Monday, April 5, 2010

इच्छा शक्ति और शरीर की बीमारियां

सर्दी की ऋतु जाते ही पेडों पर गहरे हरे रंग के पत्ते लदे हुये दिखाई देते है,शरीर के अन्दर बहुत ही अधिक आलस्य भरा हुआ होता है,जैसे जैसे पेडों के पत्ते पीले पडते है वैसे वैसे शरीर में गर्मी बढने लगती है,जैसे जैसे पेडों के पत्ते झडने लगते है वैसे वैसे शरीर के अन्दर बुखार और तरह तरह की बीमारियां पनपने लगतीं है,जैसे जैसे पेडों के अन्दर नई नई कोपलें आने लगती है वैसे वैसे शरीर की गर्मी छंट कर फ़ुर्ती आने लगती है,जैसे जैसे पतझड होने के बाद पेडों में फ़ूल आने लगते है,जैसे आम के अन्दर बौर आना,नीम के अन्दर बौर आना,वैसे वैसे शरीर के अन्दर स्फ़ूर्ति और कामुकता का उदय होना शुरु हो जाता है,जैसे जैसे आम और नीम के फ़ल पकने लगते है उसी प्रकार से शरीर के अन्दर के तत्व खून के कण मजबूत होने लगते है,उनके अन्दर बल बढने लगता है। जैसे जैसे फ़लों का पक कर झडना शुरु हो जाता है वैसे वैसे शरीर के अन्दर बढने वाले बल का ह्रास अधिक मैथुन करने से या अधिक मेहनत करने से होना शुरु हो जाता है,पानी की बरसात होते है जैसे जैसे पेडों की डालियां जो अधिक फ़ल देने के कारण निस्तेज होती जातीं है वैसे वैसे शरीर जो अधिक मैथुन या कार्य कर गये होते है निस्तेज होना शुरु हो जाते है। बरसात के बाद जैसे ही जाडे की ऋतु आती है,वैसे वैसे ही पेडों के अन्दर नई नई डालियां बन गयीं होती है,उसी प्रकार से दिसम्बर जनवरी के महिने में शरीरों की उत्पत्ति होनी शुरु हो गयी होती है। यह गति प्रकृति के द्वारा समझी जा सकती है,और अपने को आहार विहार के द्वारा निरंतर चलाते रहने से शरीर की पुष्टि को ध्यान में रखा जा सकता है। बल और वीर्य को क्षय करने के लिये जिस प्रकार से वायु तत्व शरीर में कार्य करता है उसी प्रकार से पेडों के लिये भी चलने वाली वायु का प्रकोप मान्यता रखता है,जिस दिन आंधी आती है और पेडों का टूटना गिरना शुरु होता है,उसी महिने में कोई प्राकृतिक आपदा आनी जरूरी होती है और अधिक से अधिक जनहानि को देखा और सुना जा सकता है। घर के अन्दर खडा नीम या आम का अथवा किसी ऋतु वाले फ़ल का पेड अक्समात सूख जाता है तो घर के अन्दर अक्समात किसी शरीर का विनास सम्भव माना जाता है। अक्सर इस बात को लोग किसी दुरात्मा का प्रभाव मानते है,लेकिन यह एक प्रकार की वायु का प्रकोप होता है,जिस घर के अन्दर दरवाजा नैऋत्य दिशा में होता है उस घर में यह जरूर होता है,अक्सर यह असर जाडे की ऋतु में जब अधिक ठंड पडती है,तब होता है।
अक्सर हमारे शरीर के बाल झडने लगते है,और हम उनके लिये कई तरह के प्रयोग करते है,लेकिन बालों का झडना भी एक प्रकृति की बडी देन होती है,जो शरीर अधिक चिन्ता करते है,उन्हे दिन रात किसी बात की चिन्ता लगी रहती है,उनका खाना पीना सब कुछ चिन्ता के कारण अक्सर बेमानी हो जाता है,उनके शरीर के अन्दर वायु प्रवेश करती रहती है,उस वायु को पहिचानने के लिये हम किसी चिन्ता करने वाले व्यक्ति को देखते है तो वह किसी सोच में डूबे रहने के दौरान बीच बीच में एक लम्बी स्वांस भरता है,उस लम्बी स्वांस के साथ किये जाने वाले विचारों का जहर भी होता है,वह सांस शरीर के बाहरी आवरणों के अन्दर समाती रहती है,साथ ही चिन्ता करने के समय शरीर को सर्दी गर्मी बरसात आदि की चिन्ता नही रहती है,वायु का रूप अधिक मनन करने के कारण विभिन्न तरीके से शरीर के अन्दर प्रवेश करता रहता है,उसी वायु तत्व की अधिकता से शरीर फ़ूलता चला जाता है,और बालों का झडना शुरु हो जाता है,अधिक मोटे लोगों के शरीर में बालों की कमी का कारण यही माना जा सकता है। मनुष्य शरीर में दिमागी चिन्ता करने का कारण भी अपनी सुरक्षा के प्रति ही होता है,चाहे वह धन की चिन्ता हो या वह परिवार के प्रति की जाने वाली मर्यादा की चिन्ता हो,चिन्ता ही शरीर को मोटा करती है,अधिक खाने से या अधिक आराम से शरीर मोटा नही होता है। वे मनुष्य अधिक सफ़ल माने जाते है जो एक काम को करने के बाद दूसरे काम की चिन्ता को करते है। सबसे अधिक सफ़ल वही व्यक्ति होते है जो अपनी चिन्ता को दूसरों को देना जानते है। इच्छाओं को समाप्त करने का तरीका जिन्हे आता है वे अधिक सफ़ल हो जाते है। इच्छाओं को समाप्त करने के लिये एक मिथिहासिक कहानी कही जाती है-
