Saturday, April 7, 2012

कन्या राशि

कन्या राशि बुध की राशि है लगन में कन्या राशि होने से जातक के अन्दर सेवा वाले काम करने का अवसर प्राप्त होता है,वह सेवा बैंक से सम्बंधित हो सकती है डाकटरी कारणों से सम्बंधित हो सकती है किसी की व्यक्तिगत सेवा के लिए किया जाने वाला काम हो सकता है लोगो के लिए फायानेश के कार्य करने का काम हो सकता है,अगर इस लगन का स्वामी बुध लगन में ही है तो जातक को उचित यही होगा कि बोलने से लिखने से और शिक्षा देने से जो भी कार्य माने जाते है किये जा सकते है,कन्या राशि का धन देने का कारक शुक्र ग्रह है जातक को सेवा के बदले में अगर व्यापार का कारण लेकर चलना आता है तो शुक्र धन दे सकता है लेकिन वह अगर किसी की सेवा करने के लिए केवल मानसिकता को रखता है तो कार्य मुफ्त में ही किये जा सकते है,शुक्र के अनुसार वह धन कमाने के लिए अपनी योग्यता को प्रदान करने वाला होता है जैसे शुक्र अगर लगन में ही है वह अपने शरीर से किये जाने वाले कार्यों और शरीर के लिए ही किये जाने वाले कार्यों के अपनी योग्यता को देगा इसके अलावा शनि को भी देखना पड़ता है अगर जातक की कुंडली में शनि का स्थान तीसरे भाव में है तो कन्या राशि के तीसरे भाव में मंगल की अस्पताली raashi वृश्चिक आती है जातक को अस्पताली काम करने के बाद ही अपनी जीविका को चलाना पडेगा.मंगल अगर शनि को देखता है तो तथा राहू का असर भी शनि पर है तो डाक्टरी कार्यों में चीरा फाड़ी वाली कार्य करने पड़ सकते है इसके अलावा अगर शनि का असर मंगल पर भी है और मंगल अगर बारहवे भाव में है तो जातक को मुहं में होने वाले रोगों का इलाज करना पड़ सकता है आँखों की बीमारियों का इलाज तभी किया जा सकता है जब शनि की नजर सूर्य पर हो या सूर्य का स्थान शनि से बारहवा हो अगर शनि से ग्यारहवे भाव में बुध शुक्र केतु सूर्य है तो जातक को दांतों का डाक्टर भी बनना पड़ता है और एक दिन वह अपने कार्य में बहुत से कारणों से आगे बढाकर अपने पिता और परिवार का नाम भी ऊंचा करता है साथ में वह कई प्रकार के काम और भी करताहै जैसे दवाइयों का बेचना किसी दवा आदि की एजेंसी लेकर काम करना सरकारी रूप से अपने को रजिस्टर्ड करवा कर सरकारी कर्मचारियों के कार्य करना राहू के प्रभाव के कारण एक्सरे के काम करना भी माना जाता है लेकिन यह सब तभी संभव है जब बुध और शनि का टाल मेल हो या मंगल शनि को अपनी दृष्टि से कंट्रोल कर रहा हो.कन्या राशि के चौथे भाव में dhanu राशि आती है जातक को ऐसा लगता है कि जातक अपनी विद्या को विदेशी विद्या से जोड़ दे तो उसको बहुत फायदा हो जाएगा लेकिन जातक के लिए यह भी देखना पड़ता है कि चौथे भाव का मालिक गुरु किस राशि में है और किस भाव में है मान लीजिये कि गुरु मेष राशि में अष्टम में है तो जातक जरूर ही डाकटरी विद्या को सीखने के लिए विदेश का कारण अपने दिमाग में लाएगा और जातक को विदेश जाना भी पडेगा lekin वह तभी संभव है जब जातक अपने कागजो का अपनी साख का सही ब्यौरा प्रस्तुत करना जानता हो कही भी किसी प्रकार की कमी उसे विदेश जाने से रोक सकती है और मंगल जो बारहवे भाव में बैठ कर लेन देन का कारक बन जाता है जातक को बिना अनैतिक रूप से लेन देन किये विदेश नहीं जाने देगा,वह लेन देन चाहे पुलिस के रूप में हो या किसी प्रकार के विदेश मंत्रालय में दी जाने वाली घूस के रूप में हो.गुरु अगर वक्री है तो जातक का विदेश जाने का असर तभी पैदा हो जाएगा जैसे ही गुरु बारहवे भाव के मंगल से अपनी युति को प्रदान करेगा.