Friday, June 4, 2010

अहम

रात को खाना खाने के बाद हम सो जाते है,भोजन जो भी हमने खाया है,पानी पिया है दूध पिया है या जो भी गले से नीचे उतारा है वह अपने स्थान पर जमा हो गया और हम सो गये.हम तो सो गये लेकिन शरीर की मशीन अपना काम करती रही,पानी पानी की जगह पर गया,भोजन से मिलने वाले तत्वों से खून बना माँस मज्जा बनी,रज वीर्य बना सब अपनी अपनी जगह पर जाकर इकट्ठे हो गये और अपने अपने अनुसार कार्य भी करने लगे,सभी काम एक फ़ैक्टरी की तरह से होते रहे,लेकिन सोचने की बात यह है कि जब सभी काम हमारे द्वारा ही होते है तो भोजन करने के बाद हम तो सो गये थे,फ़िर यह सब काम शरीर के अन्दर किसकी देख रेख में हुआ,हमारी देख रेख में तो नही हुआ न ? हमारी सबसे बडी भूल है कि प्रकृति जो भी कार्य हमसे करवाती है उसे हम करते है,प्रकृति हमे कार्यों के अन्दर महसूस करवाती है कि अमुक कार्य में हम पारंगत नही है तो उस कार्य को असफ़ल कर देती है,और जिस कार्य में हम पारंगत हो गये होते है उसके अन्दर सफ़लता दे देती है,कार्यों को करवाना और नही करवाना प्रकृति का ही कार्य है हमारा नही,और जब हमारा कोई कार्य नही है तो हम यह क्यों कहते है कि हम कर रहे है और हमे किसी की आवश्यकता नही है,माना यही जा सकता है कि हम जिस कार्य को अहम के कारण अपना कहते है वह हमारा कार्य है ही नही,उसे करवाने के लिये प्रकृति ने हमे इस संसार में भेजा है,प्रकृति का कार्य निर्माण करना और बरबाद करना है,गर्मी के बाद बरसात को देना,मतलब पहले आग लगा देना और फ़िर पानी से बुझा देना,पानी से बुझाने के बाद सर्दी को पैदा कर देना,मतलब आग की जगह पर सर्दी को महसूस करवा देना। जैसे ही सर्दी का समय पूरा हुआ वापस फ़िर गर्मी को पैदा कर देना और फ़िर बरसात और फ़िर सर्दी,यह सब काम उस प्रकृति के द्वारा क्यों किया जा रहा है ? कोई जबाब देगा कि यह तो ग्रहों का चक्कर है,ग्रह सब यह काम करवाते है,तो ग्रहों के इस चक्कर को भी तो प्रकृति ने पैदा किया,हमारे द्वारा तो ग्रहों को पैदा नही किया गया ! फ़िर जबाब आयेगा कि यह सब भगवान के द्वारा किया जा रहा है,तो भगवान के पास और कोई काम नही है कि वह कुछ नया करवाये,वही पुराना काम करना,पहले घास पैदा कर देना फ़िर हिरन पैदा करदेना और फ़िर शेर को पैदा कर देना,घास को हिरन खायेगा,हिरन को शेर खायेगा और शेर को शेर ही मार डालेगा,या आदमी मार डालेगा। आदमी घास को भी खायेगा,हिरन को भी खायेगा और शेर को भी मारेगा। पहले रावण को पैदा कर दिया फ़िर राम को पैदा कर दिया,राम ने रावण को मारा,प्रकृति ने पहले रावण को पैदा ही क्यों किया ? यह जो भी सामने हो रहा है वह अहम का रूप है,"अहम-ब्रह्मस्मि" । लोग कहते है हम शाकाहारी है,जीव का नाश नही करते है घास फ़ूस खाकर जीवन को गुजारते है,घास फ़ूस को पैदा करने के लिये भी प्रकृति को मेहनत करनी पडी थी,वह भी जमीन से उगा और अपने आप बढता है पत्ते लगते है फ़िर फ़ूल लगते है फ़ूलों के बाद फ़ल लगते है फ़लों के अन्दर बीज लगते है फ़िर बीज जमीन पर गिरता है हवा पानी और खनिज तत्वों को लेकर फ़िर से घास जम जाती है और वही चक्र चलने लगता है,जैसे पहले हिरन को पैदा करने के लिये हिरन ही जिम्मेदार होता है फ़िर हिरन का बच्चा होता है वह फ़िर आगे हिरनों को पैदा करने लगता है,तो जो चीज हमारे आसपास पैदा हो रही है अपने आप जिसका विकास हो रहा है उसे हम खा रहे है और कह रहे है कि हम शाकाहारी है,हम पान नही कर रहे है,हम किसी को सता नही रहे है,घास का पत्ता तोडा जाता है तो घास बोलती नही चिल्लाती नही है,उसका चिल्लाना हम सुन नही सकते है हो सकता है कि घास के सुनने के लिये उसके अनुसार हमारे पास उसके जैसे कान नही होते है,घास के अन्दर से खून की जगह पर पानी निकलता है,लाल खून निकलता तो हम समझते कि हम हत्या कर रहे है,चुकन्दर को काटने पर तो खून से भी गहरा लाल रंग का द्रव निकलता है............?

1 comment:

KANISHK said...

please tell us the jist of the above said words