"एक व्यक्ति ने एक शर्त खुले रूप में जनता में प्रकाशित करवा दी कि जो व्यक्ति उसकी बकरी का पेट पूरी तरह से भर देगा उसे वह एक लाख रुपया इनाम का देगा,और नही भर पाया तो उससे पेनल्टी के रूप में एक हजार रुपया ले लेगा",लोगों के मन में एक ही विचार आया कि बकरी का पेट भरना कौन सी बडी बात है,बकरी तो घास फ़ूस पेड पौधे अनाज सभी कुछ खा जाती है,उसका पेट तो आराम से सौ रुपया में ही भरा जा सकता है,लोग आने लगे और बकरी को ले जाकर घास फ़ूस पत्तियां अनाज आदि खिलाकर उसे वापस उसी इनाम देने वाले व्यक्ति के पास ले जाते,वह इनाम देने वाला व्यक्ति पास में ही खडे एक नीम के पेड से कुछ पत्तियां तोडता और बकरी के पास ले जाता,बकरी पत्तियां तुरत खा जाती,इनाम को लेने के लालच में गया व्यक्ति एक हजार की पेनल्टी देकर सिर पीटता हुआ वापस आजाता,इस प्रकार से इनाम के लालच में कितने ही लाख रुपये उस इनाम देने वाले व्यक्ति ने कमा लिये लेकिन कोई भी उस बकरी का पेट नही भर पाया,एक दिमाग से सुलझा हुआ व्यक्ति उस इनाम देने वाले व्यक्ति के पास गया और बोला कि "आजतक कोई तुम्हारी शर्त को पूरा नही कर पाया है,वह इस शर्त को पूरा तो करेगा,लेकिन एक शर्त और उसकी माननी पडेगी",इनाम देने वाला व्यक्ति घंमड से बोला कि उसे कोई भी शर्त मंजूर है,उस व्यक्ति ने शर्त रखी कि अगर वह बकरी का पेट भर देता है तो उसने जितनों के एक एक हजार रुपया लिये सभी को वापस करेगा,और एक लाख अलग से इनाम देगा",उस इनाम देने वाले व्यक्ति को पताथा कि बकरी इच्छा वाला जीव है,उसे कितना ही खिला दिया जाये,उसकी इच्छा कभी पूरी की ही नही जा सकती है,इनाम देने वाले व्यक्ति ने सहर्ष उस शर्त को मान लिया। वह शर्त रखने वाला व्यक्ति उस बकरी को लेकर एक निर्जन स्थान में नीम के पेड के नीचे लेकर गया और एक मजबूत रस्सी से उस पेड के तने में बांध दिया,एक हाथ में लपलपी हरे नीम की छडी और एक हाथ में नीम की पत्तियां लेकर वह बकरी के पास खडा हो गया,जैसे ही बकरी पत्तियों को खाने की इच्छा करती वह हरी पत्तियों को तो अलग कर लेता,और उस छडी को उसके मुंह में मार देता,बकरी जब भी उन पत्तियों को खाने को करती उसे उस छडी की मार सहनी पडती,उस व्यक्ति ने शाम तक यही किया,बकरी को एक पत्ता तक खाने को नही दिया,और बदले में जैसे ही वह खाने के लिये मुंह घुमाती एक छडी की उसके मुंह में पडती। शाम तक बकरी का यह हाल हो गया कि उसके सामने हरी पत्ती या कोई भी खाने की चीज ले जायी जाती वह उन्हे खाने की बजाय दूर भागने लगी,उसे छडी की जगह अगर खाने की कोई चीज भी दिखाई जाती तो वह दूर भागने लगी,वह व्यक्ति उस बकरी को लेकर इनाम देने वाले व्यक्ति के पास पहुंचा,इनाम देने वाले व्यक्ति के अन्दर घमंड था ही कि वह बकरी इच्छा पर चलने वाला जीव है,उसने जैसे ही नीम की पत्तियों को बकरी को दिखाने की कोशिश की रस्सी की पकड रोजाना की तरह ढीली होने के कारण बकरी दूर भाग कर जा खडी हुयी,आसपास के लोग अचम्भित हो गये,कि बकरी बजाय पत्ते खाने के पत्तों से ही डरने लगी है,और वह इनाम देने वाला व्यक्ति किसी प्रकार से बकरी को पत्ते नही खिला पाया,वह शर्त हार गया था,उसे शर्त के मुताबिक सभी के लिये गये एक एक हजार रुपये भी वापस करने पडे,और एक लाख रुपया अपनी जेब से भी देना पडा। इच्छाओं को समाप्त करने का एक ही तरीका है,जिस चीज की अधिक इच्छा है,उसके पास जरूर जाओ,लेकिन उसे प्रयोग मत करो,प्रयोग करने का अधिक जी करे तो उसकी जगह प्रताणना वाली चीज का अनुसरण करो,जैसे अधिक मिठाई खाने की इच्छा चले तो मिठाई पास में रख कर मिर्च को खाना शुरु कर दो,धीरे धीरे मन को प्रताणित करने के बाद अधिक मिठाई खाने की इच्छा खत्म हो जायेगी।

7 comments:

निर्झर'नीर said...

rochak kahani ..

Sachin Salvi said...

Bahut Azi Kahani Hai
Eza Sakti Marneki

bajju said...

Everybody read this story and follow.Good article.congrates.

Hemchand said...

bahut achi hai

Pawan Kr. Jain (Jyotish, Vastu and Reiki Master) said...

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Unknown said...

Nice article

devesh said...

Nice..... Kafi sochna hua vichar h... Thank u