Thursday, July 22, 2010

जातियां और ग्रह



अधिकतर मामलों में सभी ग्रहों को अपनी अपनी जातियों के अनुसार विभाजित किया गया है। जैसे सूर्य को राजकीय कुल से चन्द्र को किसान के रूप में मंगल को क्षत्रिय के रूप में बुध को व्यवसायी के रूप में गुरु को पूजा पाठ और धर्म कर्म से सम्बन्धित कामो के लिये,शुक्र को कलाकारों के लिये शनि को सेवा कार्यों को करने वालों के लिये राहु को साफ़सफ़ाई और नई शक्ति प्रदान करने के लिये केतु को सहायता करने वाले और साधनों को प्रदान करने वाले लोगों के लिये शास्त्रों में बखान किया गया है। लेकिन इन ग्रहों के साथ अन्य ग्रह और भावों के समावेश के कारण जातियां की भी उपजातियां पैदा हो गयी,जैसे सूर्य के साथ चन्द्र मिल गया तो राजा किसान का बेटा बन गया मंगल मिल गया तो क्षत्रिय राज्य हो गया,बुध के साथ सूर्य मिल गया तो राज व्यवसायी हो गया,गुरु के साथ मिल गया तो राज धर्म मय हो गया,सूर्य के साथ मिल गया तो राज कलाकारों का हो गया,शनि के साथ मिल गया तो राज सेवा करने वालों का हो गया,राहु के साथ मिल गया तो सेवा कार्य करने वाले लोगों का हो गया,केतु के साथ मिल गया तो राज सहायता करने वाले लोगों का हो गया आदि बाते भी जानी जाती हैं। पृथ्वी पर इन ग्रहों के रूप में उपस्थित समुदायों का भी निर्धारण ग्रहों के अनुसार माना जाता है,जैसे सूर्य से प्राचीन समय में राज्य से सबन्धित लोग,चन्द्र से कृषक समुदाय के लोग जैसे जाट,मंगल से राजपूत और मारकाट करने वाले लोग,बुध से जैन आग्रवाल आदि जैसे लोग,गुरु से मन्दिरों के पुजारी और पंडित लोग,शुक्र से भौतिक सुखों को ही सब कुछ मानने वाले लोग जैसे सिन्धी समुदाय,शनि से सेवादारी करने वाले लोग जैसे नाई धोबी जुलाहा आदि राहु से सफ़ाई कर्मचारी मुस्लिम और खुले आसमान को अपना मानने वाले लोग केतु से ईसाई और दाढी बाल आदि रखने वाले लोगों के लिये माना जाता है।

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