Friday, April 16, 2010

वृश्चिक का बक्री शनि,बक्री शुक्र बुध से युति -2


शनि की आदतों से नही शनि की नजर से डरा जाता है,शनि की नजर जहाँ भी पड जाती है उसका कल्याण होना निश्चित है,मार्गी शनि पानी वाला सांप माना जाता है तो वक्री शनि जहरीला सांप और अस्त शनि को शेषनाग की उपाधि दी जाती है। कुंडली के त्रिक भाव में अगर शनि है तो बिना अपना असर दिये नही जाता है लेकिन शनि की आदत है कि वह अगर अपने इष्ट देव चाहे जो भी हों या अपने माता पिता की सेवा में रहता है,तो उसके ऊपर यह अपना असर कम ही करते हैं। वृश्चिक राशि के बक्री शनि के बारे में अपनी बात चल रही थी,उसे वहीं से चालू करना ठीक रहेगा। शनि की तिरछी नजर चौथे भाव पर पडती है,और चौथा भाव माता मन मकान वाहन का होता है,अक्सर इस शनि वाले लोग अपने नजर से इन भावों पर गहरा असर डालते है,या तो माता को ऐसी बीमारी होती है कि वह लाख दवा करवाने से भी ठीक नही होती है,अन्यथा घर के अन्दर कोई ऐसा मेम्बर पैदा हो जाता है जिसकी बदौलत घर के अन्दर हमेशा ही टेन्सन बनी रहती है,इसके अलावा अक्सर कहीं भी आने जाने में वाहन का प्रयोग करने पर कोई ना कोई घटना भी होना माना जाता है,या तो गाडी खराब हो जाती है और जो खर्चा किराये में देकर जाना होता था उससे कई गुना गाडी ले जाने में हुआ लेकिन गाडी भी जाकर बियावान जगह पर खराब हो गयी तो और भी बुरा हाल हो गया,धन भी खर्च किया और गाडी भी किसी दूसरे से मंगवाने में अनाप सनाप खर्चे के अलावा भी जहां जिस काम से जा रहे थे वह काम भी नही हुआ। इसी प्रकार से शनि की चौथी नजर से यह भी जाना जाता है कि जहां पर हम निवास करते है वहां के लोग या तो नीच प्रकृति के होते है और उन्हे इस बात की चिन्ता होती है कि इस शनि वाले के घर पर क्या हो रहा है,कौन आ रहा है कौन जा रहा है,किस से बात हो रही है कौन क्या काम कर रहा है और अगर वह कोई अपने घर के अन्दर नया काम करवाने के लिये जा रहा है तो उन्हे जलन हो जाती है कि यह काम कैसे करवा रहा है वह तो लाख कोशिश करने के बाद भी काम नही करवा पा रहा है। इस प्रकार से यह भाव विद्या का भी माना जाता है,जातक के अन्दर वे सभी चालाकी और चतुराई वाली विद्यायें भर जाती है जिनके द्वारा लोगों को ठगा जाता है,लूटा जाता है वाहनों में डकैतियां डाली जाती है,किसी भी असहाय को सताया जाता है आदि बातें जानी जाती है,इस प्रकार से इस शनि का जातक ना तो खुद चैन से रहता है और ना ही अपने आसपास वालों को चैन से रहने देता है,उसे कुछ नही तो अपने स्वभाव से किसी अन्जाने व्यक्ति से पंगा लेने की आदत बन जायेगी और वह अन्जाना व्यक्ति जो भी आसपास के लोग रहते है,उनका भी शत्रु बन जायेगा। मैने पहले ही बताया है कि इस प्रकार के जातक के अन्दर कोई ना कोई तामसी नशे को करने की आदत होती है,और अक्सर वह अपने आसपास के इसी प्रकार के लोगों को तलासा करता है कि वह भी अपने नशे को पूरा करने के लिये उन लोगों को प्रयोग में ले। घर के आसपास के लोगों के लिये इस प्रकार का जातक अक्सर कोई ना कोई बखेडा खडा किये ही रहता है। इस भाव में शनि की ही कुम्भ राशि होने के कारण वह अपने घर में ही दोहरी नीति बनाकर चलता है,अपने घर के लिये वह सामने से इस प्रकार से इस प्रकार की बनावट करता है कि वह घर दूर से ही चालाकियों का पुतला दिखाई देता है,इस राशि के शनि वाला जातक अपने घर से भी दिमाग से कमाने की कोशिश करता है वह या तो किराये से घर को चलाता है या फ़िर घर के अन्दर ही कोई व्यवसायिक कार्य को चालू रखता है,कानूनी या अन्य कारण उसके घर में पता नही कर पाते है कि उसके घर के अन्दर कौन सा कार्य चल रहा है। इस शनि का सीधा असर अपने सप्तम की वृष राशि में जाता है,जातक अपनी जीवन संगिनी या जीवन साथी के लिये बहुत ही खतरनाक माना जाता है,अक्सर मार्गी शनि वाला जातक अपने जीवन साथी को कोई ना कोई जोखिम दे कर ही रखता है,और इस राशि के जीवन साथी के लिये कोई भी खतरा लेना इसलिये दिक्कत नही देता है कि वह मार्गी शनि की शारीरिक मेहनत का गुलाम होता है लेकिन बक्री शनि के प्रभाव से जातक के अन्दर अपने जीवन साथी के रोजाना के कामों को शक की नजर से देखा जाना भी पाया जाता है,किसी भी काम को वह शक की नजर से लगातार देखते रहने के कारण घर के अन्दर हमेशा माहौल तनाव में रहता है। तनाव की बजह से जीवन साथी की सेहत किसी ना किसी कारण से खराब होती है,बात को बदलने और अधिक चालाकी के कारण उसके रिस्तेदार भी उसकी बातों का विश्वास नही करते है,वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये जीवन साथी के परिवार वालों के साथ भी झुकने के लिये तैयार हो जाता है लेकिन स्वार्थ की पूर्ति होने के बाद वह उनके साथ भी चालाकी की बातों को करने के बाद रिस्तेदारी को भी समाप्त करने से नही चूकता है। शनि की दसम द्रिष्टि कार्य भाव में होती है,कार्य भाव में सूर्य की सिंह राशि होने के कारण अगर मार्गी शनि होता है तो वह पिता वाले कामों को आराम से अपना लेता है,लेकिन बक्री शनि अपने कार्यों के अन्दर राजनीति और घर में ही चतुरता का व्यवहार करता है। उसके बडे भाई के लिये वह किसी ना किसी कारण से बोझ बन जाता है अथवा अपनी पत्नी या पति के जीवन से वह किसी ना किसी प्रकार का लाभ लेते रहने की कोशिश करता है,कार्यों के अन्दर वह अपनी जान पहिचान राजनीतिक लोगों से रखता है और अपने कार्य के लिये किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के लिये वह कुछ भी गलत कार्य करने के लिये राजी हो जाता है।

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