Wednesday, October 27, 2010

बिल्ली काट गयी रास्ता !

बस से आगरा जा रहा था,रात का समय था,बस की आगे की सीट पर बैठा था,एक बिल्ली ने सडक पार करने की कोशिश की ड्राइवर ने स्पीड एक दम बढाकर बिल्ली को बस की चपेट में ले लिया। टायरों के नीचे उसके शरीर के परखचे उड गये होंगे। आगे जाकर मिडवे पर ड्राइवर ने बस को रोका तो मैने ड्राइवर से पूंछ लिया कि आप चाहते तो वह बिल्ली बच सकती थी,लेकिन आपने जानबूझ कर ही उसे चपेट दिया,ड्राइवर ने हंसते हुये कहा कि बिल्ली के रास्ता काटने से अनिष्ट की आशंका हो जाती है और कई बार देखा है कि बस चलाते वक्त अगर बिल्ली रास्ता काट जाती है तो किसी न किसी प्रकार की मुशीबत जरूर आती है। खैर कोई बात नही अनिष्ट का ध्यान करते ही मैं भी चुप हो गया कि जरूर कोई न कोई कारण होता होगा। उसने चाय पी अन्य मुशाफ़िरों ने भी चाय पी और सभी बस में बैठ कर फ़िर से चल दिये। बस सकुशल आगरा पहुंच गयी,लेकिन मुख्य बस अड्डा से दूर थी,एक सवारी ने बस को रोकने के लिये ड्राइवर से कहा,लेकिन ड्राइवर ने बस को बस स्टाप पर ही रोकने के लिये कहा और बस की स्पीड बढा दी,वह सवारी कुछ नही बोली और अपने मोबाइल से किसी से बात की और शान्त होकर खिडकी के पास खडी रही,कुछ समय के उपरान्त ही कुछ लोग आगे गाडी को सडक के बीच में लगाकर खडे थे,ड्राइवर ने गाडी रोकी और इसी बीच में वह सवारी जो खिडकी के पास खडी थी नीचे उतर गयी,जिन लोगों ने गाडी को बीच में लगा रखा था उन्होने न तो कोई बात पूंछी और न ही कोई बात कही सीधे से ड्राइवर वाली खिडकी को खोला और उसे नीचे गिराकर ताबड तोड लात घूंसे से पिटाई करने लगे,जब तक कंडेक्टर और अन्य सवारियां नीचे उतर कर ड्राइवर को बचाने का प्रयास करें तब तक वे पीटने वाले लोग ड्राइवर को लहू लुहान करने के बाद अपनी गाडी में बैठे और रवाना हो गये,वह सवारी भी उन लोगों के साथ उसी गाडी में बैठ कर चली गयी। ड्राइवर को उठाकर उसकी लगी हुयी चोटों पर उसी के अंगोछे को फ़ाड कर बांधा और पुलिस आदि को मोबाइल से बताया गया,थोडी देर बाद पुलिस की जीप भी आ गयी और सभी सवारियों से पूंछ ताछ हुयी,किसी ने भी पीटने वालों को नही देखा था मैं ही एक आगे बैठा था,मेरे से भी पूंछा गया मैने भी बताया कि सफ़ेद गाडी थी बडी गाडी थी गाडी की पहिचान नही बता सकता,उसका नम्बर भी नही देखा था जो सवारी उस गाडी में बैठ कर गयी थी वह जयपुर से ही बैठी थी। मेरा भी नाम पता लिखा और ड्राइवर गाडी को लेकर बस स्टेंड पहुंचा मै भी उतर कर अपने गंतव्य पर गया लेकिन एक सवाल दिमाग में गूंजता रहा कि आखिर बिल्ली की गल्ती थी या ड्राइवर की। लेकिन समझने के बाद एक ही बात सामने आयी कि बिल्ली की गल्ती नही थी,वह तो अपने भोजन या स्थान बदलाव के लिये रास्ता पार कर रही थी,लेकिन बस के ड्राइवर को अपनी बस को चलाकर स्पीड नही देनी थी,चलाकर स्पीड देने के बाद बिल्ली को मारने का दंड चाहे मानवीय कानून ने नही दिया लेकिन प्रकृति ने अपना काम तुरत कर दिया।
बिल्ली को ज्योतिष से केतु के रूप में माना जाता है,बिल्ली वेज और नानवेज सभी भोजन को बडे आराम से करती है,लेकिन जीवों से पैदा भोज्य पदार्थ जैसे घी दूध मक्खन और पनीर आदि मजे से खाती है इसके अलावा कीडे मकौडे और मांस को भी खाना पसंद करती है। बिल्ली कभी भी चलाकर मनुष्य को नही काटती है वह घिर जाने पर या भूखी होने पर ही काटती है।

2 comments:

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

मान्यवर संस्मरण के बहाने ज्ञान बाँटने का तरीका अच्छा लगा| जय हो|

Laxminarayan Joshi लक्ष्मीनारायण जोशी said...

आदरणीय एक इस यात्रा स्मरण से न जाने आगे कितने ही जीवों की जान का खतरा कम हुआ I
" बिल्ली का रास्ता काटना "इस मुहावरे का जन्म कैसे हुआ ? कृपया स्पष्ट करेंगे तो रुचिकर होगा I
गति का बढ़ना गलत नहीं है विचारों के सौच में सकारात्मकता जरुरी है I