Wednesday, September 22, 2010

24 सितम्बर 2010

ज्योतिष अपने रूप में कालचक्र को देखने वाली है। ज्योतिष मनुष्य की गुलाम नही है वह जो है उसे ही बखान करना जानती है। ग्रह को अपने भाव से प्रकट करना सभी की आदत है,भाव को ग्रह से जोडना भी अपने अपने भाव के बात है,भाव को बदला जा सकता है,ग्रह को भाव में रूप के अनुसार अनुमान लगाकर बताया जा सकता है,मनुष्य अपनी गति को बदल सकता है लेकिन ग्रह अपनी गति को नही बदल सकता है। जिस पृथ्वी पर हम टिके है उसकी गति को अगर दूर से देख लें तो घिग्घी बंध जायेगी,किस शक्ति से हम धरती पर टिके है उसकी गति कितनी भयानक है यह हम धरती की परिक्रमा करने की चाल से समझ सकते है।

आने वाले 24 सिबम्बर 2010 को काल चक्र की कुंडली के अनुसार चन्द्रमा का स्थान बक्री गुरु के पास है,गुरु मीन राशि में अपना गोचर कर रहा है। गुरु से दसवें भाव में राहु है और गुरु से चौथे भाव में केतु है। गुरु के घर में केतु के रूप में तीन लोग विराजमान है। तीन जज भी हो सकते है तीन बडे अधिकारी भी हो सकते है। बुध के गुरु से छठे भाव में होने से कानून का रूप माना जाता है। राहु के धर्म स्थान धनु राशि में होने के कारण लडाई धर्म की है,राहु बुध का नवम पंचम योग भी है,इसलिये लडाई धर्म स्थान से निकल कर देश की मीडिया की है,वह अपने अपने अनुसार जनता को भ्रम में ले जाने वाली स्थिति को देख रही है। गुरु से बुध छठे भाव में चन्द्रमा साथ है,गुरु कानून का मालिक है और चन्द्रमा जनता का मालिक है। कानून जनता के साथ है। बक्री गुरु का स्वभाव जल्दबाज होता है,जनता जल्दबाजी के लिये गुरु के इन्तजार में है,बक्री गुरु कभी फ़ैसला दे ही नही सकता है,साथ ही मीन का गुरु सुप्रीम कोर्ट की हैसियत रखता है,इसलिये कानून के रूप में सुप्रीम कोर्ट का ही दखल माना जा सकता है। गुरु हवा के रूप में है चन्द्रमा पानी के रूप में है,हवा पानी का जोर भी है। गुरु पिछले बारह साल के हिसाब किताब को करने के लिये मीन राशि में आता है,और मीन राशि से मेष में जाते ही फ़िर से नये निर्माण के लिये अपना रूप बनाने लगता है। गुरु जीव का कारक है,गुरु का पलटना जीव का पलटना है,गुरु चन्द्रमा के साथ है जनता को पलटने की हिम्मत रखता है,उल्टी हवा को चलाने के लिये अपने स्वभाव को प्रकट कर सकता है।

गुरु से दसवें भाव में राहु के साथ प्लूटो है प्लूटो का दसवें भाव में जीव के लिये संदेश देता है "Unforeseen activities can affect your career.Elements of  the world society can directly influence your job or your  status in  the world.You are self-assertive and need to incorporate diplomacy  and patience into  your  personality,  especially  when dealing  with the  world at large.This position can give a desire for power, a desire to retreat from society or a  desire to  be of  benefit and  service to  society.Using power and force to get your way will bring  your downfall.Use your  skills  to uplift  society and  the masses.You enjoy  working behind the scenes to accomplish your goals.You have an  instinct for knowing why people do the things they do."राहु के साथ प्लूटो की स्थिति बता रही है कि जो दिखाई नही देने वाली प्रतिक्रियायें है वे गुरु के कामकाज को प्रभावित कर रहीं है,संसार के समुदाय के रूप में जो उपस्थित पंचतत्व है वे कामकाज के प्रभाव को और गुरु की गरिमा को विदीर्ण कर रहे है,गुरु जो न्याय का कारक है,जिस गुरु के बल से संसार चल रहा है,उस गुरु की गरिमा को सीधे रूप से आहत किया जा रहा है। राहु जो सीधे रूप से गुरु के लिये चुनौती बना है वह अपनी छाया से गुरु की गरिमा को अपनी तरफ़ लाने के लिये बल का प्रयोग कर रहा है। न्याय प्रक्रिया को चुनौती देने के लिये एक साथ कई संगठन अपनी अपनी चाल को चलने के लिये तैयार हैं,अनुभवों के आधार पर प्रक्रिया चलाने की तैयारी है लेकिन कल का किसी को पता नही है।


सूर्य गुरु के सप्तम में है,गुरु न्याय है तो सूर्य सरकार है,गुरु सूर्य आपस की साझा नीति को लेकर चल रहे है,गुरु
सरकार के साथ साझा नीति से चलने के कारण अपने न्याय को बदलने के लिये बेबस है। सूर्य से चौथे भाव में राहु और प्लूटो है,सूर्य को अपने ही घर में आशंका और भ्रम है वह प्लूटो की ताकत के आगे बेबस है,वह राहु को मशीनी कारण समझती है,उसे राहु से ही भय है कि वह अगर राहु से टक्कर लेने की कोशिश करेगी तो उसके अन्दर से राहु का बल समाप्त हो जायेगा,उसका आस्तित्व नेस्तनाबूद हो जायेगा। सूर्य से दसवें भाव में केतु है,वह न्यायकर्ता को न्याय सम्बन्धी कार्य करने के लिये आदेशित कर रही है। शनि जो कर्म का कारक है,शनि जो सूर्य के साथ मिलकर सरकारी कर्मचारी का रूप धारण करता है,अपने कार्यों से सूर्य की सहायता कर रहा है। शनि की स्थिति कन्या राशि में होने के कारण शनि प्रधान काम करने वाले अपनी अपनी क्रिया से राहु और प्लूटो को तिर्यक द्रिष्टि से देखने के बाद प्रभावित कर रहे है।

