Thursday, June 23, 2011

ह्रदय रोग ( भाग- 5)

एक कहावत जब से होश सम्भाला है सुनता आया हूँ संसार में सबसे बलवान पानी है,और सबसे कमजोर गाय है। सन्तान के लिये माता का ह्रदय है और पति पत्नी के लिये आपसी सामजस्य है,इनकी मजबूती के लिये वैदिक काल से ही इनकी मजबूती का कारण बताने की बातें चलती आयी है। पानी की रक्षा नही की जायेगी,फ़ालतू में बहते हुये पानी को नही संभाला गया तो एक दिन प्यास से जीवन की हानि हो सकती है,गाय को नही सम्भाला गया और इसी प्रकार से दुर्दशा होती रही तो एक दिन आने वाली पीढी दूध के बिना बहुत कमजोर हो जायेगी,माता का ह्रदय अगर सन्तान ने नही समझा तो उसे बुढापे में माता के आक्रोस रूपी श्राप को अपनी सन्तान के द्वारा झेलना पडेगा,पति और पत्नी के बीच का सामजस्य नही बना तो एक दिन गृहस्थी बरबाद होनी निश्चित है। लगनेश का कमजोर होना इन सभी बातों के लिये जिम्मेदार माना जाता है,लगन को शरीर का मालिक बताया गया है और जो राशि लगन में है उसके मालिक को लगनेश कहा जाता है,लगनेश अगर बीमारी के भाव मे है या अपमान के भाव मे है या अपने को दुनियादारी के भाव से दूर रखकर बैठा है तो उपरोक्त सभी कारणॊं को झेलना तो पडेगा ही। लगनेश के कमजोर होते ही बाकी के ग्रह वह चाहे मित्र हो या शत्रु हों,सभी शरीर पर अपने आप हावी होने लगेंगे और रास्ते के छोटे छोटे पत्थर भी दुश्मन बनने लगेंगे। जिन्हे अपना समझा गया है वे ही अपने आप पराये होने लगेंगे जिनसे कुछ प्राप्त करने की आशा की जायेगी वे ही पास से और ले जायेंगे,यह सब लगनेश की कमजोरी से से ही जाना जाता है। प्रस्तुत कुंडली में लगनेश बीमारी कर्जा दुश्मनी नौकरी के भाव में विराजमान है,यही भाव माता के दिखावे का है,यही भाव पिता के पूर्वजों का है,यही भाव पुत्र वधू के अपमान का है,यही भाव बडे भाई और मित्रों के लिये अपमान देने का है। इस भाव के कारकों में माता की छोटी बहिन पिता के द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं और धर्म तथा पिता के द्वारा प्रयोग में लिये गये भाग्य के कारणों को भी जाना जाता है। प्राप्त की गयी विद्या का प्रयोग प्रयोग किये जाने वाले वाहन का बाहरी प्रदर्शन और मेक अपने मेक अप के सामान और पहने जाने वाले कपडों को रखा जाने वाला स्थान,कार्य करने के बाद जो धन आदि प्राप्त हुया है उसके लिये प्रयोग में लाये जाने वाले जोखिम का स्थान कार्य के बाद प्राप्त की गयी पूंजी को जमा करने वाली बैंक आदि का नाम और स्थान सी भाव से जाना जाता है। इस भाव से जीवन साथी के लिये खर्च करने का कारण जीवन साथी के आराम करने का स्थान,जीवन साथी के द्वारा यात्रा आदि करने का कारण भी इसी भाव से जाना जाता है। उपरोक्त कारणों में जाते ही जातक के लिये जमा ताकत को खर्च करना या जमा ताकत को प्रयोग में नही लिया जाना अथवा रोजाना के कार्यों में जमा ताकत को खर्च करते जाना आदि के लिये भी जाना जाता है। इस भाव का एक रूप पानी वाले साधन के लिये बाहरी बनावट और मकान में जिसमें रहते है उसकी बाहरी बनावट सजावट और नाम आदि के लिये भी जाना जाता है। लगनेश की शक्ति इन सभी बातों के अन्दर कमजोर होने की बात ही मानी जा सकती है। जब लगनेश कमजोर है तो रहने वाले स्थान में राहु रूपी इन्फ़ेक्सन का पैदा होना आमवात है। उपरोक्त कुंडली में राहु का स्थान कर्क राशि में चौथे भाव में है,यहां राहु पीने वाली पानी के अन्दर इन्फ़ेक्सन पैदा करने के लिये जाना जायेगा उसका कारण दसवे भाव में सूर्य के होने से पानी के अन्दर लकडी पत्ते जीवाश्मो के जाने से ही होगा। इस इन्फ़ेक्सन का प्रभाव सीधा ह्रदय