- भाग्येश और लाभेश साथ साथ हो जायें,पिता के द्वारा बडे भाई को और बडे भाई के द्वारा जातक को लाभ पहुंचाने के रास्ते मिल जाते है,पुत्र वधू या बडे दामाद से सहायता मिलने लगती है,छोटे भाई बहिनो के जीवन साथी से किये जाने वाले कार्यों बनाने वाली पहिचानो से लाभ मिलने लगता है,दूसरी पत्नी या पति के द्वारा जमा पूंजी या मौत के बाद की मिली सम्पत्ति तथा उसके कार्यों से धन की आवक होने लगती है,मकान के किराये वाहन के किराये पानी के द्वारा मिलने वाले मासिक राजस्व से तथा पानी के लिये की गयी खुदाई बोरिंग या माता के ताऊ खानदान से धन लाभ होने की बात मिलती है,पुत्र की शिक्षा और पौत्र के पैदा होने के बाद तथा उसकी पत्नी से भी लाभ मिलता है,मामा या चाचा के घर से मौसी या पिता की नौकरी और पिता की पहिचान से भी धन आने की बात देखी जाती है। जीवन साथी के कामो के द्वारा पहिचान बनाने के द्वारा सम्पर्क और उसके द्वारा प्रदर्शन से तथा जीवन साथी के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले एम्यूजमेन्ट के साधनो से शिक्षा से और शिक्षा स्थानो मे काम करने के बाद धन की प्राप्ति होने लगती है। ताऊ के घर से या ताऊ के द्वारा किये जाने वाले व्यवसाय से भी धन का आगमन होने लगता है। पिता के द्वारा पूर्वजों के द्वारा प्राप्त धन या अचल सम्पत्ति से भी धन आने के कारण बनते है,पिता के प्रदर्शन की भी महिमा मानी जाती है। कार्य से बाहर जाने और कार्य के लिये तुरत किये जाने वाले खर्चे धर्म यात्रा और अपने को धार्मिक रूप से प्रदर्शित करने के कारण कानूनी काम करने कानूनी राय देने और कानून को साथ लेकर चलने से भी धन की कमाई मानी जाती है। विदेश मे जाकर कार्य करने से बाप दादा का घर छोड कर दूर जाकर धन कमाने के उपक्रम करने से भी धन मिलता है। बडे भाई की पुत्र वधू से और बडे भाई के सहयोग से भी धन मिलता है,लोगों को शांति के उपाय बताने धार्मिक संस्थान को सम्भालने चेरिटीबल ट्रस्ट को सम्भालने विदेशी लोगों से अपने को जोडे रहने से भी धन की प्राप्ति होती है।
- भाग्येश और कार्येश से धन प्राप्त करने के लिये जो साधन सामने आते है उनके द्वारा पिता के पास भौतिक साधनो से धन मिलता है,माता के साथ साझेदारी से धन की प्राप्ति होती है मकान के सामने वाले व्यक्ति से सम्पर्क साधने से धन की प्राप्ति होती है,यात्रा के साधनो मे साझेदारी करने से भी धन की प्राप्ति होती है। धर्म स्थान मे कार्य करने से धन की प्राप्ति मानी जाती है,न्याय स्थान मे कार्य करने से धन की प्राप्ति मानी जाती है विदेश मे रहने वाले लोगों के प्रति किये जाने वाले कार्यों से धन की प्राप्ति मानी जाती है। भाग्य वर्धक वस्तुये बेचने खरीदने के कामो से भी धन की आवक होती है। भाग्य से सम्बन्धित चित्र बनाने,धर्म से सम्बन्धित पात्रता एक्टिंग करने से भी धन की प्राप्ति होती है,जनता मे धर्म और न्याय के प्रति जागरूकता लाने से भी धन की प्राप्ति इस योग मे मानी जाती है। धर्म से सम्बन्धित नाटक नौटंकी खेल तमासे आदि प्रस्तुत करने से भी धन की प्राप्ति होती है,गुप्त रूप से रहस्य बताने से तथा छुपे रूप से लोगों के धर्म परिवर्तन और न्याय आदि के लिये गुप्त काम करने से भी इस योग मे धन की प्राप्ति होती है,जीवन साथी या साझेदार को धार्मिक कामो मे व्यस्त करने के बाद धन की प्राप्ति होती है,मृत्यु सम्बन्धी कारणो मे धर्म को प्रयोग करने के बाद भी धन की प्राप्ति होती है। धर्म और न्याय आदि का प्रकाशन और प्रसारण करने से भी धन की प्राप्ति इस योग मे मानी जाती है। धर्म तथा भाग्य से सम्बन्धित कामो के अन्दर मित्रता बनाकर और उनसे धन की प्राप्ति के कारण बनाकर धन की प्राप्ति की जाती है। विदेशी संस्थानो मे धर्म को फ़ैलाने की एवज मे धन की प्राप्ति इस योग से की जाती है।
