Monday, August 16, 2010

संकट की घडी कब किस पर ?

शनि को संकट का कारक कहा गया है,इस ग्रह के द्वारा अपने और अपने रिस्तेदारों पर कब संकट का समय आयेगा पता किया जा सकता है,लेकिन इसके लिये जरूरी है कि आपको अपनी कुंडली का पूरा ज्ञान होना चाहिये। जब जन्म कुंडली बनाई जाती है तो उसके साथ जन्म लगन का एक चार्ट होता है,दूसरा चार्ट राशि का होता है और तीसरा चार्ट नवमांश का होता है। अपने प्रति आने वाले संकट के समय को देखने के लिये बहुत आसान तरीका है कि अपनी जन्म कुंडली में लगन से अष्टम भाव के मालिक को समझिये,उस अष्टम के मालिक को अपने नवांश के चार्ट में देखिये कि वह किस राशि में कहां स्थापित है,उस राशि को अपने लगन वाले चार्ट में देखिये,जब भी उस राशि से शनि का गोचर होगा आपके लिये संकट का समय होगा। संकट के समय को अपने नजदीकी रिस्तेदारों के प्रति इस प्रकार से भी देखा जा सकता है:-
  • अपने लिये लगन से आठवें भाव के मालिक को देखना पडेगा.
  • दूसरे भाव से पिता के मामा के लिये देखना पडेगा.इसके लिये लगन से नवां भाव और उसके मालिक की नवांश में स्थिति.
  • तीसरे भाव से छोटे भाई बहिन और सौतेली माता के लिये देखना पडेगा इस भाव का आठवां भाव दसवां भाव होगा उस भाव का मालिक नवांश में कहां है.
  • चौथे भाव के लिये माता के प्रति आने वाले संकटों को देखने के लिये ग्यारहवें भाव के मालिक को नवांश में देखना पडेगा कि किस राशि में है.
  • पांचवे भाव से पुत्रों के लिये पुत्रियों के लिये दादा के लिये और बडे साले के लिये भाभी के लिये और जीजा के लिये देखना पडेगा, इस भाव का आठवां भाव कुंडली का बारहवां भाव होता है.
  • छठे भाव से मामा के लिये और चाचा आदि के लिये देखना पडेगा,उनके लिये कुंडली की लगन और लगनेश को नवांश में देखना पडेगा.
  • सातवें भाव से पति या पत्नी नानी ताऊ के लिये देखना पडेगा और इनके लिये कुंडली का दूसरा भाव तथा उसके मालिक को नवांश मे देखना पडेगा.
  • आठवें भाव से बडे भाई या बडी बहिन की सास के लिये तथा ताई के लिये देखना पडेगा,इसका आठवां भाव कुंडली का तीसरा भाव और उसके मालिक का नवांश में कहां और किस राशि में स्थान है.
  • नवें भाव से पिता के लिये मामी के लिये छोटे भाई बहिनो के पति और पत्नियों के लिये देखना पडेगा,इनके लिये कुंडली का चौथा भाव और उसके मालिक का स्थान नवांश में क्या है।
  • दसवें भाव के लिये सास के लिये और उसके आठवें भाव कुंडली के पंचम भाव के मालिक का नवांश में स्थान.
  • ग्यारहवें भाव से बडे भाई या बडी बहिन पिता के छोटे भाई बहिन के लिये देखना पडेगा,और नवांश में कुंडली के छटे भाव के मालिक को.
  • बारहवें भाव से मामी के लिये और मौसा के लिये तथा दादी के और नानी के लिये देखना पडेगा,इस भाव से आठवां भाव कुंडली का सप्तम भाव होता है,इस भाव के मालिक को नवांश में देखना पडेगा.
उदाहरण:-
जैसे दसवें भाव से सास के लिये देखना पडता है,सास के लिये दसवें स्थान से पंचम भाव आठवां भाव है,तो कुंडली के पंचम भाव के मालिक को नवांश में देखना पडेगा कि वह किस राशि में है.उसी राशि में गोचर से शनि जब कुंडली में विचरण करेगा उसी समय में सास के लिये कष्टकारी समय होगा। अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिये मान लीजिये कि जातक की मेष राशि है,और मेष राशि का दसवां भाव मकर राशि है,और मकर राशि को सास के लिये माना जायेगा,मकर राशि से अष्टम की राशि सिंह राशि है,इस राशि का स्वामी सूर्य है,नवांस में सूर्य जैसे कर्क राशि में है तो जब भी कुंडली में कर्क राशि के अन्दर शनि गोचर करेगा,सास के लिये दिक्कत होगी और बुरा समय माना जायेगा।
इस बुरे समय को Time of evils कहा जाता है,इस समय को अलग अलग राशियों से अलग अलग प्रकार से मिलने वाले कष्टों से राहत पाने के लिये अलग अलग ही उपाय किये जाते है.इन उपायों के लिये आप सपर्क कर सकते है,या किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह ले सकते है.आप अपनी जन्म तारीख और समय के साथ इस साइट पर अपना जन्म विवरण जो बिलकुल सही हो जन्म स्थान आदि सहित भेज सकते है.
www.astrobhadauria.com

1 comment:

kishore ghildiyal said...

bahut hi jaankaari va gyan bhara lekh