Friday, February 4, 2011

ग्रह युति (Mixer of Stars)

जैसे पानी के अन्दर खट्टा मीठा डालकर गर्म या ठंडा रूप देकर प्रयोग करने पर शर्बत या चाय आदि का रूप बन जाता है वैसे ही ग्रहों की आपसी युति अपना रूप बदल लेती है। इसी प्रकार से सूर्य तो एक ही है,अगर शाम को देखा जाये तो लाल रंग का और थोडी देर का मालिक कहा जाता है और सुबह का देखा जाये तो होता तो लाल रंग का ही लेकिन पूरे दिन का मालिक कहा जाता है,सूर्य और धरती के बीच में बादल आजाता है तो सूर्य का रूप बदल जाता है और धरती सूर्य के बीच में चन्द्रमा आजाता है तो सीधा सा सूर्य ग्रहण ही कहा जाता है। कुंडली मे ग्रहों के संयुक्त रूप की व्याख्या करना बहुत बडी बात तब मानी जाती है जब ग्रहों के बारे में पूरा ज्ञान और उनके आपस के मिलन और मिलन में उनका कम या अधिक का प्रभाव बदला हुआ रूप अपने अपने अनुसार कितना बलवान होता है या कितना कमजोर होता है यह बडे ज्ञान के अनुसार ही समझा जा सकता है।
एक दूसरे के विरोधी ग्रहों का भी योगदान होता है जैसे सूर्य रोशनी का मालिक है तो शनि अन्धेरे का मालिक है,मन्गल गर्मी देता है तो शनि ठंडक देता है,शुक्र रसीला है तो चन्द्रमा स्वादहीन है,बुध बोलने वाला है तो गुरु चुप रहने वाला है,राहु छाया देता है तो केतु छाया को माप देता है आदि बातें भी ग्रहों के अनुसार मानी जाती है।

सूर्य के अन्दर परिमाप के अनुसार शनि का मिक्चर मिला है तो एक नये ग्रह का निर्माण होता है,वह होता है राहु और सूर्य के अन्दर मन्गल की मिलावट हो जाये तो वह ग्रह केतु के रूप में माना जाता है,शुक्र के साथ मंगल का मिक्चर मिल जाये तो शुक्र सूख जाता है और ड्राई फ़्रूट के रूप में बन जाता है,सूर्य के साथ शुक्र मिल जाता है तो इतनी चमक दमक हो जाती है कि शुक्र की झलक ही सूर्य का खात्मा कर देती है। बुध के साथ मन्गल मिल जाये तो बोलने के अन्दर गर्माहट हो जाती है और बुध के अन्दर शुक्र मिल जाये तो बोलने के अन्दर रस टपकने लगता है। वही बुध के अन्दर गुरु मिल जाये तो ज्ञान का बखान होने लगता है। कम या अधिक ग्रहों की आपसी युति से माना जाता है। सूर्य के साथ बुध मिल जाये तो बोली मे अहम हो जाता है और हर बात मे राजनीति मिलने लगती है,केतु के साथ शुक्र मिल जाये तो कामुकता का अन्त हो जाता है,शुक्र के साथ राहु के मिलने से कामुकता में इतनी अधिकता आजाती है कि हर बात में ही कामुकता का रूप दिखाई देने लगता है। यह बात हर जगह नही मानी जाती है,कुंडली की राशि और भाव पर भी निर्भर करता है। शुक्र का प्रभाव अगर दसवे भाव में राहु के साथ हो जाता है तो कार्य करने के लिये शाही चमक दमक वाला दफ़्तर ही रास आता है चाहे सैलरी कितनी ही कम क्यों न हो। घर में भोजन की दिक्कत बनी रहे लेकिन पत्नी की सजावट और कास्मेटिक का बोलबाला जरूर होगा,पेट्रोल के लिये धन कमाने में दिक्कत होगी लेकिन गाडी चमक दमक वाली होगी। घर के अन्दर टूटा पलंग होगा लेकिन दरवाजे की सजावट निराली होगी,यह होता है शुक्र और राहु का इकट्ठा रूप।

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