- भाग्येश और चतुर्थेस के योग से अधिकतर लोग मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च आदि बनाकर धन की प्राप्ति करते है। धार्मिक रूप से जलाशय बना कर धर्मशाला बनाकर यात्री ग्रह विश्राम ग्रह बनाकर धन को प्राप्त करते है माता के द्वारा कोई निर्माण कार्य करवा कर या चेरिटीवल ट्रस्ट को बनाकर धन की प्राप्ति करते है। किसी देवता की मूर्ति की स्थापना करने के बाद धन की प्राप्ति का साधन बनाते है,भौतिक वस्तुयों को धन के कारकों मे जोड कर सिक्का या पदक या सोने चांदी की मूर्तिया आदि बनाकर धन को प्राप्त करते है,जनता के अन्दर धार्मिकता को अधिक लाने के लिये लंगर खोल कर पानी के साधन बनाकर आने वाले धन को भी इसी श्रेणी मे लाया जाता है,लेकिन इस योग मे आने वाले धन को व्यक्तिगत रूप मे खर्च नही किया जाता है केवल कुछ समय के लिये पेट पालन या खुद के लिये रहने का साधन ही माना जा सकता है।
- भाग्येश और पंचमेश के साथ होने से धन को अधिकतर नाटक नौटंकी धार्मिक स्क्रिप्ट आदि लिखने से प्रचारित करने से धार्मिक शिक्षा को देकर न्याय की प्राथमिक जानकारी देकर भी धन कमाया जाता है,विदेशी लोगों के रहने का तरीका बताकर उनकी सन्तान को उनके अनुसार शिक्षा को देकर भी धन को कमाया जाता है अक्सर खेल और खिलाडी तथा संसार मे प्रसिद्धि देने के लिये इसी योग को माना जाता है जल्दी से धन कमाकर जो लोग फ़टाफ़ट धनी होते जाते है वही लोग इस श्रेणी मे माने जा सकते है राजानीति मे भी भाग्येश और पंचमेश की युति होने पर ही वह राजनेता की श्रेणी मे आता है।
- भाग्येश और लगनेश की युति मे अधिकतर बडे बडे संत जज और धर्म गुरु देखे जाते है,साथ ही विदेशी परिवेश को लोगों तक पहुंचाने वाले भी इसी श्रेणी मे आते है।
- भाग्येश और धनेश की युति वाले लोग अपने ही कुटुम्ब के धन से धनी होते देखे गये है जैसे चार भाई कमा रहे है और फ़ायदा केवल एक को ही हो रहा है। पिता के द्वारा पैदा किये गये फ़िल्म या नाटक के क्षेत्र मे भी इसी युति से आगे नाम और फ़ायदा होता देखा जाता है। विदेशों को ऋण देना और न्याय सम्बन्धी मामले मे धन के लिये केश आदि लडना भी इसी श्रेणी मे आता है।
- द्समेश और लाभेश के योग मे जो लोग तरह तरह के विचित्र कार्य करते है उनके लिये यह योग काम करता है,इसके अलावा जिन लोगों के पूर्वज भी राजनीति मे रहे है और खुद भी उन्ही के नाम से अपने को आगे ले जा रहे है उनकी कुंडली मे भी इसी प्रकार की युति देखी जाती है। राज्य को लाभ के लिये प्रयोग करना भी आता है जैसे कोई काम सरकारी करने के बाद उसके बदले मे धन की प्राप्ति हो जाना यह नौकरी पेशा वाले लोगों के लिये भी माना जाता है। आगे जारी है..........................
Thursday, September 8, 2011
धन आने के इकतालीस कारण
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1 comment:
my dob o4-dec-1981
tob- 08:15 PM, saharanpur UP
guru ji ye bataye mujhe dhan kis prakar prapt hoga, abhi to mein zero hu, pls kirpa kare.
shiv kumar
shivk2799@gmail.com
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