Wednesday, July 21, 2010

कर्म फ़ल

रात के समय अन्धेरा होता है,दिन के समय उजाला होता है,धूप गर्म होती है,छाया शीतल होती है,आग से जल जाते है,ठंड से सिकुड जाते है,यह सब हम महसूस करते है इसलिये कहते है कि सत्य है। लेकिन अगर कहा जाता है कि आज सामने वाले पडौसी को टीबी की बीमारी डाक्टर ने बता दी है,और उसके जबाब में अगर कोई उसे बहुत समय से जानने वाला कह दे कि उसके कर्मों का फ़ल उसे मिला है,और जो उसे नही जानता है तो वह उससे कहेगा कि किसी टीबी वाले मरीज की संगति से टीबी हो गयी होगी,इन कथनो को भौतिक रूप से सत्यापित किया जा सकता है। लेकिन एक व्यक्ति यह कहे कि अमुक व्यक्ति दिन भर मेहनत करता है और उसके पास खाने के लिये अनाज तक नही जुट पाता है,वह काम करने के बावजूद भी भूखा रहता है,तो उसके पिछले कर्मों का फ़ल उसे मिल रहा है,यह बात सत्यापित करने के लिये या तो कोई उसके साथ पीछे वाले जन्म में साथ साथ रहा हो या उसके पिछले जन्म के बारे में कोई प्रकट यानी भौतिक सत्यापन हो तभी माना जा सकता है कि जो उसके साथ हो रहा है वह पीछे के जन्मों का फ़ल है। पिछले जन्म का मतलब समझने के लिये हमे अपने पीछे जाना पडेगा,और अगले जन्म के लिये हमे अपने आगे जाना पडेगा। हमारे पीछे हमारे पिता है,हमारी माता है जिसने हमे जन्म दिया है,तो क्या माता पिता के द्वारा किये गये कर्मों का फ़ल हमे भुगतना पडेगा,या आगे के जन्म के लिये हमारे द्वारा किये गये कर्मों का फ़ल हमारी संतान को भुगतना पडेगा? यही अकाट्य सत्य है और इसे माना भी जायेगा,कारण किसी भी प्रकार के भौतिक सत्यता को परखने के लिये कोई ऐसा उदाहरण होना चाहिये जो सत्यता को प्रकट करता हो। एक किसान एक खेत में बीज बोता है,कुछ बीज तो सही सलामत अपने पौधे को तैयार करने में कोई कसर नही छोडते है,कई बीज जमते ही नही है,और कई बीज जमने के बाद भी कोई फ़ल प्रदान नही करते है। जो जमते है और कोई फ़ल प्रदान नही करते है वह किसान की कमी से तो नही माना जा सकता है? किसान ने तो भी बीजों को सही सलामत एक ही खेत में बोया था,सभी को बराबर की खाद और पानी भी दिया लेकिन सभी मे बराबर का फ़लदायी होजाना चाहिये था। फ़िर कुछ के अन्दर पेड बनाने की फ़ूल बनाने की हिम्मत तो रही लेकिन फ़ल बनाने की हिम्मत क्यों नही रही? उस पेड के बीज में कोई कमी रह गयी थी,कमी कैसे रह गयी थी,उसका कारण कैसे पता किया जा सकता है? जब कई पौधों को अलग अलग समय पर उखाडा गया,उनसे जो बीज प्राप्त हुये,वे बीज अलग अलग बोये गये,जो बीज केवल फ़ूल देने तक ही सीमित रहा उस पेड को जब उखाडा गया,उस समय बीज के पकने के समय चलने वाली हवा नही मिल पायी थी,वही हवा मिलती रही जो पेड को पनपाती है। हवा क्यों नही मिल पायी,उसका भी कारण था,पेड का खेत के किनारे होना और पेड के फ़ल वाले पत्तों का धूल से भर जाना था,धूल से भरे पत्ते बीज की रक्षा सही तरीके से नही कर पाये,जितने भाग में धूल भरी थी उस भाग से नमी बाहर निकल गयी,और बीज के अन्दर तत्व की कमी रह गयी। इस सिद्धान्त से कर्म फ़ल की झलक जल्दी से समझ में आजाती है।

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