ष रूप से देखा है। जिस स्थान पर उल्लू का निवास होता है वहां से साधारण पक्षी पलायन कर जाते है अथवा उल्लू का रात में भोजन बन जाते है। यह भी मैने प्रत्यक्ष रूप में देखा है,ग्रामीण परिवेश में रहने के कारण मैने देखा है कि इमली या पुराने बरगद की कोटर में उल्लू के रहने के बाद उस पेड पर किसी पक्षी का घोसला नही होता है। घर के पास के पेडों पर रात को उल्लू के द्वारा रात में पक्षियों के शिकार को भी देखा है,खुले में सोने के कारण जैसे ही उल्लू किसी पक्षी को पकडता है माहौल में अचानक पक्षियों की चीख पुकार दर्दनाक लगती है और कुछ समय के लिये सोचना भी जरूरी हो जाता है कि एक पक्षी उल्लू का फ़िर भोजन बन गया है। धरती पर रेंगने वाले जीवों में चूहा उल्लू का मुख्य भोजन है,रात को खेतों में फ़सलों को कुतरने के लिये चूहा जैसे ही बिल से बाहर आया और अपने भोजन के लिये फ़सल को कुतरना शुरु किया,उल्लू की नजर पडते ही वह अपने पंजों में उसी प्रकार से दबाकर उड जाता है जैसे दिन में चील या बाज किसी पक्षी या सांप को पंजों में दबाकर उड जाती है। खेतों में चूहों को मारने के कारण किसान इसे अपना हितैषी मानते है। आजकल लोग उल्लू को तांत्रिक प्रयोग के लिये मारने लगे है और कई तरह के प्रयोग करने के बाद लोगों को बेवकूफ़ बनाने के काम करते है। यह एक झूठी और कपोल कल्पित कहानी है कि उल्लू को पास में रखने से लक्ष्मी घर में निवास करती है,मैने पहले ही आपको बताया है कि उल्लू कभी घर में रखने के लिये सही नही है,घर को वीराना बनाने के लिये उल्लू का निवास सही है। कहा भी गया है:-
"वीराने गुलिस्तां की खातिर एक ही उल्लू काफ़ी है,हाल गुलिस्तां क्या हो जब हर डाल पर उल्लू बैठा हो"
इसलिये चालाक लोगों के सानिध्य में आकर उल्लू को मारना या उसका प्रयोग करना बेकार की बात है। एक सज्जन को किसी ने बता दिया कि उल्लू की आंख का काजल बनाकर लगाने रात के अन्धेरे में दिन की तरह दिखाई देना शुरु हो जाता है,उन्होने बहुत प्रयास के बाद उल्लू को मारा और उसकी दोनो आंखों को निकालकर बतायी गयी विधि से काजल भी बनाया,लेकिन लगाने के बाद कोई फ़र्क नही बल्कि तीन चार हफ़्ते तक उन्हे आंखों में खुजली और परेशानी और मिली। इसी तरह से किसी ने एक महिला को बता दिया कि उल्लू के नाखून बच्चे के गले में बांधने से बच्चे को नजर नही लगती है,उन्होने प्रयास करने के बाद और बहुत सा धन खर्च करने के बाद उल्लू के नाखूनों को प्राप्त किया और बच्चे के गले में बांधा,लेकिन जैसे पहले बच्चे का हाल था वैसा ही बात में भी रहा। किसी ने एक सज्जन को बता दिया कि उल्लू का मांस ताबीज में भर कर गले में बांधने से डर नही लगता है,उन्होने भी किसी से मंगाकर गले में ताबीज में बांधा,लेकिन उन्हे चर्म रोग की बीमारियां और लग गयी,डर तो पहले जैसा ही रहा। किसी ने कह दिया कि उल्लू की पूजा दीपावली की रात को करने से लक्ष्मी जरूर आती है,पैसा का मोह सभी को होता है,उन्होने प्रयास करने के बाद दीपावली को उल्लू की पूजा की और उसे पिंजडे में रख लिया,धन की तो कोई बरक्कत हुयी नही बल्कि उनके व्यापार का भट्टा जरूर बैठ गया। किसी ने एक सज्जन को बता दिया कि उल्लू का पंख दुकान की बही में रखने से दुकान की आवक बढ जाती है,उस साल उन्होने पंख को रखा तो दुकान की आवक बजाय बढने के दुकान मालिक ने दुकान खाली ही करवाली। इस प्रकार से आज के वैज्ञानिक युग में प्रकृति के द्वारा बैलेंस बैठाने वाले इन प्राणियों के बारे में झूठी और मनगढंत कहानियां कह कर मारना बिलकुल ही ठीक नही है,अपने पराक्रम और समय को पहिचान कर कार्य को किया जाये,तो सफ़लता जरूर मिलती है।
7 comments:
very goog real story
i love aapki think
Kya baat hai ek tarf boltey ho andvisvas hai or sari khani mey ullu ke burai kratey ho aap khud andvisvas felatey ho ager na pata ho to bakwas mat kro aap dusro ko ullu banatey ho or khud ullu ho aap ko ghar chahey to ullu ko bhi chahiye agar aap ullu ki aakh ka surmaa banaogey to aap ke aakh ka bhi to baneyga aap us ka ghar torogey to aap ka bhi to tutey ga aap ullu ka dil nekalo gey to aap ka dil kis parkar thik rah sakta hai ( jesi karni vasi bharni) logo ko ullu banana band kro khud ullu banjaogey
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Mere ghar pe ullu he Kya kre batao
ULLU GHAR LEKAR AAYE AUR GHAR ME ULLU MARGAYA THO KIYA HOGA APSHAGUN BATHAYIYE
मेरे घर में तीन चार साल से उल्लू रहता है दिन रात आवाज करता है मुझे भगाने के लिए क्या करना चाहिए
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