Tuesday, April 13, 2010

राहुदेव की करामात

मेरे पास एक महिला अपनी व्यथा के प्रति आयी और अपनी कुंडली मुझे दे दी,उसकी कुंडली में राहु नीच का बैठा था,और त्रिक भाव में भी था,शनि का असर उस राहु पर त्रिक भाव से ही था। मैने उससे कहा बेटी तुझे पति सुख तो है नही,और जब तक तू शनि राहु का उपाय नही कर लेती तब तक तुझे गृहस्थ सुख मिल भी नही सकता है। वह महिला रोने लगी और बोलने लगी कि मैने अपने पैर में अपने आप ही कुल्हाडी मार ली है,मेरा पति अच्छा कमाऊ है वह मुझे बहुत ही प्यार भी करता है,एक दिन हम दोनो में पता नही कैसे बक झक हो गयी,मैने उससे लडाई की और अपने पिता को फ़ोन कर दिया,मेरे पिताजी आये और मुझे लेकर चल दिये,मेरे पति ने मुझे रोका तो मैने उन्हे शपथ रख दी कि तू अगर एक बाप की औलाद है तो मुझे मत रोकना,और न ही मुझे लेने आना। मैं अपने पिता के साथ अपने मायके चली आयी,मेरा पति मुझे लेने के लिये फ़िर भी आया,मैने अपने घर में झूठ सच बोलकर पति के प्रति और उनके परिवार के प्रति नमक मिर्च लगाकर काफ़ी कुछ कह दिया था,मेरे प्रति कोई भी अत्याचार भी नही हुआ था फ़िर भी मैने अपने पति के प्रति अपनी माताजी और भाइयों से काफ़ी कुछ कह दिया था,मेरे पति के आने पर मेरे भाइयों ने उनसे उल्टा सीधा कहा और उनके साथ मारपीट भी कर दी,वे अपमानित होकर चले गये,और उसके बाद आज दो साल हो गये है,उनका कोई समाचार मेरे पास नही है,मेरे घर वालों ने कुछ समय तो ठीक रखा और उसके बाद मुझसे कपडे की फ़ैक्टरी में काम करने के लिये बोला,मैं काम भी करने लगी,लेकिन वहाँ से जो पगार मिलती थी,घर आकर मेरी मां मुझसे ले लेती है,घर में जब भी कोई आता है तो वह यही बात कहता है कि इस लडकी की शादी में कितना खर्चा किया सब बेकार हो गया,मेरी मां सभी से यही कहती कि मेरी बेटी की तो इसके ससुराल वालों ने जिन्दगी ही खराब कर दी है। उस महिला ने मुझसे उपाय पूंछा कि मैं अपने घर कैसे जाऊं कोई ऐसा उपाय दीजिये जिससे मैं अपने घर चली जाऊँ,मायके में मेरा जीना नर्क के समान हो रहा है,दिन भर काम करूं और शाम को आकर भाईयों के बच्चों की देखभाल करूं,भोजन के नाम पर सुबह को चाय और कुछ बासीकूसी रोटी खाकर जाऊँ,शाम को आकर जब सभी लोग खा लें तब भाभियों के साथ बैठ कर जो मिलजाये उसे खा लूँ,वह सिसकती जा रही थी और अपनी बात को कहती चली जा रही थी। मैने उसे संत्वावना दी,और उसे राहु शनि के तीन तीन लाख जाप करने के लिये बोला,उसने रोजाना दीपक जलाकर राहु और शनि के जाप दस बारह घंटे रोजाना करना शुरु कर दिया,बीच बीच में वह टेलीफ़ोन से अपने हाल चाल मुझे देती रहती,उसके घर वाले भी जाप के समय उससे कुछ नही कहते,उसने नौकरी भी छोड थी,पूरे जाप उसने तीन महिने के अन्दर कर लिये,तीन महिने दस दिन के बाद पति के किसी पडौसी ने उसे फ़ोन किया कि उसके पति की तबियत खराब है,और वह पास के ही एस एम एस हास्पिटल में भर्ती है,उसने घर वालों से पति को देखने के लिये जाने के लिये कहा,उसके माता पिता भाई भाभी सभी ने मना कर दिया,उसने मेरे को भी फ़ोन किया,मैने उससे कहा कि उसे जाना चाहिये। वह बिना किसी के पूंछे अपने पति को देखने के लिये अस्पताल जा पहुंची,उसके पति को लगातार चिन्ता के कारण अन्जाना रोग हो गया था,जैसे ही वह अपने पति के पास पहुंची,उसका पति फ़ूट फ़ूट कर रोने लगा,वह भी अपने पति के पास जाकर फ़ूट फ़ूट कर रोने लगी,पति के घर वालों ने दोनों को चुप कराया,और उसने अपने पति की जी जान से दस बारह दिन अस्पताल में ही सेवा की,उसका पति जल्दी जल्दी ठीक हो गया और दोनो अपने घर आ गये। उसके घर वाले भी एक दिन उसके पति से आकर क्षमा याचना करके माफ़ी मांग गये। वह महिला भी बहुत कुछ समझ गयी थी,आज दोनो पति पत्नी मजे में है उनके पास एक सुन्दर बेटा है। इस प्रकार से ग्रह पीडा के लिये मंत्र जाप अति उत्तम माना जाता है,ग्रह का जाप अस्सी प्रतिशत तक काम करता है,पहने जाने वाले रत्न चालीस प्रतिशत तक काम करते है,और सम्बन्धित व्यक्ति की सेवा भी पचास प्रतिशत तक काम करती है। दान पुण्य भी बीस प्रतिशत तक काम करता है।