मेष राशि के अल्लाह और तुला राशि के राम की लडाई लोग लेकर चल रहे है,जबकि दोनो ही एक दूसरे के पूरक है,दोनो के बिना रहना खाना तरक्की करना अपने देश समाज व्यवस्था को चलाना बेकार ही माना जायेगा। एक दूसरे की पूरकता को समझे बिना प्रोग्रेस संभव नही है,हिन्दू धर्मावलंबी नेता अपने जो विचार लेकर चल रहा है उस विचार के अनुसार उसके लिये कहा जा सकता है - "Control and power issues along with feelings of ownership are  present with the living partner.  Cooperation with the mate will need to be learned. A partner may be selected based on  that person's  ability to stand their ground and not give in. A partner such as this  could make the relationship very combative and competitive rather than harmonious and equal-sided. You are inclined to seek a  partner who  will provide  a challenge  to discover new resources within yourself that will give you the power to transcend previous performances and  to transform  certain aspects  of your being. A partner who makes you feel growth and  intensity is  one you seek.  There is a tendency to admire well developed will power  in others,  with  the  result  that  you  may attract  those who  tend to dominate  you,  possibly  feeling  that  if  you have  to cope  with a somewhat overpowering  personality you  may discover  more effectively the full extent of your own resources.There are intense feelings  and reactions  in your  relationships. You have a need to cooperate with  others and  expect total  commitment in your  partnerships.   Trouble  can  occur  when  this  same  sense  of commitment is not felt by the other person in the relationship."उसी जगह पर मुसलमान धर्मालंबी नेता जो अपने मन के विचार लेकर चल रहा है उसके लिये यह कह पाना मुस्किल है कि वह लडाई आखिर किस तरह की लडना चाहता है,जब भोजन करना,रहना,अपने अपने विचारों के अनुसार अपनी सन्तान को आगे बढाने का काम साथ साथ ही हो सकता है तो वह क्यों अपने को अलग मानता है,यह बन्धन है,और यह बन्धन मौत से पहले तो टूट नही सकता है,तो फ़िर हम अपनी संतान को क्यों बेकार के पचडे से भयभीत करें,जो संतान भयभीत होगी तो उसकी आगे की प्रोग्रेस रुक जायेगी,किसी के द्वारा बलपूर्वक छीनी गयी रोटी कितने दिन खाई जा सकती है,एक दिन तो कमाकर खाना ही पडेगा,जो लोग आज किसी सहायता को दे रहे है वे लोग अपने स्वार्थ के पूरा होते ही खुद तुम्हारे ही दुश्मन बन जायेंगे,फ़िर घर की लडाई को क्यों लडा जाये,क्यों न अपने विवेक से काम लेकर एक साथ चलकर उस घरफ़ोडी नीति को दूर किया जाये,जिस रास्ते पर पति को जाना होता है उसी रास्ते पर पत्नी को चलना पडता है,जिस रास्ते पर भाई को जाना होता है उसी रास्ते पर बहिन को जाना पडता है,और जैसे ही दोनो पति पत्नी या भाई बहिन अपने रास्ते को बदल कर दूसरे रास्तों पर चलने की कोशिश करते है या तो समाप्त हो जाते है या उनकी प्रोग्रेस जो वे करने के लिये पैदा हुये है वह खत्म हो जाती है। मुसलमान नेताओं के पास जो है अगर वे हिन्दू नेताओं को साथ लेकर अपने काम को करने लगें तो मजे ही मजे है,लेकिन घरफ़ोडू उन्हे इकट्ठा रहने नही दे रहे है,लालच देकर एक बार घर को फ़ोडा तो कितनी जाने गयीं तब जाकर आपसी करार हो पाया,और जो लोग न्यारे होकर दूर बैठ गये है उन्हे तो जलन होनी ही है कि उन्हे जो चाहिये था वह मिल नही पा रहा है,तो क्यों न आपस में लडाकर मजे लिये जायें,उनके पास जो शक्ति है - "You  are  strong-willed,  brave,  self-sufficient  and  probably enjoy throwing  your  weight  around. Yet  you  may lack  self-confidence.Controlling others may become an issue for you.You crave  experience and  transformation.   Regeneration  is  a  topic  that occupies  your thoughts. There is a  magnetism that  surrounds you  that draws  other people to you, yet you may be a  loner whom  others find  difficult to understand.  You can be gentle and  sensitive, yet  will always  fight for what you believe in.  You  don't back  down from  anyone. You  are capable of great anger  under the  right circumstances  and when  this occurs, you  can go  off like  an A-bomb.You may  be a  channel for healing  and  can  perhaps  develop  this  ability should  you decide.Forgive  and  forget and  don't brood  over slights,  whether real  or imaginary.  Trying to be a little more flexible wouldn't hurt either.

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