Thursday, July 7, 2011

प्रश्न कुंडली से विचार करना

जब किसी व्यक्ति की कुंडली नही होती है और उसे ज्योतिष से प्रश्न पूंछना होता है तो उसी समय की जब प्रश्न पूंछने वाला अपने प्रश्न को लेकर सामने आता है तो कुडली बना लेनी चाहिये,उस कुंडली में लगन भाव और राशि के अनुसार उसी समय के ग्रहों को रख लेना चाहिये तथा इस प्रकार से विचार करना चाहिये।
यदि शुक्र और बुरु बलवान होकर लगन को देखते हों या लगन मे हों तो ब्राह्मन वर्ण मंगल और रवि बलवान होकर लगन को देखते हों या लगन में हों तो क्षत्रिय वर्ण चन्द्रमा बलवान होकर लगन को देखता हो या लग्न में हो तो वैश्य वर्ण बुध बलवान होकर लगन को देखता या लगन में हो तो शूद्र वर्ण और राहु एवं शनिश्चर दोनो ही बलवान होकर लगन को देखते या लगन में हो तो अन्त्यज वर्ण जानना चाहिये। विशेष प्रकार के मनुष्यों के ज्ञान करने के नियम है यह है कि सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में उदित हो और शुभ ग्रह से द्रष्ट हो तो सम्राट केवल उच्च राशि में रहने पर जमींदार स्वक्षेत्र सिंह राशि में होने से मन्त्री मित्र ग्रह में मित्र द्र्ष्ट होने से राजाश्रित योद्धा होता है। उपर्युक्त भिन्न सूर्य की स्थिति हो तो धातु का बर्तन बनाने वाला ठठेरा कुम्हार शंख में छेद करने वाला आदि निम्न श्रेणी का व्यक्ति समझना चाहिये। नर राशि में सूर्य यदि चन्द्र से द्रष्ट या युक्त हो तो वैद्य बुध से युक्त होने पर चोर और राहु से युक्त हो या द्र्ष्ट हो तो विष देने वाला चाण्डाल जानना चाहिये,शनि के बली होने पेड काटने वाला लकडहारा राहु के बली होने कपडा धोने वाला नाई चन्द्रमा के बली होने से नाचने वाला शुक्र के बली होने पर कुम्हार तथा चूना का काम करने वाला समझना चाहिये।
यदि लग्न मे कोई सौम्य ग्रह बलवान होकर स्थिति हो तो पूंछने वाले के मन में अपनी जाति के मनुष्य की चिन्ता तीसरे भाव में श्ति हो तो भाई की चिन्ता चौथे भाव में हो तो मित्र की चिन्ता पांचए भाव मे हो तो माता एवं पुत्र की चिन्ता जाननी चाहिये। छठे भाव मे हो तो शत्रु की चिन्ता सातवें भाव में हो तो स्त्री की चिन्ता या पति की चिन्ता आठवें भाव में हो तो मरे हुये मनुष्य की चिन्ता नौवे भाव में हो तो किसी धर्मात्मा या भाग्य की चिन्ता दसवे भाव में होने पर पिता या कार्य की चिन्ता ग्यारहवे भाव में होने पर होने पर बडे भाई या बडी बहिन या गुरु की चिन्ता अथवा पूज्य पुरुषों की चिन्ता बारहवे भाव में बली होने पर किसी हितैषी की चिन्ता को मानना चाहिये। रश्न करने के समय ग्रहों सूर्य के साथ शुक्र वक्री हो तो अथवा शुक्र अस्त हो तो व्यक्ति के अन्दर दूसरे की स्त्री या पुरुष की चिन्ता होती है,सातवें भाव में बुध हो तो वैश्या की चिन्ता को मानना चाहिये,इस स्थान के बुध के द्वारा मांगी गई गाडी की चिन्ता भी मानी जाती है,सप्तम में शनि हो तो किसी नीच वर्ण की स्त्री या कार्य करने वाली नौकरानी की चिन्ता मानी जाती है। यदि बुध और शनि साथ साथ हो तो हिजडे की चिन्ता को माना जाता है,अक्सर चौथे भाव में बुध और शनि की युति को नपुंसक की श्रेणी में माना जाता है। यदि लगन मे सूर्य हो तो पाखंडी व्यक्ति के बारे में चिन्ता को जानना चाहिये तीसरे और चौथे स्थान में हो तो कार्य की चिन्ता,मार्ग के बारे में भी तीसरे भाव से माना जाता है।
लगन मे चन्द्रमा हो तो धन की चिन्ता दूसरे भाव में हो तो धन के सम्बन्ध में परिवारी जनो की झगडे की चिन्ता तीसरे स्थान में हो तो नजर दोष की चिन्ता चौथे स्थान में हो माता की चिन्ता पांचवे स्थान में हो तो पुत्रो की चिन्ता छठे स्थान में हो तो खुद के रोग की चिन्ता सातवें स्थान में हो तो विवाह या जीवन साथी की चिन्ता को माना जाता है,आठवें स्थान का चन्द्रमा भोजन की चिन्ता को देता है,नवे स्थान से मार्ग को बदलने की चिन्ता से जोड कर माना जाता है चाहे वह चलने वाला मार्ग हो या किये जाने वाले कार्य को करने का तरीका हो,दसवे स्थान पर चन्द्रमा के होने से दुष्ट लोगों की चिन्ता ग्यारहवे स्थान से कपडो अनाज आदि की चिन्ता बारहवे भाव में चन्द्रमा हो तो चोरी गये सामान या व्यक्ति की चिन्ता को समझना चाहिये।
लगन में मंगल हो तो कलह की चिन्ता दूसरे भाव में धन को देने या धन को लेने की चिन्ता तीसरे स्थान में भाई या बहिन की परेशानी की चिन्ता चौथे भाव में होने से घर में अक्समात क्रोध पैदा होने की चिन्ता छठे स्थान से दवाई और अस्पताली खर्चे की चिन्ता सप्तम में होने से जीवन साथी के उग्र होने या दूसरे सम्बन्ध के मामले मे चिन्ता,आठवें स्थान में होने से तामसी भोजन को करने और बडे या छोटे भाई से बदला लेने की चिन्ता नवे भाव मे होने से किसी प्रकार के धर्म और समाज के प्रति विद्रोह की भावना दसवे से गाली गलौज और किये जाने वाले कार्य में खराबी की चिन्ता ग्यारहवे से परिवार के धन को कन्ट्रोल करने की चिन्ता को माना जाता है,बारहवा मंगल तामसी तंत्र और मंत्र के प्रति चिन्ता से जाना जाता है।

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