11 comments:

Priyanka said...

Waah guruji, kya likha hai!!! Parte hi yaad aa gayi kisi ki...

Unknown said...

guruji nakaskar
aap ne sach lika hai grehe ka bada kel hai jindagi mai.

tina said...

sach hi kha hai guruji,hum wahi kat te hain jo bote hai ..sayad ishlie shanidev ko karm ka devta kaha jata hai jo sada nyay karte hain bhale hi dukh de kar aatma hi kyon na hila den lekin finaly woh hi kalyan bhi karte hain...aishe kuch example maine bhi dekhe hain..

shelly said...

mere pati export ka naam shuru karna chahte hai. ye waqt theek hai ? ka fir aur koi kaam kare ?
e-mail - shellysuri26@gmail.com

Kundan Kumar Singh said...

guru jee aapne bilkul sahi kaha graho ke prabhav se jindagi kaha se kaha chali jaati hai.mai bhi rahu ki maha dasha se prabhavit hu aur mai bina kisi karan ke apno ko kho diya shayad wakt badalne par fir se apno se duri kam ho.

Kundan Kumar Singh said...

guru jee aapne bilkul sahi kaha graho ke prabhav se jindagi kaha se kaha chali jaati hai.mai bhi rahu ki maha dasha se prabhavit hu aur mai bina kisi karan ke apno ko kho diya shayad wakt badalne par fir se apno se duri kam ho.

alpesh said...

guruji namskar...
me apni kundli aap ko dikhana chahta hu.... muje ku6 solution batai ...
aap krupa kare me badi musibat me se nikla hu....alpshish@gmail.com

Unknown said...

गुरु जी देश की 1/3 जनसंख्या हमेशा राहु के प्रकोप में जीती है...कृपया राहु के समाधान हेतु मार्गदर्शन बताइये

Unknown said...

उच्च कोटि के ज्ञान एवं प्रेरणा दायक लेख से प्रतीत होता हैं कि सेवा भाव आचरण में ब्याप्त हैं जिसका आज के युग में अधिकतर विद्वानों में अभाव हैं आपके सेवाभाव के उद्देश्य से स्वयं के साथ जिज्ञासुओं एवं दुखी जातकों काम कल्याण निश्चित हैं।

Unknown said...

🙏Guru Sarnm Paai pani🙏🙏🙏🙏🙏

vicky said...

jai rahu mahara ji ki jo is ladies ko apni sharna main liya or uspar apni kirpa ki hai om rah rahvy namah jai rahu maharaj ji ki