Friday, April 13, 2012

जिन्ह खोजा तिन्ह पाइयां !

प्रस्तुत कुंडली सिंह लगन की है स्वामी सूर्य है पंचमेश और अष्टमेश गुरु के साथ मे चौथे भाव मे विराजमान है.सूर्य को बल केवल गुरु का मिला है और बाकी के ग्रह अपना अपना बल केवल अन्य भावो को दे रहे है। चन्द्र राशि कन्या है स्वामी बुध है बुध का साथ भी चन्द्रमा से चौथे भाव मे शुक्र और केतु के साथ है.लगनेश सूर्य चन्द्र लगनेश बुध के अनुसार ही जातक का जीवन का सफ़र माना जाता है। लगनेश के भाव के मालिक मंगल छठे भाव मे है और लगनेश से तीसरे भाव मे होने से जातक की पराक्रम शक्ति का बखान करते है,चन्द्र लगनेश के भाव के मालिक गुरु चन्द्र लगनेश से बारहवे भाव मे सूर्य के साथ बैठ कर मानसिक गति की सीमा का विवेचन करते है.कार्य के मालिक शुक्र है,शुक्र का स्थान कार्य स्थान से अष्टम मे है और कार्येश के भाव के मालिक भी कार्येश से बारहवे भाव मे सूर्य के साथ विराज रहे है.धनेश भी बुध है और धनेश के भाव के मालिक भी धनेश से बारहवे भाव मे अपना स्थान बनाकर बैठे है.तुला के शनि ने कार्येश और धनेश को बल दिया है,केतु ने साथ रहकर और राहु ने लाभ भाव मे अपनी स्थिति को देकर धनेश और कार्यश के साथ अपना सहयोग दिया है.
कुन्डली मे शनि उच्च का है मंगल उच्च का है राहु केतु दोनो उच्च के है इसलिये जीवन मे शक्ति और कार्य तथा कार्य करने का तरीका और कार्य का विस्तार बडे रूप मे देखा जा सकता है।
धन का कार्य और सेवा वाला कार्य जो मृत्यु के बाद की सम्पत्ति को सम्भालने का हो या मृत्यु के डर से किये जाने वाले कार्य जैसे बीमा बचत विदेशी कम्पनी के साथ मिलकर किये जाने वाले कार्य,भी उच्च के मंगल से सही माने जा सक्ते है,जो भी कार्य प्लान बनाकर किये जाते है उनके अन्दर सफ़लता नही मिलती है,जो भी सफ़लता के कारण माने जाते है वह रास्ता चलते कार्यों का सिद्ध होना माना जाता है,कार्य व्यापारिक रूप से किये जाने का कारण भी मिलता है बडे भाई या मित्र के सहयोग से भी माना जाता है दूसरे पत्नी की सहायता से भी माना जा सकता है,बेलेन्स बनाकर कार्य भी करने का असर मिलने की बात मानी जा सकती है,पिता की मृत्यु के बाद मिलने वाली नौकरी के लिये भी गुरु सूर्य अपना असर दे रहे है पिता की त्यागी हुयी सम्पत्ति को भी इकट्ठा करने की और उससे जीवन यापन करने की शक्तिको माना जा सकता है,कालेज शिक्षा का कारक गुरु मृत्यु भाव मे होने से भी सरकारी सहायता से चलने वाले शिक्षा संस्थान से भी पत्नी की सहायता से कार्य करना माना जाता है.जीवन साथी का कारक शुक्र जब केतु और बुध के प्रभाव मे होता है तो न्याय वाले कार्य भी माने जाते है जमीनी नाप जोख के कार्य भी मिलते है,कानूनी कामो के लिये शनि भी अपनी योग्यता को प्रदान करने वाला होता है,बुध ज्योतिष का भी कारक है केतु संस्था प्रधान के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है,शादी विवाह का आयोजन और रहने ठहराने के कार्यों से भी आय का माना जाना उचित है.नेट वर्किंग और व्यापारिक रूप से कमन्यूकेशन के काम भी करने का कारण बन जाता है,लेकिन प्राथमिक रूप से अस्प्ताली कामो मे लिप्त रहना या पिता अथवा पिता परिवार के लोगो के लिये कार्य करना भी माना जा सकता है।
शादी के बाद से ही धन की स्थिति का होना माना जाता है,पारिवारिक कारणो से अथवा ससुराल खानदान की सहायता से जमीन जायदाद का मिलन अभी गुरु के अनुसार माना जा सकता है,यही प्रकार उल्टे होने से पत्नी और पत्नी कृत मामले मे न्याय मे जाना भी माना जा सकता है जहां धन खर्च होने की बात भी समझ मे आती है। धन का मिलना न्याय शिक्षा विदेशी सम्बन्ध यात्रा वाले कारण विदेशी बैंक विदेशी कम्पनी ऐजेन्सी का बनाकर चलना ब्रोकर वाले काम शेयर कमोडिटी के काम उत्तम फ़ल देने वाले माने जाते है।

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