जैसा प्रह्बाव जातक के लिए घर और मकान का होगा और जैसी हालत जातक के रहने वाले स्थान की होगी वैसी ही हालत जातक की पत्नी और ससुराल खानदान की होगी अक्सर कन्या लगन के जातको की शादी विदेशी परिवेश के लोगो से ही होती है और वह शादी अकसर उन्ही लोगो से होती है जो या तो पहले शादी कर चुके होते है या उनकी मनपसंद का जीवन साथी मिलने में बाधा होती है. जो भी शादी होती है वह अधिक दिन टिकती भी नहीं है कारण जीवन साथी कुछ समय तक तो इस राशि वाले को झेलता रहता है बाद में अपने मन के अनुसार किसी दुसरे स्थान से अपने प्रकार का जीवन साथी खोज लेता है और या तो दूर हो जाता है या फिर अपने जीवन साथी से कानूनी रूप से छुटकारा प्राप्त कर लेता है.कन्या राशि वाला जातक आदमी की बीमारी की हालत को ठीक करने के लिए इसलिए सही माना जाता है क्योंकि इस राशि के अष्टम में मेष राशि होती है अक्सर सर वाली बीमारियों का सही निदान कन्या राशि वालो के पास होता है.जैसे आँख कान गला नेत्र दांत आदि के बीमारी वाले कारणों को इस राशि वाला जातक बहुत जल्दी से ठीक करने की हिम्मत रकता है.अक्सर इस राशि वालो का भाग्य तब तक नहीं जागता है जब तक शादी नहीं की जाती है जैसे ही शादी हो जाती है नवे भा का मालिक शुक्र होने से शुक्र यानी संपत्ति का कारण जाग जाता है और जातक अनाप सनाप धन को कमाने के लिए तैयार हो जाता है,इसके साथ ही जातक को बाहरी धन भी बड़ी मात्रा में मिलने लगते है.भाग्य का मालिक शुक्र होता है और जब शुक्र का स्थान लगन में ही हो मान लेना चाहिए कि जातक के अनुसार ही जातक का जीवन साथी आयेगा और वह अपने सेवा कार्यों से और धन को बढाने की हिम्मत भी देगा और बचत आदि के मामले में तरक्की भी करेगा.दसवे भाव में बुध की ही मिथुन राशि होने से जातक का कार्य उतना ही बढ़ता जाएगा जितना जातक अपना संचार का क्षेत्र और अपनी वाणी भाषा पर अधिकार रखने में प्रवीण होगा अगर जातक की भाषा में बोलने में कुछ अटपटापन है तो जातक सफल होने के लिए पहले अपनी भासा हो सुधारने का काम करे,इसके साथ ही जातक जितना अपने जान पहिचान के क्षेत्र को बढ़ाएगा उतहा ही jaatak के लिए सफल होने का कारण पैदा होगा,जातक किसी प्रकार से विज्ञापन और जन संपर्क से भी अपनी उन्नति को कर सकता है.अक्सर इस लगन वाले की लाभ वाली स्थिति रोजाना बनती बिगड़ती रहती है वह कभी भी एक सा धन नहीं कमा पाता है वह जनता से जुडा होता है और सीजन के अनुसार ही उसे कमाना आ सकता है अक्सर इस राशि वाले अपना लगाव बुजुर्ग लोगो से अधिक रखते है और बुजुर्ग लोग अक्सर इस राशि की सहायता में भी खूब आते है भावनात्मक लोग भी जातक की सेवा में आते है और लाभ देते है अगर जातक की बड़ी बहिन है तो वह जरूर ही जातक की सहायता में हमेशा आगे भी रहती है और धन आदि के कारणों में सहायता भी करती है.बारहवे भाव का स्वामी सूर्य होता है और इस कारण से जातक को सर दर्द की बीमारी और पतला रहना भी मिलता है जातक अपनी उम्र में मोटा नहीं हो पाता है हमेशा चिंता में रहना और पिता या परिवार की कस्तादी में रहना भी जातक के लिए जरूरी होता है माता के द्वारा भी जातक को खुल के खर्च करने का मौक़ा भी नहीं दिया जाता है और जातक खुद भी अपने प्रभाव को सीमित रखने के लिए खुल के खर्च करने में और आने जाने में उन्ही साधनों का प्रयोग भी करता हा इजो केवल उसके लिए जरूरी होते है,अक्सर यह भी देखा जाता है कि जातक का अहम् भी खूब होता है और इसी अहम् के कारण जातक को आँखों की तकलीफ भी हो जाती है.किसी प्रकार से चोट लगने या चोट का निशान भी जातक के माथे पर देखा जा सकता है.

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