Friday, April 13, 2012

शनि चन्द्र की युति स्वतंत्र कार्य मे बाधा देते है

अक्सर सभी लोग शनि के लिये अपनी धारणा को गलत ही देते है कारण कुंडली मे यह जिस भाव मे होता है उसी भाव के अनुसार कठिनाई जीवन भर देने के लिये माना जाता है। लेकिन मार्गी शनि शरीर को दिक्कत देने वाला होता है जबकि वक्री शनि बुद्धि को परेशान करने के लिये माना जाता है। शनि का प्रभाव ठंडा होने के कारण वह चन्द्रमा रूपी पानी को जमाने का काम करता है जब भी जातक के सामने कोई कार्य आता है तो वह अपने को अपने बुद्धि और विवेक से नही कर पाता है। अक्सर इसी कारण से इस युति वाले जातक हर काम को राय लेकर करना पसंद करते है लेकिन यह बात गुरु पर भी निर्भर होती है कि उसकी कुंडली मे गुरु का स्थान कहां है अगर गुरु का बल शनि या चन्द्र को मिल रहा है तो वह बुद्धिमान व्यक्तियों के सहयोग मे रहकर और राय मशविरा लेकर आगे बढ जाता है जबकि राहु या केतु की शक्ति से वह किसी भी काम की राय लेने के बाद और भी भ्रम मे चला जाता है। यह युति अगर पहले भाव मे होती है तो यह दिमागी रूप से ठस बनाने का काम करती है। जातक के माथे पर बाल रखे रहते है और माथा कम ही दिखाई देता है वह जिस काम की तरफ़ एक बार लगा दिया तो उसी काम को करता रहता है जातक को यह पता नही होता है कि वह आगे क्या करेगा और जो कर रहा है उसका फ़ल क्या मिलेगा। इसके साथ ही अगर यह युति जातक के दूसरे भाव मे होती है तो जातक के कुटुम्ब की महिलाये उससे दूर ही रहतीहै और वह अपने समाज मे परिवार मे निन्दा की नजर से देखा जाता है उसके द्वारा जो भी काम नकद आय के लिये किये जाते है वह इसी प्रकार से या तो मिल नही पाते है या उसके साथ कोई न कोई घात हो जाती है अथवा आने वाली आय का फ़्रीज होना माना जाता है,लेकिन इसी युति वाले अगर अपने कामो के अन्दर आइसक्रीम का काम करना शुरु कर देते है तो उनकी आय की बढोत्तरी होनी शुरु हो जाती है। शनि चन्द्र से सम्बन्धित फ़सले जैसे आलू जमीकंद अरबी आदि भी फ़ायदा देने के लिये अपनी युति को शुरु कर देते है। इस युति मे अगर राहु गर्म राशि मे रहकर अपना प्रभाव देता है तो जातक कांच के काम मे सफ़ल होना शुरु हो जाता है,अगर केतु सहायता देता है तो जातक पहाडी स्थानो मे बर्फ़ीले प्रदेशो मे अपने निवास के दौरान यात्रियों के रहने और आने जाने का इन्तजाम करने के कामो मे सफ़ल हो सकता है।

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