पर तब पडना चालू होगा जब जुकाम खांसी फ़ेफ़डों के इन्फ़ेक्सन कफ़ का अधिक बनना आदि पाया जायेगा। इसके अलावा रहने वाले मकान में उत्तर दिशा में शौचालय का निर्माण किया जायेगा और दक्षिण दिशा में रोशनी का प्रयोग किया जायेगा। कार्य करने का स्थान सरकारी होगा तो भी राहु का इन्फ़ेक्सन बैठने वाले स्थान में एसी आदि के लगे होने और सरकारी ठेकों से की जाने वाली सफ़ाई आदि के लिये जिम्मेदार माना जायेगा। यह तब और अधिक प्रभावी होगा जब सरकारी कार्यालयों में शिक्षा चिकित्सा वाहनो अन्य सरकारी विभागों के लिये भवनों की देख रेख का काम सडक और पुल आदि के निर्माण के काम किये जाते होंगे। इसके अलावा जो लोग वाहनों की देख रेख करने वाले होंगे और पेट्रोल डीजल गैस आदि के घेरे में रहते होंगे। जो लोग ट्रेफ़िक पुलिस में काम करते होंगे या दिन भर सडकों पर अपने कार्यों को करने के लिये बाध्य होंगे। स्कूली शिक्षा को देने वाले होंगे या स्कूलों में ही अपने निवास को बनाये रखने वाले होंगे। इस राहु का सीधा असर मंगल पर जा रहा है और जातक को अस्पताली कारणों से पीने वाली दवाइयों को जिनके अन्दर खांसी आदि से दूर रहने के लिये एल्कोहल आदि का प्रयोग करना पडता होगा भी ह्रदय की धमनियों को कम करने या अधिक फ़ुलाने के लिये मानना पडेगा। एक कहावत और भी कही जाती है कि "झगडे की जड हांसी और रोगों की जड खांसी",अर्थात झगडे का कारण हंसना होता है और रोगों के पनपने का कारण खांसी का बढना होता है। राहु और कमजोर लगनेश के कारण इस कुंडली में सूर्य जो कार्य स्थान में है कमजोर हो गया है।
इस युति से बचाव का रास्ता अपने को उपरोक्त कार्यों में जाने के बाद जलवायु से सुरक्षित रखना,इसके अलावा अगर इस प्रकार के कार्य करने को मिल रहे है और उन कार्यों के बाद शरीर में जुकाम आदि का प्रभाव कम नही हो रहा है तो उस प्रकार के कार्यों को बन्द करने के बाद दूसरे कार्यों को करने का उपाय सोचना चाहिये। पहला सुख जब निरोगी काया, के अनुसार कार्य तो और भी मिल जायेंगे लेकिन लोभ के कारण इन कार्यों को करने के बाद शरीर का सत्यानाश हो गया तो आगे कार्य भी नही कर पाओगे और दुनिया से जल्दी कूच करने का बहाना भी बन जायेगा। राहु से बचने के लिये केतु का उपाय उसी प्रकार से कारगर है जैसे तेजाब की बाल्टी से किसी वस्तु को निकालने के लिये संडासी का प्रयोग,बिजली के तार को पकडने के लिये इन्सूलेटेड प्लास की जरूरत,राहु के लिये केतु का उपाय किया जाता है और केतु के लिये राहु के उपाय अगर दोनो में से कोई एक जीवन में शैतानी करने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहा हो तो। जब चौथे भाव में राहु है तो दसवें भाव में केतु का होना जरूरी है,यह उसी प्रकार से है जैसे कोई समस्या बनी है तो समस्या का समाधान भी उसकी उल्टी दिशा में समस्या के ठीक 180 की डिग्री में होगा। केतु के लिये रहने वाले स्थान में कुत्ता पालना,शरीर की सेवा के लिये नौकर का रखना,आफ़िस आदि में प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को नंगे हाथों से नही पकड कर पकडने वाले साधनों से पकडना। जो भी इन्फ़ेक्टेड स्थान है वहां से भोजन पानी वायु के लिये शुद्ध स्थान का प्रयोग करना आदि उपाय किये जा सकते है,राहु को कन्ट्रोल में रखने के लिये और लगनेश को बली करने के लिये चौथे भाव के राहु के विरुद्ध में स्थापित केतु की राशि के अनुसार के रंग की लहसुनिया,लगनेश की लगन के अनुसार रंग का रत्न और भाग्य के रत्न को आपस में मिलाकर प्रयोग करना जरूरी होता है।
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